Font by Mehr Nastaliq Web

एनएसडी रंगमंडल मना रहा है अपनी हीरक जयंती, होने जा रहे हैं एक से बढ़कर एक नाटक

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School Of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 तक हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह कई मायनों में विशेष है। एनएसडी रंगमंडल की स्थापना 1964 में की गई थी, 2024 में यह अपने स्थापना के साठ वर्ष पूरे कर रहा है।

एनएसडी में स्थापना से लेकर अभी तक अनगिनत नाटकों का मंचन किया जा चुका है, जिसमें अलग-अलग समय में विभिन्न कलाकारों ने अभिनय, निर्देशन, नाट्य-लेखन और कई विधाओं से रंगमंडल में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। एनएसडी से संबद्ध कई कलाकार आज के समय की नामचीन हस्तियों में शुमार हैं।

एनएसडी रंगमंडल लगातार भिन्न-भिन्न प्रकार के नाट्य-मंचन के लिए प्रयासरत रही है, जिसमें पौराणिक समय की कहानियों, उपन्यासों और प्रसिद्ध लेखकों की महत्त्वपूर्ण रचनाओं के अलावा भी वर्तमान समय के मुद्दों से जुड़ी नाट्य-प्रस्तुतियाँ को भी शामिल किया जाता रहा है।

एनएसडी रंगमंडल का हीरक जयंती नाट्य समारोह लगातार दो वर्षों तक देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर मनाया जाएगा। इसके लिए ‘रंग रथ द जर्नी ऑफ़ द नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा रेपर्टरी कंपनी’ एक रंग-रथ के माध्यम से हर जगह यात्रा करेगी।

एनएसडी रंगमंडल के चीफ़ राजेश सिंह ने बताया कि इस रंग यात्रा का उद्देश्य देश के उन हिस्सों तक रंगमंच, बेहतर थिएटर और नाटकों को लेकर जाना है, जहाँ इसकी सबसे अधिक ज़रूरत है। रंग-रथ पर रंगमंडल के सभी कलाकार और बाक़ी तमाम लोग अपनी यात्रा से सुदूर क्षेत्रों तक पहुँचकर वहाँ तीन से चार दिनों का एक नाट्य-समारोह आयोजित करेंगे, जिसमें रंगमंडल के नाटकों का मंचन होगा। इसके अतिरिक्त वहाँ थिएटर वर्कशॉप और सेमिनार भी आयोजित किए जाएँगे। इनमें नाट्य-विधा से जुड़ने के लिए नई पौध को उत्साहित किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि साथ-ही-साथ जो लोग एनएसडी से स्नातक हुए हैं या जो निरंतर रंगमंच में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, उनके साथ बातचीत की जाएगी और रंगमंच से जुड़े उनके योगदान के लिए उनको उत्सव का हिस्सा बनाकर यह जश्न मनाया जाएगा।

इस रंग यात्रा को ‘रंग षष्ठि’ का नाम दिया गया है। यह रंग यात्रा नई दिल्ली से होते हुए ग्वालियर, बिहार, शिमला और मुंबई में अलग-अलग जगहों पर नाट्य-समारोह आयोजित करेगी और बेहतर थिएटर की परिकल्पना पर संवाद स्थापित करेगी। यह एनएसडी रंगमंडल के साठ वर्षों की अद्भुत नाट्य-यात्रा से लोगों का परिचय कराएगी।

हीरक जयंती नाट्य समारोह के उद्घाटन सत्र में एनएसडी रंगमंडल में अपना योगदान दे चुके कलाकारों और निर्देशकों के नाटकों का मंचन होगा। एनएसडी रंगमंडल से संबद्ध तमाम कलाकार इस भव्य उत्सव में शामिल भी होंगे। गोविंद नामदेव, राम गोपाल बजाज, आनंद देसाई, पीयूष मिश्रा, प्रतिमा काज़मी, विजय शुक्ला, सुरेश शर्मा, वामन केंद्रे, अनुराधा कपूर, देवेंद्र राज अंकुर, श्रीवर्धन त्रिवेदी, कविता कुंद्रा व टीकम जोशी सहित अन्य कई महत्त्वपूर्ण लोग इस समारोह में उपस्थित रहेंगे।

