स्वराज विद्यापीठ, प्रयागराज में हुई माइम प्रस्तुति और कार्यशाला
17 नवंबर 2024 को स्वराज विद्यापीठ, प्रयागराज में यूनिवर्सिटी थिएटर द्वारा आयोजित 20 दिवसीय उत्पादन आधारित कार्यशाला का भव्य समापन माइम (मूक अभिनय) प्रदर्शन के साथ हुआ। यह प्रस्तुति शहर के कलाप्रेमियो
कवि बनने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप लिखें
‘बीटनिक’, ‘भूखी पीढ़ी’ और ‘अकविता’ क्या है, यह पहचानता हूँ, और क्यों है, यह समझता हूँ। इससे आगे उनपर विचार करना आवश्यक नहीं है। — अज्ञेय बीट कविता ने अमेरिकी साहित्य की भाषा को एक नया संस्कार दि
शारदा सिन्हा : ‘हमरा के कहाँ छोड़ले जाइछी रे गवनवा...’
‘अपने त जाय छी प्रभु देस रे बिदेसवा से, हमरा के...’ पर कहाँ जा पाएँगी इस देस से? काश ‘घोड़ा के लगमवा’ थाम के रोका जा सकता। काश ‘सँईया कलकतवा से’ आ सकते। किसे कहेंगे इस महादेस के मन की आवाज़ अब; ठीक
फूल की थरिया से छिटकती झनकार की तरह थीं शारदा सिन्हा!
कहते हैं फूल की थरिया को लोहे की तीली से गर छेड़ दिया जाए तो जो झनकार निकलेगी वह शारदा सिन्हा की आवाज़ है। कोयल कभी बेसुरा हो सकती है लेकिन वह नहीं! कातिक (कार्तिक) में नए धान का चिउड़ा महकता है। शार
आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ : हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई
आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ अवधी में बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ की नई लीक पर चलने वाले कवि हैं। वह वंशीधर शुक्ल, रमई काका, मृगेश, लक्ष्मण प्रसाद ‘मित्र’, माता प्रसाद ‘मितई’, विकल गोंडवी, बेकल उत्साही, ज
बनारस के गंगा घाट पर होने जा रहा है तीन दिनों का ‘संगीत परिसंवाद’
15, 16 और 17 अक्टूबर, 2024 को वाराणसी के गंगातट पर एक तीन दिवसीय ‘संगीत परिसंवाद’ का आयोजन होने जा रहा है। छह सत्रों में तीन दिनों तक होने वाले इस कार्यक्रम में संगीतज्ञ-विद्वान ऋत्विक सान्याल, राजेश
प्रयाग शुक्ल की चित्रकला : रंगों में बसी संवेदनाएँ
5 अक्टूबर को आर्ट स्पेस, भोपाल में प्रयाग शुक्ल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी ‘Myriad Hues’ का स्नेहिल शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर छाया दुबे, हंसा मिलन कुमार, साधना शुक्ला और प्रीति पोद्दार जैन की समूह प्रदर
पिता और मैं : कविता और माटी
मैं शुरू करना चाहता हूँ तब से—जब से मेरे पिता नवीन सागर ने मेरे आज को देख लिया था और शायद तब ही उन्होंने 27 सितंबर 2024 की शाम उनके नाम के स्टूडियो में ख़ुद पर होने वाले कविता पाठ को भी सुन लिया था।
यों याद किए गए नवीन सागर
गत शुक्रवार, 27 सितंबर को हौज़ ख़ास विलेज, नई दिल्ली में ‘नवीन सागर स्मृति रचना समारोह’ का पहला आयोजन हुआ। मेरी नज़र में बीते कई सालों में हिंदी-संसार में हो रहे आयोजनों में ऐसा कोई आयोजन हुआ या होता
क्या मिट्टी के आस-पास ‘मिट्टी न होने का’ कोई माध्यम नहीं हो सकता
प्रिय पांडू, तुम्हारे पत्र बहुत मज़ेदार होते हैं, लेकिन फ़ोन पर तुम्हारी भारी-भरकम गंभीर आवाज़ सुनकर मुझे लगता है जैसे अपने ग़ुस्सैल और असंतुष्ट अंकल से बात कर रहा हूँ। आवाज़ कानों को तो अच्छी लगत
‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ में खेला गया ‘मगध’
गत दिनांक 16 सितंबर 2024 को ‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ का आयोजन किया गया। प्रयागराज स्थित स्वराज विद्यापीठ में यह कार्यक्रम शाम 5 बजे शुरू हुआ। यह तीन हिस्सों में संपन्न हुआ : • हमारी यादों में फ़रीद क
‘हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह...’
