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जीवन पर ग़ज़लें

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

प्यार जग के सार

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

ज़िंदगी

नवल बिश्नोई

सफ़र

डी. एम. मिश्र

मार सका

डॉ. वेद मित्र शुक्ल

हवा ख़िलाफ़ है

डी. एम. मिश्र

आशिक

डॉ. वेद मित्र शुक्ल

बुझे न प्यास

डी. एम. मिश्र