मैं काली हूँ! काली हूँ, काली!
रवीन्द्र व्यास
11 मार्च 2025

यह भी ब्लैक हिस्ट्री का एक चमकदार अध्याय है। 2 फ़रवरी 2025 की रात कैलिफ़ोर्निया में अफ़्रीकन-अमेरिकन सिंगर-डांसर बियोन्से नोल्स को कंट्री म्यूज़िक कैटेगरी में ‘काउबॉय कार्टर’ के लिए ग्रैमी का ‘एलबम ऑफ़ द ईयर’ अवॉर्ड दिया गया। इस श्रेणी में अवॉर्ड हासिल करने वाली वह पहली ब्लैक वुमन आर्टिस्ट हैं। यहाँ उनके अँग्रेज़ी उद्धरणों, साक्षात्कारों के अंशों और उनके कुछ गीतों का भावानुवाद कर, एक ऐसी तरतीब दी है कि यह उनका एकालाप लगे।
तुम मुझे गोली मार सकते हो अपने शब्दों से
अपनी आँखों से काट सकते हो तुम मुझे
मार सकते हो तुम मुझे अपनी नफ़रत से
फिर भी, हवा की तरह, मैं उठूँगी ऊपर।
(माया एंजेलो की कविता ‘स्टिल आई राइज़’ की पंक्तियाँ)
दुनिया हमेशा कहेगी कि—हम बहुत काले हैं, छोटे हैं, ग़ुलाम हैं और भी ना जाने क्या-क्या। हमें (ब्लैक) पूरे साहस के साथ दिखाना होगा कि हम भावुक हैं, ताक़तवर हैं, सहज हैं। प्रज्ञावान और अंतर्ज्ञानी भी। हम अप्रतिम और अद्भुत हैं। हम सौंदर्यवान हैं, तब से जब वे यह जानते तक नहीं थे कि सौंदर्य क्या होता है। इतिहास ही हमारा भविष्य है। हमारी आँखों में ब्रह्मांड है। हम परिश्रमी हैं, अपने पसीने से धरती को सींचते, फ़सल और फूल उगाते। हमेशा अपना सिर ऊँचे रखे, ताज पहने।
हम राजसी हैं।
हम प्रताप के पर्याय हैं।
हम उजालों के नक़्शेक़दम पर चले हैं। हम उजालों के उत्तराधिकारी हैं। चट्टानें हमारी पीठ पर सुस्ताती हैं, एक अनाम फूल से हमारी आत्मा रोशन है। इसी रोशनी में हमारा रंग निखरता है। हमारा रंग काला है।
मैं काली हूँ! काली हूँ! काली!
मैं नहीं भूलती और तुम भी मत भूलो, मेरी त्वचा काली है। मैं इसके साथ सहज हूँ। मेरी आत्मा इसमें चमकती है। आत्मविश्वास से भरी, मैं इसी रंग में निखरती हूँ। मैं एक नरक से गुज़रती यहाँ तक आई हूँ और इस दौरान मुझे दिए गए तमाम निशानों के लिए मैं आभारी हूँ। मैं उनके कहे शब्दों के जलते ख़ंजरों को प्यार करती हूँ। मैं आईने में नाचती अपने को देखती हूँ और उनके दिए गए घावों के निशानों को चूमती हूँ।
मै काली हूँ, सुंदर हूँ, रसीली और घातक हूँ, काली हूँ!
मैं जो हूँ, उसके साथ सहज हूँ। मैं गिरकर उठी हूँ, टूट-टूट कर बनी हूँ, वापस लौटी हूँ। मैं उजाले में रही, अँधेरों में धँसी, निकलकर फिर उजाले में हूँ, मैं अभी यहीं हूँ।
मैं यही हूँ, मैं इतनी ही हूँ, तुम कुछ भी नहीं जानते।
तुम मुझसे नफ़रत करते हो क्योंकि मुझे पाना चाहते हो। हरी आँखें मुझसे ईर्ष्या करती हैं क्योंकि वे मुझे पाना चाहते हैं।
मैं सन्न हूँ!
एक बार मुझसे कहा गया कि मेरे प्रशंसक मेरी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरें पसंद नहीं करते। यह बात उन्होंने कुछ शोधों के आधार पर कही। उनका कहना था—मुझे यह सब कलरफ़ुल करना होगा, नहीं तो कामयाबी नहीं मिलेगी। मैंने जब यह बात पहली बार सुनी तो मैं सन्न रह गई!