मुन्नवर राना कह गए हैं : “ये बाज़ार-ए-हवस है तुम यहाँ कैसे चले आए ये सोने की दुकानें हैं यहाँ तेज़ाब रहता है” बाज़ार चीज़ों के साथ क्या करता है, इसके जवाब में कई ख़ूब मिसालें आपको मिल जाएँगी।
कल से शुरू हो रहा है इंडिया हैबिटैट सेंटर थिएटर फ़ेस्टिवल
रंगमंचप्रेमियों के लिए इंडिया हैबिटेट सेंटर थिएटर फ़ेस्टिवल का नया संस्करण आयोजित किया जा रहा है। फ़ेस्टिवल का यह संस्करण 20 सितंबर से 29 सितंबर 2024 तक इंडिया हैबिटैट सेंटर लोधी रोड़ में आयोजित किया
फिर से हो रहा है 'ठेके पर मुशायरा'
नाट्य संस्था साइक्लोरामा अपने नए नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’ का एक बार फिर से मंचन करने जा रहा है। यह नाटक 21 सितंबर 2024 को एलटीजी सभागार, मंडी हाउस, नई दिल्ली में खेला जाएगा। इसके पिछले प्रदर्शनों को दर
श्रद्धांजलि : लोकगायक मांगे ख़ान मांगणियार
भूली चूकी करज्यो म्हाने माफ़ म्हारा मनड़ा मेळू रे राजस्थान के मांगणियार समाज का एक स्वर खो गया। मांगे ख़ान दिल्ली के एक सुविख्यात बैंड ‘बाड़मेर बॉयज’ का प्रतिनिधि गायक था। बहुत सुरीला गायक। उसका जन्म
कलाकारों के जीवन की मार्मिक कहानी
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन
राजेंद्र यादव का साहित्य लोग भूल जाएँगे, उन्हें नहीं
उम्र के जिस पड़ाव पर ढेर सारे लोगों के आध्यात्मिक होते जाने के क़िस्से सुनाई देने लगते हैं, जीवन के उसी मक़ाम पर राजेंद्र यादव के प्रेम-संबंधों की अफ़वाहें लोग चटकारे लेकर एक-दूसरे से सुन-सुना रहे थे।
27 अगस्त 2024
‘समुद्र मंथन’ में नज़र आया चित्तरंजन त्रिपाठी का निर्देशकीय कौशल
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन
एनएसडी रंगमंडल मना रहा है अपनी हीरक जयंती, होने जा रहे हैं एक से बढ़कर एक नाटक
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School Of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 तक हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह कई मायनों में विशेष है। एनएसडी रंगमंडल की स्थापना
मुंबई के आराम नगर में शुरू होगी एक महीने की एक्टिंग वर्कशॉप, जुड़िए
मनोरमा थिएटर—मुंबई के आराम नगर में, एक अभिनय कार्यशाला (Acting Workshop) करने जा रही है। इस एक्टिंग वर्कशॉप की अवधि लगभग 30 दिनों की होगी। एक्टिंग स्किल्स पर फ़ोकस इस कार्यशाला के साथ-साथ, एक नाटक भी
मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला में यह कहा अशोक वाजपेयी ने
8 अगस्त 2024 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक मनोहर श्याम जोशी की जयंती की पूर्व-संध्या पर यह आयोजन जानकीपुल
सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी
मणि कौल की फ़िल्म ‘सिद्धेश्वरी’ 1989 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री है, जो प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी के जीवन और कला पर आधारित है। सिद्धेश्वरी देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक म
प्रेमचंदजी के साथ दो दिन
“आप आ रहे हैं, बड़ी ख़ुशी हुई। अवश्य आइए। आपसे न-जाने कितनी बातें करनी हैं। मेरे मकान का पता है— बेनिया-बाग़ में तालाब के किनारे लाल मकान। किसी इक्केवाले से कहिए, वह आपको बेनिया-पार्क पहुँचा देगा
हिन्दवी उत्सव के बहाने दुःख ने दुःख से बात की...
