
निंदा, प्रशंसा, इच्छा, आख्यान, अर्चना, प्रत्याख्यान, उपालंभ, प्रतिषेध, प्रेरणा, सांत्वना, अभ्यवपत्ति, भर्त्सना और अनुनय इन तेरह बातों में ही पत्र से ही प्रकट होने वाले अर्थ प्रवृत्त होते हैं।

मेरी डाक में आने वाले खतों में कुछ खत तो गालियों से ही भरे होते हैं। उन गालियों का तो मेरे ऊपर कोई असर नहीं होता, क्योंकि मैं इन गालियों को ही स्तुति समझता हूँ, परंतु वे लोग गालियाँ इसलिए नहीं देते कि मैं उनको स्तुति समझता हूँ बल्कि इसलिए कि मैं जैसा उनकी निगाह में होना चाहिए वैसा नहीं हूँ। एक वक़्त वह था जब वे मेरी स्तुति भी करते था। इसलिए गालियाँ देना या स्तुति करना तो दुनिया का एक खेल हूँ।

अपने मुँह से अपनी तारीफ़ करना हमेशा ख़तरनाक-चीज़ होती है। राष्ट्र के लिए भी वह उतनी ख़तरनाक है, क्योंकि वह उसे आत्मसंतुष्ट और निष्क्रिय बना देती है, और दुनिया उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाती है।

सत्य बोलने वाले भी मनुष्य जो कृपणता के कारण वाचाल होते हुए मुख थकने तक अविद्यमान भी गुणों से राजा की स्तुति करते हैं, यह सब अवश्य ही तृष्णा का ही प्रभाव हो सकता है अन्यथा इच्छारहित व्यक्तियों के लिए राजा तिनके के समान तिरस्कार का विषय होता है।

अगर कोई व्यक्ति आपकी बहुत प्रशंसा करता है, तो आप उससे घृणा करते हैं और आपको उसकी परवाह नहीं होती—और जो व्यक्ति आपकी ओर ध्यान नहीं देता, आप उसकी प्रशंसा करने के लिए तैयार रहते हैं।

हे संसार के आध्यात्मिक पथ-प्रदर्शक, तू निराकार है, तो भी मैंने मनन में तेरी प्रतिमा की कल्पना की है। मैंने प्रशंसा के शब्दों का प्रयोग करके तेरी अनिर्वचनीयता की उपेक्षा की है।
मैंने तीर्थ-यात्राएँ करके, और दूसरी विधियों से तेरी सर्वव्यापकता पर आघात किया हे सर्वशक्तिमान! हे परआत्मा! आत्मा की परिभ्रांति के कारण जो ये तीन अतिक्रमण मैं मर चुका हूँ, उनके लिए तुझसे क्षमा-याचना करता हूँ।

वही मनुष्य महान है जो भीड़ की प्रशंसा की उपेक्षा कर सकता है और उसकी कृपा से स्वतंत्र रहकर प्रसन्न रहता है।

अज्ञान प्रशंसा की जननी है।



प्रशंसा ऐसा विष है जिसे केवल अल्पमात्राओं में ही ग्रहण किया जा सकता है।

व्यक्ति और उसकी प्रशंसा कितने दिन रहेगी?

नेताओं की तारीफ़ से भरे हुए मानपत्र वास्तव में निरर्थक होते हैं। जो लोग इस तरह की तारीफ़ की आशा रखते हों उन्हें मानपत्र न देना ही उचित है।

अनुचित प्रशंसा प्रच्छन्न अपकीर्ति ही है।

जो हर किसी की प्रशंसा करता है, वह किसी की प्रशंसा नहीं करता।

मैं उसकी प्रशंसा करूँगा जो मेरी प्रशंसा करेगा।