14 नवम्बर 2024
नीत्शे के नीत्शे होने की कहानी
“किधर है नीत्शे?” यह सवाल सुबह से नीत्शे के घर में गूँजता रहता। उसके पिता बोहरे जी, जिनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा है—और जो गाँव के पुजारी और ज्योतिषाचार्य हैं—जो सुबह-सुबह अपने बेटे के घर स
‘कई चाँद थे सरे-आसमाँ’ को फिर से पढ़ते हुए
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी के उपन्यास 'कई चाँद थे सरे-आसमाँ' को पहली बार 2019 में पढ़ा। इसके हिंदी तथा अँग्रेज़ी, क्रमशः रूपांतरित तथा अनूदित संस्करणों के पाठ 2024 की तीसरी तिमाही में समाप्त किए। तब से अब
प्रयाग शुक्ल की चित्रकला : रंगों में बसी संवेदनाएँ
5 अक्टूबर को आर्ट स्पेस, भोपाल में प्रयाग शुक्ल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी ‘Myriad Hues’ का स्नेहिल शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर छाया दुबे, हंसा मिलन कुमार, साधना शुक्ला और प्रीति पोद्दार जैन की समूह प्रदर
एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय
नम्रता राव द्वारा निर्देशित अमेज़न प्राइम डाक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘एंग्री यंग मैन’ मशहूर पटकथा लेखक जोड़ी—सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर के जीवन की एक खोज है, जिनके सहयोग ने 1970 और 80 के दशक में हिंदी-सिनेम
एनएसडी रंगमंडल मना रहा है अपनी हीरक जयंती, होने जा रहे हैं एक से बढ़कर एक नाटक
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School Of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 तक हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह कई मायनों में विशेष है। एनएसडी रंगमंडल की स्थापना
12 जुलाई 2024
लिखना, सुई से कुआँ खोदना है
मेरे लिए, एक लेखक होने का मतलब है किसी व्यक्ति के अंदर छिपे दूसरे व्यक्ति की खोज करना; और उस दुनिया की भी जो वर्षों तक धैर्यपूर्वक काम करके उस व्यक्ति को बनाती है। जब मैं लेखन की बात करता हूँ, तो
कविता में नाटकीयता की खोज
नाटक केवल शब्दों नहीं, अभिनेता की भंगिमाओं, कार्य-व्यापार और दृश्यबंध की संरचना के सहारे हमारे मानस में बिंबों को उत्तेजित कर हमारी कल्पना की सीमा को विस्तृत कर देते हैं और रस का आस्वाद कराते हैं। जि
'मैं एक सतत अलक्षित अवाँगार्द हूँ'
सुख्यात कवि-कथाकार देवी प्रसाद मिश्र की किताब मनुष्य होने के संस्मरण हाल के दिनों में चर्चा में रही है। इस पुस्तक की अन्य कथाओं पर यहाँ उनसे एक बातचीत की है—सरबजीत गरचा ने जो अँग्रेज़ी भाषा के जाने-म
Quotation न होते तब हम क्या करते!
एक “गोयम मुश्किल वगरना गोयम मुश्किल” हम रहस्य की नाभि पर हर रोज़ तीर मार रहे हैं। हम अनंत से खिलवाड़ करके थक गए हैं। हम उत्तरों से घिरे हुए हैं और अब उनसे ऊबे हुए भी। हमारी जुगतें और अटकलें भी एक
कविता की कहानी सुनता कवि
कविता आती है और कवि को आत्मा से शब्द की अपनी यात्रा की दिलचस्प दास्ताँ सुनाने लगती है। कवि के पूछने पर कविता यह भी बताती है कि आते हुए उसने अपने रास्ते में क्या-क्या देखा। कविता की कहानी सुनने का कवि