Font by Mehr Nastaliq Web

बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

13 अगस्त 2024

‘स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्वाधीनता कहाँ है?’

‘स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्वाधीनता कहाँ है?’

रात का एक अलग सौंदर्य होता है! एक अलग पहचान! रात में कविता बरसती है। रात की सुंदरता को जिसने कभी उपलब्ध नहीं किया, वह कभी कवि-कलाकार नहीं बन सकता—मेरे एक दोस्त ने मुझसे यह कहा था। उन्होंने मेरी तरफ़ घ

12 अगस्त 2024

रवींद्रनाथ ठाकुर के लिए

रवींद्रनाथ ठाकुर के लिए

रवींद्रनाथ ठाकुर के लिए कुछ लेखकों और चित्रकारों ने कविताएँ लिखी थीं। वे सारी कविताएँ और कुछ पत्र ‘द गोल्डन बुक ऑफ़ टैगोर’ में प्रकाशित की गई थीं। यह किताब 1931 में राममोहन पुस्तकालय, कलकत्ता से छपी

10 अगस्त 2024

मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला में यह कहा अशोक वाजपेयी ने

मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला में यह कहा अशोक वाजपेयी ने

8 अगस्त 2024 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक मनोहर श्याम जोशी की जयंती की पूर्व-संध्या पर यह आयोजन जानकीपुल

09 अगस्त 2024

प्रेम और विवाह में प्रेम नहीं है!

प्रेम और विवाह में प्रेम नहीं है!

कैसी विडंबना है कि हर समाज में प्रेम-विवाह और तलाक़ दोनों का प्रचलन एक साथ और एक-सी तेज़ी से बढ़ता रहा है। रूमानी साहित्य और सिनेमा में यह आभास दिया जाता रहा कि प्रेमी-प्रेमिका विवाह-सूत्र में बँधकर

08 अगस्त 2024

सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी

सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी

मणि कौल की फ़िल्म ‘सिद्धेश्वरी’ 1989 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री है, जो प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी के जीवन और कला पर आधारित है। सिद्धेश्वरी देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक म

06 अगस्त 2024

मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे

मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे

तड़के तीन से साढ़े तीन बजे के बीच वह मेरे कमरे पर दस्तक देते, जिसमें भीतर से सिटकनी लगी होती थी। वह मेरा नाम पुकारते, बल्कि फुसफुसाते। कुछ देर तक मैं ऐसे दिखावा करता, मानो मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा हो

06 अगस्त 2024

संवेदना न बची,  इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

संवेदना न बची, इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

24 जुलाई 2024 भतृहरि ने भी क्या ख़ूब कहा है— सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।।  अर्थात् : जिसके पास धन है, वही गुणी है; या यह भी कि सभी गुणों के लिए धन का ही आसरा है।  बताइए, क्या यह आज भी सच

05 अगस्त 2024

मैं जब चाहे बाल नहीं धो सकती

मैं जब चाहे बाल नहीं धो सकती

“आज बाल नहीं धोने हैं।” “क्यों?” “आज एकादशी है।” “पर बाबा तो अभी-अभी शैंपू करके निकले हैं।” “तुमसे तो बात ही करना बेकार है। चार किताब पढ़ के आज के लैकन तेज हो जाई त ह थ...”   औरतों का ब

04 अगस्त 2024

मुग़लसराय से दिल्ली : मित्रता के तीस साल

मुग़लसराय से दिल्ली : मित्रता के तीस साल

मेरे एक मित्र हैं सुखलाल जी। उनसे मेरी मित्रता के लगभग तीस साल होने को हैं। वैसे तो वह मेरे साथ दिल्ली महानगर में एक प्रकाशन में काम कर चुके हैं, लेकिन उनसे और नज़दीकियाँ इसलिए हैं कि वह मेरे गाँव क्

03 अगस्त 2024

बुद्धिजीवी और गधे

बुद्धिजीवी और गधे

बुद्धिजीवियों ने अपना वाहन नहीं बदला। आज भी गधे उनके पसंदीदा वाहन हैं। ...एक गधे को दूसरे गधे से बहुत ईर्ष्या होती है।                                                        बुद्धिजीवी कभी घोड़े क