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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

19 सितम्बर 2025

‘भाषा सीखने से जुड़ी स्मृति : एक बच्चे की नज़र से’

‘भाषा सीखने से जुड़ी स्मृति : एक बच्चे की नज़र से’

यह 21वीं सदी का कोई पहला या दूसरा ही साल था। यह मेरे स्कूल के दिनों की बात है। यही वह समय था, जब स्कूल जाने में ख़ूब मज़ा आता था और मैं अपना अधिकांश समय स्कूल की कक्षाओं में बैठते हुए बिताता था। विज्ञान

16 सितम्बर 2025

कहानी : सेंटिनली : लहरों के पार एक दुनिया

कहानी : सेंटिनली : लहरों के पार एक दुनिया

सूरज अपनी पूरी ऊँचाई पर था और उत्तरी सेनटिनल द्वीप के सफेद रेत वाले तट चमक रहे थे। चारों ओर एक अनकही शांति फैली हुई थी, जिसे केवल लहरों की धीमी सरसराहट और तट पर खड़े नारियल के पेड़ों की हल्की सरसरगाह

15 सितम्बर 2025

विश्वविद्यालय के प्रेत

विश्वविद्यालय के प्रेत

सन् सत्रह के जुलाई महीने की चौथी तारीख़ थी। मैं अच्छे बच्चे की तरह बारहवीं के आगे की पढ़ाई करने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में दाख़िला लेने के लिए बनारस जा पहुँचा था। कॉलेजों की, यूनिवर्सिटियों क

12 सितम्बर 2025

प्रेम तुम्हारे लिए नहीं है

प्रेम तुम्हारे लिए नहीं है

पेट में कई रोज़ से पीर उठती है। उठती क्या है बंद ही नहीं है। जितनी देर आँख लगी रहे, उतनी ही देर पता नहीं चलता। नहीं तो हर पल छोटी-छोटी सुइयाँ चुभती हुई महसूस होती हैं। कभी लगता है बहुत सारे कीड़े

11 सितम्बर 2025

मुक्तिबोध का दुर्भाग्य

मुक्तिबोध का दुर्भाग्य

आज 11 सितंबर है—मुक्तिबोध के निधन की तारीख़। इस अर्थ में यह एक त्रासद दिवस है। यह दिन याद दिलाता है कि आधुनिक हिंदी कविता की सबसे प्रखर मेधा की मृत्यु कितनी आसामयिक और दुखद परिस्थिति में हुई। जैसा कि

11 सितम्बर 2025

भारत भवन और ‘अँधेरे में’ मुक्तिबोध की पांडुलिपियाँ

भारत भवन और ‘अँधेरे में’ मुक्तिबोध की पांडुलिपियाँ

जब हमने तय किया कि भारत भवन जाएँगे तो दिन शाम की कगार पर पहुँच चुका था। ऊँचे किनारे पर पहुँचकर सूरज को अब ताल में ढलना था। महीना मई का था, लिहाज़ा आबोहवा गर्म थी। शनिवार होने के बावजूद लोगों की उपस्थ

11 सितम्बर 2025

‘मुक्तिबोध’ की परम अभिव्यक्ति ‘विद्रोही’

‘मुक्तिबोध’ की परम अभिव्यक्ति ‘विद्रोही’

मुक्तिबोध का रहस्यमय व्यक्ति जो उनके परिपूर्ण का आविर्भाव है, वह रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ है। मुक्तिबोध के काव्य में बड़ी समस्या है—सेंसर की। वहाँ रचना-प्रक्रिया के तीसरे क्षण में ‘जड़ीभूत सौंदर्याभिरु

09 सितम्बर 2025

कहानी : लील

कहानी : लील

‘लील’—एक प्रादेशिक हिंदू रिवाज है, जो अधिकतर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र प्रदेश में देखने को मिलता है। इस रिवाज के अनुसार अगर किसी पुरुष का विवाह ना हुआ हो और उसकी मृत्यु हो जाए, तो उसकी वासनापूर्ति और

08 सितम्बर 2025

ऋषिकेश : नदी के नगर का नागरिक होना

ऋषिकेश : नदी के नगर का नागरिक होना

शहर हम में उतने ही होते हैं, जितने हम शहर में होते हैं। ऋषिकेश मेरे लिए वक़्त का एक हिस्सा है। इसकी सड़कों, गलियों, घाटों और मंदिरों को थोड़ा जिया है। जीते हुए जो महसूस होता है, वही तो जीवन का अनुभव

06 सितम्बर 2025

शब्दचित्र : रेखा चाची और मेरी माँ

शब्दचित्र : रेखा चाची और मेरी माँ

आरुष मिश्र, सरदार पटेल विद्यालय, नई दिल्ली में कक्षा दसवीं में पढ़ने वाले किशोर हैं। पिछले वर्ष जब वह कक्षा नवीं में थे तो गर्मी की छुट्टियों में उनकी कक्षा को हिंदी विषय में एक कार्य मिला था। उसमें