Font by Mehr Nastaliq Web

वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची


ज्ञानरंजन ने अपने एक वक्तव्य में कहा है : ‘‘सूची कोई भी बनाए, कभी भी बनाए; सूचियाँ हमेशा ख़ारिज की जाती रहेंगी, वे विश्वसनीयता पैदा नहीं कर सकतीं—क्योंकि हर संपादक, आलोचक के जेब में एक सूची है।’’

इस तीखी सचाई से परिचित होने के बावजूद हम फिर उपस्थित हैं। वर्ष 202120222023 और 2024 में हमने ‘हिन्दवी’ पर ‘इसक’ के अंतर्गत ऐसे 21 कवियों की कविताएँ प्रस्तुत कीं, जिन्होंने गए 24-25 वर्षों में हिंदी-कविता-संसार में अपनी अस्मिता और उपस्थिति को पाया और पुख़्ता किया। इसक—यानी 21वीं सदी की कविता का संक्षिप्त रूप—की परिकल्पना को प्रकट और स्पष्ट करते हुए हम कहते आए हैं कि इसक हमारी मुख्य योजनाओं में सम्मिलित है और यह हमारा वार्षिक आयोजन है। इस प्रसंग में ही अब प्रस्तुत है—इसक-2025

इसक की इस पाँचवीं सूची में हम 21 ऐसे कवियों की कविताएँ प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनमें से कुछ के पहले कविता-संग्रह 2023-24 में प्रकाशित हुए हैं, कुछ हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और वेबसाइट्स में/पर नियमित प्रकाशित हुए हैं, तो कुछ ने सीधे ‘फ़ेसबुक’ पर कविताएँ रचकर अपनी रचनात्मक अस्मिता अर्जित की है। कुछ हिंदी विभाग से संबद्ध हैं तो कुछ संपादन से तो कुछ सोशल मीडिया के वायरल-वैभव से... 

भिन्न-भिन्न भौगोलिकताओं से आते और उनमें सतत भटकते, विस्थापित होते हुए इन कवियों के सामने जीवन और आजीविका से जूझने के अनिवार्य प्रश्न और संकट बने हुए हैं। इन प्रश्नों के बीच इनमें से कुछ कवि ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों में काम कर रहे हैं और ख़ुद को एक बड़ा काम करने के लिए तैयार कर रहे हैं।

इसक-2021, इसक-2022, इसक-2023, इसक-2024 के बाद अब इसक-2025 के संदर्भ में भी हमारी कोशिश है कि नव वर्ष के आरंभिक 21 दिनों में हम इन 21 कवियों को और जान सकें। इस प्रसंग में इन कवियों से बातचीत, उनका गद्य, उनके उद्धरण, वीडियो, कविता-कार्ड्स... हम अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर जारी करेंगे। इस क्रम में हम अपना वार्षिक संकल्प भी दुहराते हैं कि हमारा यह भी यत्न है कि हिंदी की आलोचना और समीक्षा-पद्धति भी कुछ बदले और इन कवियों पर विस्तार से बात हो सके। इस प्रकार संभवतः बग़ैर आलोचना के ही हिंदी में महत्त्वपूर्ण कवि मान लिए जाने का प्रचलन समाप्त हो।

बहरहाल, वर्ष 2025 के लिए ‘हिन्दवी’ की इसक-सूची यह है :

अजय नेगी
अमर दलपुरा 
अशोक कुमार 
आमिर हमज़ा 
आलोक आज़ाद 
आशुतोष प्रसिद्ध
कुमार मंगलम   
गौरव भारती 
निशांत कौशिक
नीरव
प्रदीप अवस्थी 
प्राची 
रचित 
रहमान
विजय राही 
शाम्भवी तिवारी 
शिवम चौबे 
शैलेंद्र कुमार शुक्ल
संदीप तिवारी
सत्यव्रत रजक 
सौरभ मिश्र

प्रस्तुत सूची में दर्ज नाम अकारादि-क्रम में हैं। ‘हिन्दवी’ ने हिंदी-साहित्य-संसार में सक्रिय महत्त्वपूर्ण रचनाकारों, आलोचकों और संपादकों से परामर्श के पश्चात् यह सूची पूर्ण की है।

इस सदी की हिंदी कविता को व्यापक स्थान और प्रसार मिले, ‘हिन्दवी’ की यह आकांक्षा अपने आरंभ से ही रही है। इस सिलसिले में स्त्री-कवियों पर एकाग्र एक भिन्न और विशिष्ट आयोजन नई सृष्टि नई स्त्री शीर्षक से हमने महिला दिवस के अवसर पर मार्च-2021 में संभव किया, उसकी दूसरी कड़ी मार्च-2022, तीसरी कड़ी मार्च-2023 और चौथी कड़ी मार्च-2024 में प्रस्तुत की। इस सिलसिले की पाँचवीं कड़ी मार्च-2025 में प्रस्तुत करना हमारी योजनाओं में है। इस प्रक्रिया में नामों के दुहराव से हम भरपूर बच रहे हैं, इसलिए यहाँ प्रस्तुत सूची में स्त्री-कवियों की संख्या कम है। इस अर्थ में देखें तो इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता का पूरा दृश्य समझने के लिए हमारा आग्रह है कि कविता-प्रेमी पाठक हमारे दोनों वार्षिक आयोजनों—इसक और नई सृष्टि नई स्त्री—से गुज़रें।

•••

'इसक'-समग्र के लिए यहाँ देखें : इसक-2021 │ इसक-2022इसक-2023इसक-2024इसक-2025

संबंधित विषय

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

25 अक्तूबर 2025

लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में

25 अक्तूबर 2025

लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में

हमारे यहाँ अनेक लेखक हैं, जो अध्यापन करते हैं। अनेक ऐसे छात्र होंगे, जिन्होंने क्लास में बैठकर उनके लेक्चरों के नोट्स लिए होंगे। परीक्षोपयोगी महत्त्व तो उनका अवश्य होगा—किंतु वह तो उन शिक्षकों का भी

06 अक्तूबर 2025

अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव

06 अक्तूबर 2025

अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव

एक पहलवान कुछ न समझते हुए भी पाँड़े बाबा का मुँह ताकने लगे तो उन्होंने समझाया : अपने धर्म की व्यवस्था के अनुसार मरने के तेरह दिन बाद तक, जब तक तेरही नहीं हो जाती, जीव मुक्त रहता है। फिर कहीं न

27 अक्तूबर 2025

विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना

27 अक्तूबर 2025

विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना

दादा (विनोद कुमार शुक्ल) से दुबारा मिलना ऐसा है, जैसे किसी राह भूले पंछी का उस विशाल बरगद के पेड़ पर वापस लौट आना—जिसकी डालियों पर फुदक-फुदक कर उसने उड़ना सीखा था। विकुशु को अपने सामने देखना जादू है।

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके स

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

मेरा जन्म झाँसी में हुआ। लोग जन्मभूमि को बहुत मानते हैं। संस्कृति हमें यही सिखाती है। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है, इस बात को बचपन से ही रटाया जाता है। पर क्या जन्म होने मात्र से कोई शहर अपना ह

बेला लेटेस्ट