साहित्य और संस्कृति की घड़ी
ऊषा शर्मा की डायरी ‘रोज़नामचा एक कवि पत्नी का’ (संपादक : उद्भ्रांत, प्रकाशक : रश्मि प्रकाशन, संस्करण : 2024) एक ऐसी कृति है, जो एक गृहिणी की अनगढ़, निश्छल अभिव्यक्ति के माध्यम से कवि-पति उद्भ्रांत के स
नादिर ख़ान द्वारा निर्देशित और अवंतिका बहल द्वारा कोरियोग्राफ किया गया, एक बेहतरीन डांस म्यूजिकल द ड्रैगन रोज़ प्रोजेक्ट का ‘मुंबई स्टार’ 14 और 15 जून 2025 को कमानी ऑडिटोरियम में दिल्ली के दर्शकों के
वर्ष 2018 में ‘सदानीरा’ पर आपकी कविता-पंक्ति पढ़ी थी—‘यह कवियों के काम पर लौटने का समय है’। इस बीच आप फ़्रांस से लौटकर आ गए। इस लौटने में काम पर कितना लौटे आप? 2018 में जब यह कविता-पंक्ति संभव हुई
साहित्य-संस्कृति को समर्पित रचनात्मक पहल कशकोल कलेक्टिव शनिवार 14 जून 2025 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के फ़ाउंटेन लॉन में बज़्म-ए-आम : आम के नाम एक शाम का आयोजन कर रहा है। यह उत्सव केवल आम के फल का उत्
तुम्हारे जाने के सोलह दिन बाद... डियर जिता, हम कुछ भी हो सकते थे। हम स्कूल से साथ निकलकर अपने-अपने घर जाते हुए थोड़ा-सा बचे रह सकते थे—एक दूसरे के पास! हम उस पहले झगड़े के शब्द बन सकते थे जो हमार
07 जून 2025
लड़कियों को अक्सर उनका आधा सच ही पता होता है। उम्र जब चौदह की सीढ़ी पर चढ़ती है, तब वह ख़ुद से पूछती है—करियर चुने या प्रेम? प्रेम... जो अभी तक बचपने से लिपटा हुआ है, जो देह की चाहत में उलझा एक भ्र
यह संस्मरण भूमंडलीय पीढ़ी का देहाती क़िस्सा है। गाँव-देहात को इसलिए नहीं याद कर रहा हूँ कि मेरे पास कुछ कहने के लिए कुछ यादें हैं, बल्कि इसलिए याद कर रहा हूँ कि मेरी पीढ़ी ने बदलावों को इतने तीव्र गति
आईपीएल ख़त्म हो गया। आख़िरकार ‘आरसीबी’ [रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु] ने अपना पहला खिताब जीत ही लिया। विराट कोहली का अठारह साल का इंतिज़ार समाप्त हुआ। अंतिम ओवर में वह भावुक होकर रोने लगे। कोई भी होगा उसका इ
—मुझे पूरा विश्वास है कि प्रभात रंजन शशिभूषण द्विवेदी के जनाज़े में शामिल हुए थे। —आपको कैसे इतना यक़ीन है? —प्रभात रंजन शशिभूषण द्विवेदी के पक्के साहित्यिक मित्र रहे हैं। —उससे क्या होता है?
सिनेमा एक दर्पण है, जिसके माध्यम से हम अक्सर ख़ुद को देखते हैं। — एलेजांद्रो गोंज़ालेज़ इनारितु साहित्य समाज का दर्पण है—बचपन में इस विषय पर निबंध लिखते हुए पता नहीं था कि एक दिन सिनेमा भी समा