साहित्य और संस्कृति की घड़ी
सड़क के किनारे फ़ुटपाथ पर लेटा बूढ़ा व्यक्ति लगातार खाँस रहा है। बग़ल में बैठा जवान बेटा हथेली पर खैनी ठोंकते हुए खाना बनने का इंतज़ार कर रहा है। चेस-नुमा शरीर के साथ अधनंगा एक छोटा बच्चा खेल रहा है।
12 नवम्बर 2025
अभी-अभी, मुझे रात के क़रीब 8:30 बजे एक फ़ोन कॉल आया। दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे मेरे एक घनिष्ठ मित्र ने घबराए हुए स्वर में बताया, “भैया, मेरा बैग चोरी हो गया है! क्लासरूम से ग़ायब!” यह सुनत
12 नवम्बर 2025
जो लोग सफल नहीं होते हैं, उनमें आम तौर पर एक ख़ास विशेषता होती है। उन्हें विफलता के सभी कारणों का पता होता है और वे उपलब्धि की अपनी कमी के स्पष्टीकरण के लिए विश्वस्त ठोस बहाने बनाते हैं। इन बहानों में
11 नवम्बर 2025
सोन्या! वह जैसे ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ के उजाड़ नैतिक दृश्य से एक विसंगति रखती है। वह किसी आदर्श प्रतिमा की तरह नहीं गढ़ी गई है, बल्कि एक जीवित विडंबना है। कैसी स्त्री जो अँधेरे में दीप्त होती है!
चाहता हूँ कि छितवन को उसके नाम से भूल जाऊँ, कहीं से गुज़रूँ तो उसकी महक नथुनों में घुसे और मैं बेचैन होकर उस महक का पता खोजता फिरूँ। मैं उन दिनों को फिर से जीना चाहता हूँ, महसूस करना चाहता हूँ; और उस
10 नवम्बर 2025
लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले दूसरे हंगेरियन लेखक हैं। उनसे पहले यह सम्मान दिवंगत इमरे केर्तेश (Imre Kertész) (1929 –2016) को मिला था, जिनकी हंगरी के बाहर
09 नवम्बर 2025
इक़बाल एक महान् कवि थे, इक़बाल एक महान् दार्शनिक थे, इक़बाल एक महान् चिंतक थे, इक़बाल एक महान् मुस्लिम थे आदि-आदि। इक़बाल के बारे में हम ज़्यादातर यही सुनते आए हैं। इक़बाल जो भी हैं महान् हैं। महान्
नब्बे का दशक मेरे लिए रूमानी-दौर रहा। कठोर हिदायतों और ताक़ीदों के बाद भी मैं नज़र बचाकर इश्क़िया किताबों में सिर दिए रहती। पढ़ाई की किताबों में छिपाकर दम-ब-दम ‘मिल्स एंड बून’ (Mills & Boon) के रूमानी उप
मित्र को प्यार हो गया है—सच्चा प्यार। पाकीज़ा मुहब्बत। ट्रू लव टाइप मामला लग रहा है। जबसे वह प्रेम की गिरफ़्त में आए हैं, तभी से खोये-खोये से रहते हैं। उनकी रातें भी अब आँखों में गुज़रती हैं। इस चक्क
07 नवम्बर 2025
“The struggle itself toward the heights is enough to fill a man’s heart. One must imagine Sisyphus happy.” —अल्बैर कामू, द मिथ ऑफ़ सिसिफ़स कुछ सुबहें होती हैं जब दुनिया कुछ तिरछी प्रतीत होती है