15 जून 2025
बिंदुघाटी : करिए-करिए, अपने प्लॉट में कुछ नया करिए!
• अवसर कोई भी हो सबसे केंद्रीय महत्व केक का होता है। वह बिल्कुल बीचोबीच होता हुआ, फूला हुआ, चमकता हुआ, अकड़ा हुआ, आकर्षित करता हुआ रखा होता है। वह एक विचारहीन प्रविष्टि के रूप में हर जगह आवश्यक बन
बिंदुघाटी : ‘ठीक-ठीक लगा लो’ कहना मना है
• मैं भ्रम की चपेट में था कि फ़ेसबुक और वहाँ के विमर्शों की दुनिया ही अब एकमात्र रह गई है। इसमें जो कुछ छूट गया है—वह भी धीरे-धीरे इसका ही हिस्सा हो जाएगा। जब गत चार साल से मेरे फ़ेसबुकिया संक्रमण में
बिंदुघाटी : क्या किसी का काम बंद है!
• जाते-जाते चैत सारी ओस पी गया। फिर सुबह की धरणी में मद महे महुए मिलने लगे। फिर जाते वैशाख वे भी विदा हुए। पाकड़ हों या पीपर, उनके तले गूदों से पटे पड़े हैं। चिड़ियों को चहचहाने के लिए और क्या चाहिए! भर
बिंदुघाटी : कविताएँ अब ‘कुछ भी’ हो सकती हैं
यहाँ प्रस्तुत इन बिंदुओं को किसी गणना में न देखा जाए। न ही ये किसी उपदेश या वैशिष्ट्य-विधान के लिए प्रस्तुत हैं। ऐसे असंख्य बिंदु संसार में हर क्षण पैदा हो रहे हैं। उनमें से कम ही अवलोकन के वृत्त में