ये कैसी मानसिकता है? कौन हैं ये लोग जो मुझे यह बता रहे हैं? मैं क्यों इनकी यह बात सुनूँ? मैंने इसे मानने से इनकार कर दिया।
ब्लैक एंड व्हाइट में, मैं कैसे काम नहीं कर सकती!
मैंने तय किया, मेरा अगला प्रोजेक्ट ब्लैक एंड व्हाइट में ही होगा। फ़ोटोग्राफ्स से लेकर वीडियो तक। इसमें मेरा सिंगल वीडियो ‘सिंगल लेडीज़’ और ‘ईफ आई वेयर अ बॉय’ शामिल था। और यह मेरा अब तक का सबसे बड़ा कमर्शियल हिट था!
मैं अपने फ़ैसलों और संगीत में और गीतों में कोशिश करती हूँ कि इसमें मनुष्य की आत्मा और भाव को प्रकट कर दूँ।
नाचने-गाने की शुरुआत करने से पहले ही मैंने तय कर लिया था कि मैं इस करियर को केवल तभी अपनाऊँगी जब मेरा आत्म-मूल्यांकन कामयाबी पर निर्भर नहीं होगा।
मैं काली हूँ और अपने परिवार को नीचा नहीं दिखाना चाहती थी। माता-पिता ने हमारे लिए अथक त्याग किया। और इसीलिए एक चौकन्नी टीनेजर प्रोफ़ेशनल के रूप में मैंने तेज़ी से विकास किया। लोग मुझे नाकामयाब देखना चाहते थे लेकिन मैं तमाम ब्लैक सुपरस्टार्स की रूढ़ छवियों (ड्रग्स और शराब में डूबे रहना) को तोड़ देना चाहती थी।
सातवें बरस से मैं नाचने-गाने की प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने लगी। मैंने जाना कि मैं गा सकती हूँ, नाच सकती हूँ। मैंने इस पर सहज यक़ीन किया। हालाँकि बचपन में मैं अंतर्मुखी थी, अपनी ही कल्पनाओं में खोई रहने वाली एक चुप्पी लड़की। मेरी ज़िंदगी के वे सबसे ज़्यादा चुप्पी भरे दिन थे। मैं इन दिनों के प्रति कृतज्ञ हूँ। इन्हीं दिनों ने मुझ जैसी शर्मीली लड़की को वह क़ाबिलियत दी कि मैं लोगों से जुड़ सकूँ, रिश्ता बना सकूँ।
प्रतिस्पर्धाएँ जीतने के लिए मुझमें स्टेज प्रेज़ेंस, विट और चार्म था। नौ की उम्र में मैंने एक ओपरा सिंगर से सीखना शुरू किया। 10 की होते-होते मैंने रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 50-60 गाने रिकॉर्ड कर डाले। 13 की हुई तो कई घंटों तक लगातार गाने के अभ्यास से मेरे गले में गहरी खरोंचें आ गई। दर्द सहन नहीं होता और मैं रोती रहती। मेरी माँ से मेरा दर्द सहा नहीं जाता। इसी समय मैंने अपनी पहली रिकॉर्ड डील की थी और मुझे डर था कि मेरा करियर कहीं यहीं खत्म ना हो जाए।
डॉक्टरों ने कहा—कुछ समय गाना छोड़ना होगा।
एक बार फिर मैं चुप हो गई!
