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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

21 अक्तूबर 2024

‘आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ :  हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई’

21 अक्तूबर 2024

‘आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ : हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई’

आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ अवधी में बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ की नई लीक पर चलने वाले कवि हैं। वह वंशीधर शुक्ल, रमई काका, मृगेश, लक्ष्मण प्रसाद ‘मित्र’, माता प्रसाद ‘मितई’, विकल गोंडवी, बेकल उत्साही, जु

19 अक्तूबर 2024

CTRL :  एक बेमेल दुनिया की सच्चाई, जहाँ से बचना लगभग असंभव है

CTRL : एक बेमेल दुनिया की सच्चाई, जहाँ से बचना लगभग असंभव है

कभी-कभी सोचती हूँ कि यह आभासी दुनिया भी कितनी उकताऊ हो चुकी है। कुछ भी आभासी देखने या सुनने का मन नहीं होता। जब मैंने नेटफ़्लिक्स पर ‘CTRL’ देखनी शुरू की, तो मुझे लगा कि यह एआई और डेटा-प्राइवेसी पर आ

17 अक्तूबर 2024

जामिया में हुआ दिल्ली का पहला ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन

जामिया में हुआ दिल्ली का पहला ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के FTK-CIT सभागार में, 16 अक्टूबर को ‘कैंपस कविता’ का आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन रेख़्ता समूह के उपक्रम ‘हिन्दवी’ ने लिटरेरी क्लब, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सहयोग से किया

16 अक्तूबर 2024

जामिया से हो रही है दिल्ली में ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत

जामिया से हो रही है दिल्ली में ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत

‘हिन्दवी उत्सव’ के साथ-साथ हिन्दवी कैंपस कविता भी ‘हिन्दवी’ का एक विशेष आयोजन है—इसके माध्यम से देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर वहाँ के छात्रों को साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित करने क

15 अक्तूबर 2024

आईआईसी से आयुष्मान

आईआईसी से आयुष्मान

बीते हफ़्तों में जितनी बार इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (IIC) जाना हो गया, उतना तो पहले कुल मिलाकर नहीं गया था। सोचा दोस्तों को बता दूँ कि अगर मैं यूनिवर्सिटी में न मिलूँ तो मुझे इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में

15 अक्तूबर 2024

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर हैं। उनका मरणोत्तर जीवन अमिट है। उनकी शहादत अमर है। उनका अंत नहीं हो सकता। उन्ह

14 अक्तूबर 2024

देवदासी प्रथा : धर्म का नशा और दासी स्त्रियों का जीवन

देवदासी प्रथा : धर्म का नशा और दासी स्त्रियों का जीवन

यह सुदूर दक्षिण का उत्तरी इलाक़ा है। प्रकृति इतनी मेहरबान कि आँखों के आगे से पल भर के लिए भी हरियाली नहीं हटती। मुझे देश को समझने की तड़प और भटकन ने यहाँ लाकर पटका है। किताबों में जब पहली बार गाँव के

13 अक्तूबर 2024

‘कई चाँद थे सरे-आसमाँ’ को फिर से पढ़ते हुए

‘कई चाँद थे सरे-आसमाँ’ को फिर से पढ़ते हुए

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी के उपन्यास 'कई चाँद थे सरे-आसमाँ' को पहली बार 2019 में पढ़ा। इसके हिंदी तथा अँग्रेज़ी, क्रमशः रूपांतरित तथा अनूदित संस्करणों के पाठ 2024 की तीसरी तिमाही में समाप्त किए। तब से अब

12 अक्तूबर 2024

रामनगर की रामलीला

रामनगर की रामलीला

मुझे आज भी वह दिन याद है, जब मैंने पहली बार रामनगर, वाराणसी की रामलीला देखी थी। हम सब भाई-बहन ऑटो में बैठकर पापा के साथ रामलीला देखने गए थे। पीछे मुड़कर देखो सब कुछ सपने जैसा लगता है। बनारस में वैसे ह

11 अक्तूबर 2024

रसोई के ज़रिए संघर्ष, मुक्ति और प्रेम का वितान रचता उपन्यास

रसोई के ज़रिए संघर्ष, मुक्ति और प्रेम का वितान रचता उपन्यास

किताबें पढ़ने की यात्रा, मुझे उन्हें लिखने से कम रोमांचक नहीं लगती। ख़ासकर किताब अगर ऐसी हो कि तीन बजे देर रात भी—जब तक कि वह पूरी नहीं हो जाए—जगाए रखे, इस तरह की किताब से जुड़ी हर चीज़ स्मृति में अटक ज

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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