Font by Mehr Nastaliq Web

बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

27 जून 2025

‘आचार्य शुक्ल के इतिहास के बहाने : आदिकाल के अप्रासंगिक होने पर सवाल?’

‘आचार्य शुक्ल के इतिहास के बहाने : आदिकाल के अप्रासंगिक होने पर सवाल?’

सास्त्र सुचिंतित पुनि पुनि देखिअ। —३६, अरण्यकाण्ड, श्रीरामचरितमानस तुलसी की इस पंक्ति का शीर्षक रूप में प्रयोग करते हुए ‘नागरीप्रचारिणी सभा’ द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पुनर्संस्कारित इतिहास प

26 जून 2025

नायक खोजते अ-नायक हो तुम

नायक खोजते अ-नायक हो तुम

उल्टी धार के लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए। परेशानियों का शुक्रिया कहना चाहिए। अधम मनुष्यों से दूर रहना चाहिए। कविता में सूक्तियों के बारे में जो सोचते हो, गद्य में अगर सूक्तियाँ बन जाती हों, तो उनको बन

24 जून 2025

'आलोचना' सह पाएगी अपनी आलोचना!

'आलोचना' सह पाएगी अपनी आलोचना!

राजकमल प्रकाशन समूह की त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ [अंक-77] ने ‘इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता’ शीर्षक से एक विशेषांक गए दिनों प्रकाशित किया। इस अंक पर साहित्य संसार में काफ़ी बातचीत हुई, जिसे फ़ेसबुकिया

23 जून 2025

महान् कविताओं के बिंब कैसे होते हैं!

महान् कविताओं के बिंब कैसे होते हैं!

दुपहर हो गई थी। मेरा वह साथी अपनी लंबी कविता का कुछ हिस्सा पढ़ाकर वापस लौट आया था। उसने आते ही मुझे फ़ोन किया और लाइब्रेरी से बाहर बुला लिया। आज वह चहक रहा था। उसके चेहरे पर अतिरिक्त उत्साह के निशान स

22 जून 2025

सब कुछ ऊब के ख़िलाफ़ एक तिलिस्म है

सब कुछ ऊब के ख़िलाफ़ एक तिलिस्म है

एक  It doesn’t take much to console us, because it doesn’t take much to distress us. The Misery of Man without God (B. Pascal, Pensées) मैं पहली बार बर्फ़ से ढके पहाड़ देख रहा था—वह कुछ और

20 जून 2025

8/4 बैंक रोड, इलाहाबाद : फ़िराक़-परस्तों का तीर्थ

8/4 बैंक रोड, इलाहाबाद : फ़िराक़-परस्तों का तीर्थ

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एम.ए. में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी मेरे मित्र बन गए। मैं उनसे उम्र में छोटा था, लेकिन काव्य हमारे मध्य की सारी सीमाओं पर हावी था। हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। उनका नाम वीरेंद्र

19 जून 2025

आप हमारी प्लेट में देखकर हमें जज क्यों करते हो!

आप हमारी प्लेट में देखकर हमें जज क्यों करते हो!

कुछ सवाल जो मांसाहारी, मुझसे या/और वीगनवादियों से लगातार पूछते हैं—इसलिए नहीं कि उनको उत्सुकता है, बल्कि सिर्फ़ इसलिए कि वो मुझे अपमानित कर सकें। वो नहीं जानते कि इस दौरान वो पूरी तरह नंगे हो जाते है

18 जून 2025

पिन-कैप्चा-कोड की दुनिया में पिता के दस्तख़त

पिन-कैप्चा-कोड की दुनिया में पिता के दस्तख़त

लिखने वाले अपनी उँगलियों का हर क़लम के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते। उनके भीतर एक आदर्श क़लम की कल्पना होती है।  हर क़लम का अपना स्वभाव होता है। अपनी बुरी आदतें और कुछ दुर्लभ ख़ूबियाँ भी।  मैंने ह

17 जून 2025

पूर्वांचल के बंकहों की कथा

पूर्वांचल के बंकहों की कथा

कहते हैं इवोल्यूशन के क्रम में, हमारे पूर्वज सेपियंस ने अफ़्रीका से पदयात्रा शुरू की थी और क्रमशः फैलते गए—अरब, तुर्की, बाल्कन, काकेशस, एशिया माइनर, भारत, चीन; और एक दिन हर उस ज़मीन पर उनकी चरण पादुक

12 जून 2025

‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही’

‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही’

‘बॉर्डर 2’ का विचार सुनते ही जो सबसे पहला दृश्य मन में कौंधा, वह बालकनी में खड़े होकर पिता का कहना था—‘अब सनी देओल में वो बात नहीं रही।’ इस वाक्य में सिर्फ़ एक अभिनेता का अवसान नहीं था, एक पूरे युग क