हीरक जयंती नाट्य समारोह में मंचित होने वाले नाटकों की अपनी अलग ख़ूबियाँ हैं, जिसे देखना दर्शकों के लिए बेहद दिलचस्प रहेगा। इस समारोह की शुरुआत आसिफ़  अली के चितरंजन त्रिपाठी द्वारा निर्देशित नाटक ‘समुद्र मंथन’ से होगी। इस नाटक के बारे में एनएसडी रंगमंडल के चीफ़ राजेश सिंह ने बताया कि यह विश्व का पहला नाटक है, जिसकी चर्चा नाट्य-शास्त्र में भी मौजूद है। यह एक ऐसा महाकाव्य है जिसके दृश्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगे।

इसके अतिरिक्त दो संगीतमय नाटक ‘माई री मैं का से कहूँ’ (लेखक : विजयदान देथा, निर्देशक : अजय कुमार) और ‘बाबू जी’ (लेखक : विभांशु वैभव, निर्देशक : राजेश सिंह) को भी देखना दर्शकों के लिए अलग अनुभव होगा। इन दोनों नाटकों में रंगमंच की महान् विभूति ब. व. कारंत जी के संगीत को पुनः शामिल किया गया है। साथ ही इस समारोह में ‘ताजमहल का टेंडर’ नाटक जिसका मंचन रंगमंडल ने आज से 25 वर्ष पहले 1999 किया था, उसे उन्हीं पुराने कलाकारों के साथ फिर से मंचित किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के वर्तमान निदेशक चितरंजन त्रिपाठी भी अभिनय करते नज़र आएँगे।

समारोह में 9 अलग–अलग नाटकों की कुल 22 प्रस्तुतियाँ होंगी और समारोह के अंतिम दिन ‘रंग संगीत’ आयोजित किया जाएगा। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल के इस नाट्य समारोह में आप भी अपनी उपस्थिति दर्ज करके, इस अनूठी रंग-यात्रा का अपूर्व अनुभव कर सकते हैं। इस आयोजन की पूरी रूपरेखा से गुज़रने के लिए यहाँ देखिए : 

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

28 जुलाई 2025

तमाशे के पार : हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और एक लेखक की आश्वस्ति

28 जुलाई 2025

तमाशे के पार : हिंदी साहित्य की नई पीढ़ी और एक लेखक की आश्वस्ति

इन दिनों साहित्य की दुनिया किसी मेले की तरह लगती है—शब्दों का मेला नहीं, विवादों और आक्षेपों का मेला। सोशल मीडिया की स्क्रॉलिंग करते हुए रोज़ किसी न किसी ‘साहित्यिक’ विवाद से साबका पड़ता है। लोग द

31 जुलाई 2025

सैयारा : दुनिया को उनसे ख़तरा है जो रो नहीं सकते

31 जुलाई 2025

सैयारा : दुनिया को उनसे ख़तरा है जो रो नहीं सकते

इन दिनों जीवन कुछ यूँ हो चला है कि दुनिया-जहान में क्या चल रहा है, इसकी सूचना सर्वप्रथम मुझे फ़ेसबुक देता है (और इसके लिए मैं मार्क ज़ुकरबर्ग या सिलिकॉन वैली में बैठे तमाम तकनीकी कीड़ों का क़तई कृतज्

13 जुलाई 2025

बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है

13 जुलाई 2025

बिंदुघाटी : वाचालता एक भयानक बीमारी बन चुकी है

• संभवतः संसार की सारी परंपराओं के रूपक-संसार में नाविक और चरवाहे की व्याप्ति बहुत अधिक है। गीति-काव्यों, नाटकों और दार्शनिक चर्चाओं में इन्हें महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।  आधुनिक समाज-विज्ञान

08 जुलाई 2025

काँदनागीत : आँसुओं का गीत

08 जुलाई 2025

काँदनागीत : आँसुओं का गीत

“स्त्रियों की बात सुनने का समय किसके पास है? स्त्रियाँ भी स्त्रियों की बात नहीं सुनना चाहतीं—ख़ासकर तब, जब वह उनके दुख-दर्द का बयान हो!” मैंने उनकी आँखों की ओर देखा। उनमें गहरा, काला अँधेरा जमा था,

06 जुलाई 2025

कवियों के क़िस्से वाया AI

06 जुलाई 2025

कवियों के क़िस्से वाया AI

साहित्य सम्मेलन का छोटा-सा हॉल खचाखच भरा हुआ था। मंच पर हिंदी साहित्य के दो दिग्गज विराजमान थे—सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और तत्कालीन नई पीढ़ी के लेखक निर्मल वर्मा। सामने बैठे श्रोताओं की आँखों में चमक

बेला लेटेस्ट