‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए
देवेश पथ सारिया
17 नवम्बर 2024
साल 2015 में जब मैं ताइवान पहुँचा था तो बहुत रोया था। मेरा मन इस क़दर भटकता था कि मैं वहाँ पहुँचने के चार दिन बाद ही यह जान लेना चाहता था कि मैं कब भारत वापस आ पाऊँगा। लेकिन अब जब मैं ताइवान से लौट रहा हूँ तो मैं उससे कहीं ज़्यादा दुखी हूँ। मेरी हालत उस गाने जैसी हो गई है, जिसमें नायिका कहती है—“बेगाने को अपना कहने लगी मैं, बना मेरा अपना बेगाना।”
मैं इस बेगाने मुल्क की मुहब्बत में पड़ गया हूँ जिसे दुनिया के ज़्यादातर मुल्क बाक़ायदा एक मुल्क भी नहीं मानते।
मैं लोगों को धन्यवाद देने के लिए चाइनीज शब्द ‘शीशै’ (Xiexie) बोलने वाला होता हूँ और मुझे बीच रास्ते में एहसास होता है कि मैं ताइवान में नहीं हूँ। बीच रास्ते में मैं ‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदल देता हूँ।
मेरा पुराना फ़ोन भारत में मेरे क़स्बे से चोरी हो गया है, उसमें बहुत-सी ऐसी चीज़ें थीं जिनका कोई बैकअप मेरे पास नहीं है। जैसे कई सारी मेडिकल रिपोर्ट्स। ताइवान में हेल्थ इंश्योरेंस के बल पर बहुत सारी जाँच आसानी से हो जाती थीं। यहाँ डॉक्टर पैसे बनाने के लिए कई ग़ैर-ज़रूरी जाँच लिख दे रहे हैं। पहले फ़ोन की चोरी और फिर डॉक्टर्स का यह व्यवहार। मेरे देश ने मेरा स्वागत कोई बहुत अच्छे ढंग से नहीं किया है।
पुराने फ़ोन में Taiwan शब्द आसानी से टाइप होता था। इस दूसरे फ़ोन पर मैं जब भी Taiwan टाइप करने की कोशिश करता हूँ, Tayyab टाइप हो जाता है। जो देश मेरी आदतों में इस तरह घुला हुआ है, उसका नाम भी मैं आसानी से टाइप नहीं कर पा रहा हूँ।
बदलाव की इस यात्रा को मैं एक डायरी के तौर पर दर्ज कर रहा हूँ। यह मेरी ताइवान से लौटने के बाद की डायरी है। मेरी डायरी का एक अंश यहाँ प्रस्तुत है—
28 सितंबर 2024
कल ताइवान से बैंकॉक होते हुए भारत की फ़्लाइट थी। बैंकॉक से भारत की फ़्लाइट में कितनी ही सस्ती प्रवृत्ति वाले भारतीय मर्द मौजूद थे। हालाँकि वह अपने पैसे का भौंड़ा प्रदर्शन करने से नहीं चूक रहे थे। उनमें से एक था जो वर्साचे के थैलों में सामान लेकर जा रहा था। थैलों के माध्यम से वह दिखाना चाहता था कि उसकी औकात कितनी ऊँची है। शक्ल-सूरत से वह पंजाबी लग रहा था। पंजाबी पूरी दुनिया में मेरे प्रिय लोग हैं लेकिन उनका बस यही दिखावा मुझे नहीं पसंद।
फ़्लाइट से उतरते समय वह एयर हॉस्टेस से ज़िद करने लगा कि अपना मास्क उतार दे। वह विनम्रता से मना करने लगी तो बोला कि अगली बार मिलेंगे तो मैं आपको पहचानूँगा कैसे? लड़की ने फिर भी मना किया। फिर उस मर्द ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और एयर होस्टेस से हाथ मिलाने की ज़िद करने लगा। लड़की ने हाथ जोड़कर अभिवादन किया और कहा कि आप आगे बढ़िए, फ़्लाइट से उतरने का समय है। आदमी इतने पर भी नहीं माना और ज़बरदस्ती लड़की का हाथ छू लिया।
मुझे बहुत बुरा लगा देखकर। मैं उस आदमी के पीछे ही था और मैंने एयर हॉस्टेस से कहा कि मैं इसकी बदतमीज़ी के लिए माफ़ी चाहता हूँ।
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