मीडिया पर बेला
मीडिया का सामान्य अर्थ
संचार-माध्यम है। समकालीन संवाद में यह मुख्यतः न्यूज़ मीडिया और सोशल मीडिया को सूचित करता है। मीडिया को लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में देखा जाता है। समय के साथ इसकी छवि सत्ता में अपनी हिस्सेदारी चाहते एक शक्ति-समूह के रूप में भी बनी है। इस चयन में मीडिया के सरोकारों से संबंधित विभिन्न विषयों पर संवाद करती कविताओं का संकलन किया गया है।
व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!
कुछ रोज़ पूर्व एक सज्जन व्यक्ति को मैंने कहते सुना, “रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना अश्लील हैं, क्योंकि वे दोनों अगम्यगमन (इन्सेस्ट) अथवा कौटुंबिक व्यभिचार पर मज़ाक़ करते हैं।” यह कहने वाले व्यक्ति का
जीवन को धुआँ-धुआँ करतीं रील्स
मैं बहुत लंबे समय से इस बात पर चिंतन कर रहा हूँ और यह कितना सही और ग़लत है—यह तो खोजना होगा; पर मैं मान कर चल रहा हूँ कि रोमांस मर चुका है। उसके साथ ही मर चुका है साहित्य। कला दम तोड़ रही है। अगर यह क
महान् दार्शनिक दीपक कलाल का 'मुआ' फ़िनोमिनन
प्रत्येक देश-काल में कोई न कोई प्रसिद्ध दार्शनिक ज़रूर होता है, जो उस समय को चिह्नित करता है और साथ ही उस समय की युग-चेतना को दर्शाने वाला दर्शन प्रस्तुत करता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि महान् दार
व्यक्तित्व-निर्माण की सीढ़ियाँ : प्लेज़र, कंफ़र्ट जोन, बिस्तरों और कुर्सियों में फँसे लोग
आज मानव जिस धरातल पर अपने जीवित होने के हस्ताक्षर—हर क्षण साँसों के द्वारा—जिस तरह कर रहा है, उसे मद्द-ए-नज़र रखते हुए यह सवाल पूछना ज़रूरी हो गया है कि क्या वह वाक़ई जी रहा है? या बस पलायन करना चाहत
आवाज़ की दुनिया के दोस्तो!
कोविड की हाहाकारी लहर के बीच जनजीवन का ख़तरा इतना अबूझ था कि लोग उसे हर संभव जानने-समझने की कोशिश में लगे थे। वे हर किसी की बात सुन रहे थे, गुन रहे थे, धुन रहे थे। उनके लिए आख़िरी और प्रामाणिक सत्य कुछ
सिफ़्सी लेकर आ रहा है देश-विदेश की 150 फ़िल्में
स्माइल फ़ाउंडेशन—यूरोपीय संघ (भारत में यूरोपीय संघ का प्रतिनिधिमंडल) के साथ साझेदारी में बच्चों और नौजवानों के लिए वार्षिक स्माइल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (सिफ्सी) के 10वें संस्करण की मेज़बानी करेगा। स