वर्षा पर सवैया

ऋतुओं का वर्णन और उनके

अवलंब से प्रसंग-निरूपण काव्य का एक प्रमुख तत्त्व रहा है। इनमें वर्षा अथवा पावस ऋतु की अपनी अद्वितीय उपस्थिति रही है, जब पूरी पृथ्वी सजल हो उठती है। इनका उपयोग बिंबों के रूप में विभिन्न युगीन संदर्भों के वर्णन के लिए भी किया गया है। प्रस्तुत चयन में वर्षा विषयक विशिष्ट कविताओं का संकलन किया गया है।

पूजन के हित लेन प्रसून को

पंडित भैरवप्रसाद वाजपेयी 'विशाल'

मखतूल को झूल परो अगरो

लालबिहारी मिश्र 'द्विजराज'

अपने-अपने निज गेहन मैं

ठाकुर बुंदेलखंडी

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