साहित्य और संस्कृति की घड़ी
कभी-कभी सिनेमा देखने वालों को भी तलब होती है कि ऐसा कोई सिनेमा देखें जो उनके भीतर पनप रहे कोलाहल या एंग्जायटी को ऐसी ख़ुराक दे जिससे उनके दिल-ओ-दिमाग़ को एक शॉक ट्रीटमेंट मिले और वह कुछ ज़रूरी मानवीय मूल
गए दिनों ज्ञान प्रकाश की किताब ‘आपातकाल आख्यान’ आई। राजकमल प्रकाशन से आई इस किताब में, उन्होंने 1975 में लगी इमरजेंसी की चर्चा की है। ज्ञान प्रकाश अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर हैं। य
उपनिवेशित समाजों पर अपनी क़ब्ज़ेदारी को न्यायोचित ठहराने के लिए उपनिवेशकों ने यह बहाना गढ़ा था कि इन समाजों में वैयक्तिक उत्कर्ष की लालसा नहीं है। न ही वे एक समुदाय के रूप में ख़ुद को गठित कर पाने में स
रंगमंचप्रेमियों के लिए इंडिया हैबिटेट सेंटर थिएटर फ़ेस्टिवल का नया संस्करण आयोजित किया जा रहा है। फ़ेस्टिवल का यह संस्करण 20 सितंबर से 29 सितंबर 2024 तक इंडिया हैबिटैट सेंटर लोधी रोड़ में आयोजित किया
घड़ी तो सब ही पहनते हैं। कई सौ सालों पहले जब पीटर हेनलेन ने पहली घड़ी ईजाद की होगी, तो उसके बाप ने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ये इतनी ज़रूरी चीज़ साबित होगी कि दुनिया हिल जाएगी। दानिशमंद लोग कहते
नाट्य संस्था साइक्लोरामा अपने नए नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’ का एक बार फिर से मंचन करने जा रहा है। यह नाटक 21 सितंबर 2024 को एलटीजी सभागार, मंडी हाउस, नई दिल्ली में खेला जाएगा। इसके पिछले प्रदर्शनों को दर
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने आना एक मुश्किल भरा सफ़र रहा। इलाहाबाद आने के बाद, रहने के लिए कमरा मिलना एक बड़ी समस्या थी। इस समस्या का स्थाई समाधान तब हो गया, जब मुझे विश्वविद्यालय के एक छात्रावास
पहली कड़ी से आगे... जनवरी 2020 यह मेरी सर्दी की छुट्टियों की पहली किश्त है। आशा है दूसरी किश्त को लिखने में इतना समय नहीं लूँगी। कल ओसाका की फ्लाइट है, हमें सुबह 8 बजे निकलना है। मैं खाने की
डिस्क्लेमर : क़ुबूलनामा शृंखला में प्रस्तुत लेखों में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो किसी भी व्यक्ति, समूह, समाज, सरकारी-ग़ैरसरकारी संगठन और अधिकारियों से कोई संबंध न
हिंदी साहित्य कहाँ से शुरू करें? यह प्रश्न कोई भी कर सकता है, बशर्ते वह हिंदी भाषा और उसके साहित्य में दिलचस्पी रखता हो; लेकिन प्राय: यह प्रश्न किशोरों और नवयुवकों की तरफ़ से ही आता है। यहाँ इस प्रश्न