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कोरोना पर बेला

साल 2019 के आख़िरी महीने

में दृश्य में आई कोरोना महामारी ने सारे संसार को प्रभावित और विचलित किया। साहित्य का संसार भी इस आपदा से अछूता नहीं रहा। संसार की कई भाषाओं में इस दरमियान कोरोना-केंद्रित साहित्य रचा गया। हिंदी में भी इसकी प्रचुरता रही। हिंदी कविता के लगभग सभी प्रमुख कवियों ने कोरोना और उससे उपजे असर को अपनी कविता का विषय बनाया।

01 अक्तूबर 2024

जापान में आख़िरी दस दिन

जापान में आख़िरी दस दिन

तीसरी कड़ी से आगे... 13 अगस्त, 2020 भारत लौटने की 23 अगस्त की फ़्लाइट का कंफ़र्मेशन आ गया है एंबेसी से। अंतत: सीट पक्की हो गई। इतनी अनिश्चितता के बाद, कोई ख़बर आई है, लेकिन इस सूचना का क्या मतल

26 सितम्बर 2024

नया साल और कोरोना का वो उदास मौसम...

नया साल और कोरोना का वो उदास मौसम...

दूसरी कड़ी से आगे... 30 दिसंबर, नोज़ोमु के घर नोज़ोमु का मैसेज आया है, हमें 1 बजे स्टेशन के लिए निकलना है। मैं अपने छोटे से सूटकेस में सामान रख रही हूँ। हम ओइता और बेप्पू जा रहे हैं। ओइता में नोज़

04 अगस्त 2024

मुग़लसराय से दिल्ली : मित्रता के तीस साल

मुग़लसराय से दिल्ली : मित्रता के तीस साल

मेरे एक मित्र हैं सुखलाल जी। उनसे मेरी मित्रता के लगभग तीस साल होने को हैं। वैसे तो वह मेरे साथ दिल्ली महानगर में एक प्रकाशन में काम कर चुके हैं, लेकिन उनसे और नज़दीकियाँ इसलिए हैं कि वह मेरे गाँव क्

18 जुलाई 2024

एक कोरोजीवी का ख़ुद को ख़त

एक कोरोजीवी का ख़ुद को ख़त

प्रिय ‘मैं’ घड़ी के अश्रांत पाँव मुझे हमेशा रोचक लगे हैं। उनके आगे चलते जाने की प्रतिबद्धता मुझे हैरत और हिम्मत से सराबोर करती है। तुम्हें पता है कि मेरी हमेशा से यह अकारथ इच्छा रही है—जो कि संभवतः

05 जुलाई 2024

आवाज़ की दुनिया के दोस्तो!

आवाज़ की दुनिया के दोस्तो!

कोविड की हाहाकारी लहर के बीच जनजीवन का ख़तरा इतना अबूझ था कि लोग उसे हर संभव जानने-समझने की कोशिश में लगे थे। वे हर किसी की बात सुन रहे थे, गुन रहे थे, धुन रहे थे। उनके लिए आख़िरी और प्रामाणिक सत्य कुछ

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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