‘हिन्दवी’ ने बीते दिनों अपने चार वर्ष पूरे किए। अच्छे-बुरे से परे ‘हिन्दवी’ कभी चर्चा से बाहर नहीं रहा। ‘हिन्दवी’—‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ का ही उपक्रम है। ‘जश्न-ए-रेख़्ता’ में ख़ूब भीड़ होती है। सवाल यह
‘हिन्दवी उत्सव’ 2024 : आप सादर आमंत्रित हैं
हिंदी साहित्य को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘हिन्दवी’ की चौथी वर्षगाँठ के मौक़े पर आज—28 जुलाई 2024 के रोज़, त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में ‘हिन्दवी उत्सव’ आयोजित किया जा रहा है
शशिभूषण द्विवेदी के नाम : बारह कथाकारों, दो कवियों और एक आलोचक के पत्र
आज शशिभूषण द्विवेदी [26 जुलाई 1975—7 मई 2020] की जन्मतिथि है। वह आज सदेह होते, तब आज उनका पचासवाँ वर्ष लग जाता। एक रचनाकार रचना के लिए एक कंदरा का निर्माण करता है। इस कंदरा में वह संसार से थक-भागकर छ
तौमानी डिबाटे की याद में
ब्रिटिश लेखक और बायोलॉजिस्ट रिचर्ड डॉकिंस (Richard Dawkins) ने एकबारगी कहा था कि वी ऑल आर अफ़्रीकंस। इस कथन के पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण भी उपलब्ध हैं। कभी अमेरिका के कुछ लोग एजेंडा चलाते थे कि जैज़ औ
बेला तार की ‘द ट्यूरिन हॉर्स’ देखते हुए
...सर्वाधिक तुच्छ और साधारण जीवन में भी एक अपार महानता निहित होती है। ‘द ट्यूरिन हॉर्स’—मात्र एक फ़िल्म नहीं है; यह एक गहन अनुभूति है। एक आध्यात्मिक यात्रा है। यह फ़िल्म हमें आमंत्रित करती है कि हम अ
गोदार के बारे में दो-एक बातें
यह लेख सत्यजीत रे द्वारा सिनेमा पर लिखे गए लेखों के—संदीप रे द्वारा संपादित—संग्रह ‘डीप फ़ोकस : रिफ़्लेक्शंस ऑन सिनेमा’ से लिया गया है। इस लेख में वह फ़्रांसीसी फ़िल्म निर्देशक ज्याँ-लुक गोदार (Jean-
सत्यजीत रे और उनके स्वाद का संसार
सत्यजीत रे की सबसे उल्लेखनीय आदतों में से एक—भोजन की संस्कृति पर उनका विशेष ध्यान था। रे को भोजन, विशेष रूप से बंगाली व्यंजनों के प्रति उनके प्यार के लिए भी जाना जाता था। वह बढ़िया भोजन के पारखी
12 जुलाई 2024
लिखना, सुई से कुआँ खोदना है
मेरे लिए, एक लेखक होने का मतलब है किसी व्यक्ति के अंदर छिपे दूसरे व्यक्ति की खोज करना; और उस दुनिया की भी जो वर्षों तक धैर्यपूर्वक काम करके उस व्यक्ति को बनाती है। जब मैं लेखन की बात करता हूँ, तो
'मैं एक सतत अलक्षित अवाँगार्द हूँ'
सुख्यात कवि-कथाकार देवी प्रसाद मिश्र की किताब मनुष्य होने के संस्मरण हाल के दिनों में चर्चा में रही है। इस पुस्तक की अन्य कथाओं पर यहाँ उनसे एक बातचीत की है—सरबजीत गरचा ने जो अँग्रेज़ी भाषा के जाने-म
जौनपुर भड़ैंती उर्फ़ नक़ल : एक ख़त्म होती नाट्य-विधा
कुछ वर्ष पूर्व तक पूर्वांचल के देहातों-क़स्बों-शहरों की दीवारों पर हिंदुस्तानी, अवधी या भोजपुरी में लिखे सूचना-पट्ट इस तरह के होते थे—कल्लू नक़्क़ाल, बिस्मिल्लाह भाँड, रमपत हरामी मंडली इत्यादि... कि
सलमान रश्दी की नई किताब में चाक़ू की कुछ बातें
उन सुनसान निद्राविहीन रातों में मैंने एक विचार के रूप में चाक़ू के बारे में बहुत सोचा। चाक़ू एक औज़ार था, और उसके प्रयोग से निकलता हुआ एक अर्जित अर्थ भी। भाषा भी तो एक चाक़ू थी। यह दुनिया को चाक कर स
शुरू हो गई बच्चों के लिए ‘विहान’ की थिएटर वर्कशॉप
बच्चों के साथ विहान ड्रामा वर्क्स, भोपाल की विशेष नाट्य कार्यशाला शुरू हो चुकी है। यह नाटक कार्यशाला 01 मई 2024 से 26 मई 2024 तक चलेगी तथा इस दौरान बच्चों के साथ मिलकर नाटक ‘पीली पूँछ’ तैयार किया जाए
सौ बार मंच पर उतर चुकी एक कविता के बारे में
एक भाषा में कालजयी महत्त्व प्राप्त कर चुकीं साहित्यिक कृतियों के पुनर्पाठ के लिए केवल समालोचना पर निर्भर रहना एक तरह की अकर्मठता और पिछड़ेपन का प्रतीक है। यह निर्भरता तब और भी अनावश्यक है जब आलोचना-पद
सिफ़्सी लेकर आ रहा है देश-विदेश की 150 फ़िल्में
स्माइल फ़ाउंडेशन—यूरोपीय संघ (भारत में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल) के साथ साझेदारी में बच्चों और नौजवानों के लिए वार्षिक स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (सिफ्सी) के 10वें संस्करण की मेज़बानी करेगा। स