वर्षा पर बेला
ऋतुओं का वर्णन और उनके
अवलंब से प्रसंग-निरूपण काव्य का एक प्रमुख तत्त्व रहा है। इनमें वर्षा अथवा पावस ऋतु की अपनी अद्वितीय उपस्थिति रही है, जब पूरी पृथ्वी सजल हो उठती है। इनका उपयोग बिंबों के रूप में विभिन्न युगीन संदर्भों के वर्णन के लिए भी किया गया है। प्रस्तुत चयन में वर्षा विषयक विशिष्ट कविताओं का संकलन किया गया है।
बारिश आँगनों का स्वप्न है
कई दिनों की लगातार बारिश के बाद मेरे घर के आँगन में यहाँ-वहाँ बारिश का साफ़ पानी तरह-तरह के आकारों में बैठ गया है। आँगन में बने पानी के इन आकारों में पानी का एकांत बैठ गया है। पानी का सौंदर्य, पानी का
भारत कृषिप्रधान देश हुआ करता था!
बरसात का मौसम हर साल प्रकृति को साफ़ करने में योगदान करे या न करे लेकिन भौतिक विकास का प्रपंच किस राज्य की नगरपालिका ने कितना ज़्यादा किया है—यह क्रमशः दिखाने में कसर नहीं छोड़ता; और छोड़े भी क्यों ज