Font by Mehr Nastaliq Web

बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

14 नवम्बर 2025

‘अँगूठा मेहनत कर रहा है, दिमाग़ आराम!’

‘अँगूठा मेहनत कर रहा है, दिमाग़ आराम!’

सड़क के किनारे फ़ुटपाथ पर लेटा बूढ़ा व्यक्ति लगातार खाँस रहा है। बग़ल में बैठा जवान बेटा हथेली पर खैनी ठोंकते हुए खाना बनने का इंतज़ार कर रहा है। चेस-नुमा शरीर के साथ अधनंगा एक छोटा बच्चा खेल रहा है।

12 नवम्बर 2025

एक बैग की चोरी

एक बैग की चोरी

अभी-अभी, मुझे रात के क़रीब 8:30 बजे एक फ़ोन कॉल आया। दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे मेरे एक घनिष्ठ मित्र ने घबराए हुए स्वर में बताया, “भैया, मेरा बैग चोरी हो गया है! क्लासरूम से ग़ायब!” यह सुनत

12 नवम्बर 2025

केवल नाम के बूढ़े आदमी द्वारा बनाए गए ‘सत्तावन’ प्रसिद्ध बहाने

केवल नाम के बूढ़े आदमी द्वारा बनाए गए ‘सत्तावन’ प्रसिद्ध बहाने

जो लोग सफल नहीं होते हैं, उनमें आम तौर पर एक ख़ास विशेषता होती है। उन्हें विफलता के सभी कारणों का पता होता है और वे उपलब्धि की अपनी कमी के स्पष्टीकरण के लिए विश्वस्त ठोस बहाने बनाते हैं। इन बहानों में

11 नवम्बर 2025

पाप से अछूती देवी नहीं, करुणा से पवित्र हुई पापिनी!

पाप से अछूती देवी नहीं, करुणा से पवित्र हुई पापिनी!

सोन्या! वह जैसे ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ के उजाड़ नैतिक दृश्य से एक विसंगति रखती है। वह किसी आदर्श प्रतिमा की तरह नहीं गढ़ी गई है, बल्कि एक जीवित विडंबना है। कैसी स्त्री जो अँधेरे में दीप्त होती है!

10 नवम्बर 2025

छितवन : स्मृति में बसी गंध

छितवन : स्मृति में बसी गंध

चाहता हूँ कि छितवन को उसके नाम से भूल जाऊँ, कहीं से गुज़रूँ तो उसकी महक नथुनों में घुसे और मैं बेचैन होकर उस महक का पता खोजता फिरूँ। मैं उन दिनों को फिर से जीना चाहता हूँ, महसूस करना चाहता हूँ; और उस

10 नवम्बर 2025

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई : विनाशकारी भविष्य की आहटों को सुनने वाला लेखक

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई : विनाशकारी भविष्य की आहटों को सुनने वाला लेखक

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले दूसरे हंगेरियन लेखक हैं। उनसे पहले यह सम्मान दिवंगत इमरे केर्तेश (Imre Kertész) (1929 –2016) को मिला था, जिनकी हंगरी के बाहर

09 नवम्बर 2025

इक़बाल : विरोधाभासों से भरा एक राजनीतिज्ञ

इक़बाल : विरोधाभासों से भरा एक राजनीतिज्ञ

इक़बाल एक महान् कवि थे, इक़बाल एक महान् दार्शनिक थे, इक़बाल एक महान् चिंतक थे, इक़बाल एक महान् मुस्लिम थे आदि-आदि। इक़बाल के बारे में हम ज़्यादातर यही सुनते आए हैं। इक़बाल जो भी हैं महान् हैं। महान्

08 नवम्बर 2025

हम ‘प्यार’ को काम समझे,  वह ‘काम’ को प्यार!

हम ‘प्यार’ को काम समझे, वह ‘काम’ को प्यार!

नब्बे का दशक मेरे लिए रूमानी-दौर रहा। कठोर हिदायतों और ताक़ीदों के बाद भी मैं नज़र बचाकर इश्क़िया किताबों में सिर दिए रहती। पढ़ाई की किताबों में छिपाकर दम-ब-दम ‘मिल्स एंड बून’ (Mills & Boon) के रूमानी उप

08 नवम्बर 2025

प्यार के बाज़ार में

प्यार के बाज़ार में

मित्र को प्यार हो गया है—सच्चा प्यार। पाकीज़ा मुहब्बत। ट्रू लव टाइप मामला लग रहा है। जबसे वह प्रेम की गिरफ़्त में आए हैं, तभी से खोये-खोये से रहते हैं। उनकी रातें भी अब आँखों में गुज़रती हैं। इस चक्क

07 नवम्बर 2025

कामू-कमला-सिसिफ़स

कामू-कमला-सिसिफ़स

“The struggle itself toward the heights is enough to fill a man’s heart. One must imagine Sisyphus happy.” —अल्बैर कामू, द मिथ ऑफ़ सिसिफ़स कुछ सुबहें होती हैं जब दुनिया कुछ तिरछी प्रतीत होती है