मैंने कहीं यह बात पढ़ ली थी कि यक़ीन के बिना काम बेजान है। इसने मुझे ताक़त दी। मैंने अपने काम में यक़ीन किया। स्कूल में किसी को नहीं मालूम था कि मैं गाती हूँ क्योंकि मैं तो अक्सर चुप रहने वाली एक शर्मीली लड़की थी।
मैंने काम पर ध्यान दिया, उसमें डूब गई। मैंने अपनी सारी ऊर्जा और ताक़त लगा दी। इस तरह ‘डेस्टिनी चाइल्ड’ बना। एक रिकॉर्ड डील और मैं गायिका-संगीतकार बन गई।
लक्ष्य तक पहुँचने में जो चीज़ें मेरी मदद नहीं करती, मैंने उस पर समय बर्बाद करना बंद कर दिया। मैं ध्यान भटकाने वाली हर बात से भागती।
मैं जब बींसवें बरस में थी, मैंने तय कर लिया था कि मेरे सामने कितनी ही बाधाएँ आएँ, मैं अपने सपनों को पूरा करूँगी। मैंने व्यावसायिक कामयाबी पर एकाग्र किया। अपनी ही सीमाओं का तोड़ना शुरू किया। इसी दौरान मैंने ना कहने की ताक़त को जाना और ना कहना सीखा।
27 तक आते-आते मैंने अपनी आज़ादी पर पूरा नियंत्रण पा लिया। पार्कवुड इंटरटेनमेंट कंपनी शुरू की। मैंने अपनी माँ से सीखा की काम कैसे किया जाता है। वह 18-18 घंटे काम करती थीं, भले ही वह कितना भी थकी हों। उनके हाथ रूखे-सूखे रहते, पैरों में सूजन रहती लेकिन उनका काम रुकता नहीं। मैं भी अपनी कंपनी और अपने काम को इसी तरह चलाने की कोशिश करती हूँ।
मैंने अपने को बेहतर बनाने की हज़ार कोशिशें की। फिर एक समय मैंने महसूस किसया कि मैं एक ऐसे मुक़ाम पर पहुँच गई हूँ, जहाँ मुझे अपने से प्रतिस्पर्धा करने की क़तई ज़रूरत नहीं।
तीसरे दशक में मैंने अपनी पारिवारिक ज़िंदगी शुरू की और मेरी ज़िंदगी करियर से ज़्यादा मानीख़ेज़ हो गई। मैंने अपने पीढ़ीगत सदमों से मुक्ति पाई लेकिन मेरा दिल टूट चुका था। मेरे पास आँसू बहाने का ज़्यादा वक़्त नहीं था। मैंने अपने टूटे दिल को कला में झोंक डाला। और इसी ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
मैं आंतरिक यात्रा करते ज़िंदगी के मायने समझ रही थी। इसीलिए मैंने पब्लिक चैरिटी फ़ाउंडेशन (‘बेगुड’) शुरू किया। मैंने माता-पिता से सीखा था कि हमें दूसरों की तरफ़ हाथ बढ़ाना चाहिए। मुझे वह सब करना था जो मेरे माता-पिता ने बचपन से मुझे संस्कार में दिया, दूसरों को प्रेरित करना, दूसरों के प्रति दयालु होना, मददगार और मानवीय होना। इसीलिए 2023 में तूफ़ान से पीड़ित लोगों की मदद की, कॉलेज-यूनिवर्सिटीज़ में स्कॉलरशिप्स शुरू की, साउथ अफ़्रीका में फ़ेलोशिप प्रोग्राम शुरू किए। स्त्री-अधिकारों और अल्पसंख्यकों के काम-धंधों को सपोर्ट किया। आवास और पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए काम किया। कोरोना में लोगों की मदद की।
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जिसकी कुछ सीमाएँ हैं। बहुत सारी चीज़ें आसानी से एक्सेस हैं। आज कई इंटरनेट थेरेपिस्ट हैं, कॉमेंट क्रिटिक्स हैं और विशेषज्ञता हासिल किए बिना हर कोई विशेषज्ञ बना हुआ हैं। वे हमें बताते हैं कि दुनिया में वास्तविकता क्या है। यह झूठी वास्तविकता है, इसी को हम सच मान लेते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे सेलफ़ोन के बाहर खोजने के लिए अभी बहुत कुछ बाक़ी है।
लेकिन मेरे पास यह चुनने की क्षमता है कि मैं क्या साझा करना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ, मेरा ध्यान मेरे संगीत पर हो, मेरे गीतों पर हो। यदि मेरी कला से लोगों को प्रेरणा ना मिले तो मेरा संगीत रचना बेकार है।
