साहित्य और संस्कृति की घड़ी
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) में 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित हुआ। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होने क
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन
(नोट : इस रेखाचित्र में एक शिक्षक ने अपनी निराशा को क़ैद किया है। यदि आपका हृदय फूलों की तरह कोमल है, तो यह रेखाचित्र सावधान होकर पढ़ें। उसमें दाग़ लग सकते हैं।) यहाँ से न जाने कितनी ट्रेनें-बसें च
भारतीय जन-मानस में एक कॉमन सेंस घर कर गया है—सिखाने वाला बड़ा होता है, सीखने वाला छोटा; इसलिए छोटे का सीखने के लिए बड़े के सामने समर्पण करना ज़रूरी है। यह समर्पण इंसान को ‘विनम्र’ बनाता है, इसी समर्प
ख़ाली वक़्त में फ़ंतासियाँ रचना या दूसरे ढंग से कहें तो फ़ंतासियों के बारे में सोचने के लिए ख़ाली वक़्त निकालना मेरे पसंदीदा कामों में से एक है। मेरी सबसे प्रिय फ़ंतासी यह है—जिसे सोचने में एलियन या
क्या क्रूर सत्ता, उग्र राष्ट्रवाद और बाज़ार प्रेरित तार्किकता से ग्रस्त समाज के लिए शिक्षण के पेशे में निहित गहरी दृष्टि और रचनात्मकता की सराहना और उसका परिपोषण करना संभव है? क्या वह समाज, जो अपनी शि
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन
हिमाचली गाँवों में एक समय था, जब पेछियों के पेट साल भरे-भरे रहते थे। उस समय जब कोई बच्चा ज़्यादा खाता था—तो उसे एक विशेषण से नवाज़ा जाता था कि इसका पेट तो पेछी है, जो कभी भरता ही नहीं। आज यह विशेषण भ