साहित्य और संस्कृति की घड़ी
एक पुस्तक को पढ़ने के कितने तरीक़े हो सकते हैं! आइए देखें : • एक तरीक़ा तो वह है जो मैं किसी भी नई पुस्तक को हाथ में लेते ही शुरू कर देता हूँ। उसे पेज-दर-पेज पलटते जाना। साथ मे उसके सारे अध्यायों के श
बच्चों के साथ विहान ड्रामा वर्क्स, भोपाल की विशेष नाट्य कार्यशाला शुरू हो चुकी है। यह नाटक कार्यशाला 01 मई 2024 से 26 मई 2024 तक चलेगी तथा इस दौरान बच्चों के साथ मिलकर नाटक ‘पीली पूँछ’ तैयार किया जाए
जेएनयू द्वारा आयोजित वर्ष 2012 की (एम.ए. हिंदी) प्रवेश परीक्षा के परिणाम में हर साल की तरह छोटे गाँव और क़स्बे इस दुर्लभ टापू की शांति भंग करने के लिए घुस आए थे। हमारी क्लास एलएसआर और मिरांडा हाउस जैस
‘समारा का क़ैदी’ एक प्राचीन अरबी कहानी है। इस कहानी का आधुनिक रूपांतरण सोमरसेट मौ'म ‘अपॉइंटमेंट इन स्मारा’ (1933) नाम से कर चुके हैं। यहाँ इस कहानी का चित्रकथात्मक रूपांतरण कर रहे—अविरल कुमार और मैना
पिता का जाना पिता के जाने जैसा ही होता है, जबकि यह पता होता है कि सभी को एक दिन जाना ही होता है फिर भी ख़ाली जगह भरने हम सब दौड़ते हैं—अपनी-अपनी जगहों को ख़ाली कर एक दूसरी ख़ाली जगह को देखने। वह जगह
वह सावन की कोई दुपहरी थी। मैं अपने पैतृक आवास की छत पर चाय का प्याला थामे सड़क पर आते-जाते लोगों और गाड़ियों के कोलाहल को देख रही थी। मैं सोच ही रही थी कि बहुत दिन हो गए, नाऊन चाची की कोई खोज-ख़बर नहीं
23 अप्रैल 2024
एक शहर में कितने शहर होते हैं, और उन कितने शहरों की कितनी कहानियाँ? वाराणसी, बनारस या काशी की लोकप्रिय छवि विश्वनाथ मंदिर, प्राचीन गुरुकुल शिक्षा के पुनरुत्थान स्वरूप बनाया गया बनारस हिंदू विश्वविद्य
कुछ मित्र अक्सर हिंदी में प्रूफ़ रीडिंग की दुर्गति पर विचार करते रहते हैं। ऐसे में अचानक थोड़ी पुरानी बात याद आ गई। मैं एक बार हिंदी के एक बड़े लेखक के घर बैठा हुआ था। मैंने बातों-बातों में ही ख़र्च
एक भाषा में कालजयी महत्त्व प्राप्त कर चुकीं साहित्यिक कृतियों के पुनर्पाठ के लिए केवल समालोचना पर निर्भर रहना एक तरह की अकर्मठता और पिछड़ेपन का प्रतीक है। यह निर्भरता तब और भी अनावश्यक है जब आलोचना-पद
माहेश्वर तिवारी [1939-2024]—एक भरा-पूरा नवगीत नेपथ्य में चला गया—अपनी कभी न ख़त्म होने वाली गूँज छोड़कर। एक किरन अकेली पर्वत पार चली गई। एक उनका होना, सचमुच क्या-क्या नहीं था! उन्हें रेत के स्वप्न आते
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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