
बिना शिकायत के सहना, एकमात्र सबक़ है जो हमें इस जीवन में सीखना है।

चीज़ों को सहना ही तुम्हारा सबसे अच्छा काम है। अपने दाँत पीसकर उन्हें सह लेना।

किसी आदमी से कहा जाए, “तुम ठग हो,” तो शायद वह इसे मज़ाक़ के रूप में लेगा, लेकिन उसे ठगी करते हुए पकड़ लिया जाए और उसकी पीठ पर छड़ी लगाकर उसे यह बताया जाए, उसे पुलिस अदालत की धमकी दी जाए और फिर उस धमकी पर अमल न किया जाए तो यह उसे परिस्थितियों की असमानता की ही याद दिलाएगा। अगर जनसाधारण किसी क़िस्म की नस्ली श्रेष्ठता को बर्दाश्त नहीं करेंगे, तो क्या यह मुमकिन है कि कोई ठग ईमानदार आदमी की नस्ल को सहन कर लेगा?

युद्ध हमारे भाइयों के ख़िलाफ़ संगठित हत्या और यातना है।

सच्चे संवाद के लिए अक्षमता का अर्थ है—सहिष्णुता, आत्म-चिंतन और सहानुभूति की अक्षमता।

मैं जितने धर्मों को जानता हूँ, उन सब में हिंदू धर्म सबसे अधिक सहिष्णु है। इसमें कट्टरता का जो अभाव है, वह मुझे बहुत पसंद आता है क्योंकि इससे उसके अनुयायी को आत्माभिव्यक्ति के लिए अधिक से अधिक अवसर मिलता है।

किसान के बराबर सर्दी, गर्मी, मेह, और मच्छर-पिस्सू वगैरा का उपद्रव कौन सहन करता है?


यह सत्य है कि अंत में वही जीतता है, जो चोटों को धैर्य से स्वीकार करता है।

मैं नहीं मानता कि भाग्य का ख़ुशी से कुछ ज्यादा लेना-देना है।

सहनशीलता एक ऐसी क्षमता है, जहाँ हम दूसरों और उनके दृष्टिकोण से असहमत होते हुए भी उन्हें स्वीकार करते हैं।