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संवेदना पर बेला

17 नवम्बर 2024

‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए

‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए

साल 2015 में जब मैं ताइवान पहुँचा था तो बहुत रोया था। मेरा मन इस क़दर भटकता था कि मैं वहाँ पहुँचने के चार दिन बाद ही यह जान लेना चाहता था कि मैं कब भारत वापस आ पाऊँगा। लेकिन अब जब मैं ताइवान से लौट र

25 अक्तूबर 2024

अजंता देव की ताँत के धागों से खींची कविताएँ

अजंता देव की ताँत के धागों से खींची कविताएँ

अगर कोई कहे कि अपने लिए बस एक ही फ़ेब्रिक चुनो तो मैं चुनूँगी सूती। सूती में भी किसी एक जगह की बुनाई को ही लेने को मजबूर किया तो चुनूँगी—बंगाल; और बंगाल के दसियों क़िस्म की सूती साड़ियों में से भी कोई

24 अक्तूबर 2024

एक स्त्री बनने और हर संकट से पार पाने के बारे में...

एक स्त्री बनने और हर संकट से पार पाने के बारे में...

हान कांग (जन्म : 1970) दक्षिण कोरियाई लेखिका हैं। वर्ष 2024 में, वह साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली दक्षिण कोरियाई लेखक और पहली एशियाई लेखिका बनीं। नोबेल से पूर्व उन्हें उनके उपन

01 अक्तूबर 2024

जापान में आख़िरी दस दिन

जापान में आख़िरी दस दिन

तीसरी कड़ी से आगे... 13 अगस्त, 2020 भारत लौटने की 23 अगस्त की फ़्लाइट का कंफ़र्मेशन आ गया है एंबेसी से। अंतत: सीट पक्की हो गई। इतनी अनिश्चितता के बाद, कोई ख़बर आई है, लेकिन इस सूचना का क्या मतल

25 अगस्त 2024

वेयर इज़ द फ़्रेंड्स हाउस? : जीवन की सबसे बड़ी सच्चाइयाँ सबसे सरल क्षणों में छिपी होती हैं

वेयर इज़ द फ़्रेंड्स हाउस? : जीवन की सबसे बड़ी सच्चाइयाँ सबसे सरल क्षणों में छिपी होती हैं

ईरानी सिनेमा के महान् शिल्पी अब्बास कियारोस्तमी एक ऐसे सिनेकार (जो चित्रकार बनना चाहते थे) थे, जिन्होंने फ़िल्म के कैनवास पर जीवन के रंगों को इस तरह बिखेरा, मानो कोई कवि अपने शब्दों से कविता रच रहा ह

23 अगस्त 2024

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

मैं तब भी कुछ नहीं था, और आज भी नहीं, लेकिन कुछ तो तुमने मुझमें देखा होगा कि तुम मेरी तरफ़ उस नेमत को लेकर बढ़ीं, जिसकी दुहाई मैं बचपन से लेकर अधेड़ होने तक देता रहा। कहता रहा कि मुझे प्यार नहीं मिला, न

02 अगस्त 2024

दिल्ली नायकों की आस में जीती है और उन्हीं की सताई हुई है

दिल्ली नायकों की आस में जीती है और उन्हीं की सताई हुई है

जिस तरह निर्मल वर्मा की सभी कृतियाँ बार-बार ‘वे दिन’ हो जाती हैं, कुछ उसी तरह मुझे भी इलाहाबाद के वे दिन याद आते हैं। — ज्ञानरंजन एक ...और मुझे दिल्ली के ‘वे दिन’ याद आते हैं, और बेतरतीब याद

20 जुलाई 2024

‘द सेंस ऑफ़ एन एंडिंग’ : आशिक़ बना देने वाला नॉवेल

‘द सेंस ऑफ़ एन एंडिंग’ : आशिक़ बना देने वाला नॉवेल

इंसान शायद इसीलिए सबसे अकेला जानवर भी है, क्योंकि उसने अपने लिए जीवन के उसूल बनाए हैं। जूलियन बार्न्स के नॉवेल ‘द सेंस ऑफ़ एन एंडिंग’ का जब मैंने अध्ययन किया, तब उनकी इस छोटी-सी किताब से मुझे अप

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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