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वर्षा पर बेला

ऋतुओं का वर्णन और उनके

अवलंब से प्रसंग-निरूपण काव्य का एक प्रमुख तत्त्व रहा है। इनमें वर्षा अथवा पावस ऋतु की अपनी अद्वितीय उपस्थिति रही है, जब पूरी पृथ्वी सजल हो उठती है। इनका उपयोग बिंबों के रूप में विभिन्न युगीन संदर्भों के वर्णन के लिए भी किया गया है। प्रस्तुत चयन में वर्षा विषयक विशिष्ट कविताओं का संकलन किया गया है।

29 जुलाई 2025

मालिनी अवस्थी संग 31 जुलाई को बरसेगा सावन झूम-झूम के...

मालिनी अवस्थी संग 31 जुलाई को बरसेगा सावन झूम-झूम के...

इस सावन दिल्ली केवल बारिश में नहीं भीगेगी, बल्कि भारतीय लोक-परंपराओं की आत्मा को छू लेने वाली सुर-धारा में भी सराबोर हो उठेगी। 31 जुलाई 2025 को कमानी ऑडिटोरियम में भारत की लोक संगीत सम्राज्ञी, पद्मश्

07 जुलाई 2025

हथेलियों में बारिश भरती माँ

हथेलियों में बारिश भरती माँ

इलाहाबाद उस दिन मेघों से आच्छादित रहा। कुछ देर तक मूसलाधार फिर रुक-रुक कर बारिश होती रही। मैं अपने कमरे में बैठा अमरूद के पेड़ पर गिर रही बूँदों को देख रहा था। देखते हुए स्मृतियों की बूँदें मेरे मन प

29 मई 2025

बारिश आँगनों का स्वप्न है

बारिश आँगनों का स्वप्न है

कई दिनों की लगातार बारिश के बाद मेरे घर के आँगन में यहाँ-वहाँ बारिश का साफ़ पानी तरह-तरह के आकारों में बैठ गया है। आँगन में बने पानी के इन आकारों में पानी का एकांत बैठ गया है। पानी का सौंदर्य, पानी का

05 दिसम्बर 2024

भारत कृषिप्रधान देश हुआ करता था!

भारत कृषिप्रधान देश हुआ करता था!

बरसात का मौसम हर साल प्रकृति को साफ़ करने में योगदान करे या न करे लेकिन भौतिक विकास का प्रपंच किस राज्य की नगरपालिका ने कितना ज़्यादा किया है—यह क्रमशः दिखाने में कसर नहीं छोड़ता; और छोड़े भी क्यों ज