इस इंडस्ट्री में ख़ुद को बहुत जल्दी खो देना आसान है। यह आपकी आत्मा और उजाले को छीन लेता है फिर निचोड़ कर आपको बाहर फेंक देता है। मैंने इसे देखा है। कई बार देखा है, न केवल मशहूर हस्तियों के साथ बल्कि निर्माताओं, निर्देशकों और अधिकारियों आदि के साथ भी यह होते देखा है। और यदि कोई स्त्री कलाकार है तो उसके लिए तो और भी मुश्किल। पुरुषों की ताक़त और प्रभुत्व से घिरी इस इंडस्ट्री में हर किसी स्त्री के लिए यहाँ लंबे समय तक टिके रहना बेहद मुश्किल है।
इस व्यवसाय में, आपका जीवन तब तक आपका नहीं है जब तक आप इसके लिए नहीं लड़ते। मैंने अपनी आत्मिक शांति, दिमाग़ी संतुलन और गोपनीयता की रक्षा के लिए अथक संघर्ष किया, लड़ाइयाँ लड़ीं क्योंकि मेरे जीवन की गुणवत्ता इसी पर निर्भर थी। मैं जो भी हूँ, उसका अधिकांश हिस्सा उन लोगों के लिए है, जिन्हें मैं प्यार करती हूँ, भरोसा करती हूँ। मैं उन्हें कभी नहीं भूलती।
मेरे पिता ने मुझे लगातार अपने गीत लिखने और अपना नज़रिया बनाने के लिए हिम्मत बढ़ाई। उन्हीं की वजह से मैंने इतनी कम उम्र में गीत लिखना और कम्पोज़ करना शुरू किए।
मुझे याद है, मेरा वज़न अचानक बढ़ गया तो लोगों ने तानें मारना शुरू कर दिए। तब मैं 19 बरस की थी। किसी भी तरह की ड्रेस मुझ पर फिट नहीं बैठती। तानें सुनकर मैं दु:खी होती, असुरक्षित महसूस करती। मुझे लगता मैं अवसाद में चली जाऊँगी। और फिर एक दिन मैं उठी और अपने लिए ख़ेद और दुखी महसूस करना बंद कर दिया। इसीलिए मैंने ‘बूटिलिशियस’ लिखा। जीवन में मिली हर चीज़ का उपयोग करके, इसे अन्य स्त्रियों और पुरुषों के लिए सशक्त बनाने की यह मेरी शुरुआत थी। यह उन लोगों के लिए था, जो मेरी तरह ही जूझ रहे थे।
समुदाय में शक्ति होती है, और मैंने इसे एक सैलून मालिक की बेटी के नाते बड़े होते, काम करते महसूस किया। ख़ूबसूरत महिलाओं से मेरा पहला परिचय टेक्सास में पली-बढ़ी, बीन और कॉर्नब्रेड खाने वाली देवियों से हुआ। मैं बहुत-सी उद्यमशील स्त्रियों से परिचित हुई। मैं उनकी प्रशंसा करता थी। डॉक्टर, व्यवसाय की मालिक, कलाकार, शिक्षिकाएँ, माताएँ, वे सभी मेरी माँ के सैलून से आती थीं। मैंने देखा कि कैसे एक सैलून महिलाओं के लिए अभयारण्य बन सकता है। मुझे एक ग्राहक अच्छी तरह याद है जो एक ओपेरा गायिका थी। वह एक राजसी अश्वेत महिला थी जिसने पूरी दुनिया की यात्रा की थी। वह अविश्वसनीय कहानियाँ सुनाती थी। मुझे उनकी यात्राओं के बारे में सुनना अच्छा लगता। मैंने फ़ैसला किया है कि एक दिन मैं भी दुनिया घूमूँगी और अपनी कहानी बनाऊँगी।
मैंने अपनी माँ को अपने सैलून में उन महिलाओं से लगातार बातचीत करते देखा। वह उन्हें महसूस कराती थीं कि वे कितनी सुंदर दिखती हैं। उनके साथ बात करने, उनकी बातें सुनने और उनके साथ जुड़कर वह उन्हें महसूस कराती कि वे आत्मविश्वास से लबरेज़ हैं। मैंने देखा कि अश्वेत महिलाओं की भावनाएँ आत्मविश्वास से गहरी जुड़ी होती हैं। और वे अपने बालों और सुंदरता से भी गहरी जुड़ी होती हैं। इसीलिए मैं एक ऐसा समुदाय बनाना चाहती हूँ, जहाँ सभी जातियों की महिलाएँ संवाद कर सकें, कुछ रहस्य साझा कर सकें, ताकि हम एक-दूसरे की मददगार बने सकें और एक-दूसरे का हाथ थामकर एक-दूसरे की देखभाल करना जारी रख सकें। मैं भी महिलाओं को अपनी ताक़त महसूस करने और अपनी कहानियाँ बताने का मौक़ा देना चाहती हूँ। यही ताक़त है।
कई स्त्रियों की तरह, मैंने भी यह महसूस किया कि मुझ पर परिवार का बहुत ज़्यादा दबाव है। अपने परिवार और अपनी कंपनी की रीढ़ होने का जानलेवा दबाव मैं हमेशा महसूस करती है। और सब ज़िम्मेदारी निभाते मुझे यह एहसास ही नहीं हुआ कि इसका मेरे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। मैंने अपने पर ध्यान ही नहीं दिया। मैं व्यक्तिगत रूप से अपने जीवन के आधे से अधिक समय तक यात्राओं में रही। इसी कारण अनिद्रा और बेचैनी से जूझती रही। वर्षों तक हील्स पहने डांस करने के कारण मेरी मांसपेशियाँ टूट-फूट गईं। मेरे बालों और त्वचा पर लाइट से लेकर स्प्रे और डाई से लेकर कर्लिंग आयरन की गर्मी और भारी मेकअप का कितना प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में मैंने हर शो में सर्वश्रेष्ठ दिखने के लिए कई रहस्य और तकनीकें सीखी हैं। लेकिन मैं जानती हूँ कि अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए मुझे अपना ख़याल रखना होगा और अपने शरीर की बात सुननी होगी।
मैंने अपने गर्भपात से यह सीखा कि माँ बनने के पहले मुझे ख़ुद की माँ बनना होगा। किसी की पत्नी बनने से पहले ख़ुद का जीवन भी जीना होगा।
अब मैं इस बात पर ध्यान दे रही हूँ कि सुबह उठने पर मैं कैसा महसूस करती हूँ, मन की शांति का क्या हाल है? मैं कितनी बार मन से मुस्कुराती हूँ? मैं अपने दिमाग़ और शरीर को सेहतमंद बनाने के क्या कर रही हूँ? मेरा ध्यान अब इन सब बातों पर है। मैं निरंतर ख़राब सेहत और अपनी ही उपेक्षा के चक्र को तोड़ना सीख रही हूँ। अपनी ऊर्जा को अपने शरीर पर केंद्रित कर रही हूँ और उन सूक्ष्म संकेतों पर ध्यान दे रही हूँ जो मेरा शरीर मुझे हरदम देता रहता है। आपका शरीर आपको वह सब कुछ बताता है, जो आपको जानना और सुनना चाहिए, लेकिन सबसे पहले मुझे सुनना सीखना होगा।
मेरी इच्छा है कि मेरी 40 की उम्र मज़ेदार और आज़ादी से भरपूर हो। मैं वही आज़ादी महसूस करना चाहती हूँ जो मैं अपने जीवन के हर दिन स्टेज पर महसूस करती हूँ। मैं अपने उन पहलुओं का पता लगाना चाहती हूँ जिनके बारे में अनजान हूँ। मैं पति और बच्चों के साथ आनंद लेना चाहती हूँ। मैं बिना काम किए यात्राएँ करना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि अगला दशक उत्सव, आनंद और प्यार देने और पाने का हो। मैं अपना सारा प्यार उन लोगों पर न्योछावर कर देना चाहती हूँ जो मुझे निस्वार्थ प्यार करते हैं। मैंने 40 वर्षों में इतना कुछ किया है कि मैं बस अब अपने जीवन का आनंद लेना चाहती हूँ।
मैं यह दिखाना चाहती हूँ कि आप मौज-मस्ती करते हुए भी उद्देश्यपूर्ण हो सकते हैं, सम्मानजनक हो सकते हैं और अपने मन की बात भी कह सकते हैं। आप सुरुचिपूर्ण और उत्तेजक दोनों एक साथ हो सकते हैं। और फिर भी एक फ़ैशन आइकन बन सकते हैं। मैं हर व्यक्ति के लिए ऐसी आज़ादी की कामना करती हूँ।
मैंने अपना बकाया चुका दिया है और दशकों तक हर नियम का पालन किया। इसलिए अब मैं सारे नियमों को तोड़ सकती हूँ, जिन्हें तोड़ने की निहायत ज़रूरत है। मैं वह सब कुछ कर जाना चाहती हूँ, जो मैं चाहती हूँ। और वह सब भी जिसे लेकर लोग सोचते हैं कि मैं यह कर नहीं पाऊँगी। मैंने सीख लिया है, मुझे सपने देखते रहना है।
मैंने सीख लिया है, मुझे सपने देखते रहना है...
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