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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

05 नवम्बर 2025

‘विकुशु के नाम एक पत्र’

‘विकुशु के नाम एक पत्र’

प्रिय विनोद कुमार शुक्ल जी, आपको मेरा सादर प्रणाम! मैंने जब ‘हिंद युग्म’ महोत्सव (रायपुर) में आपको पहली बार देखा और आपसे मिली तो मेरे मन में पहले जो भी भ्रांतियों के बादल घिरे थे, सब छँट गए। सोच

05 नवम्बर 2025

पोर्ट्रट ऑफ़ ए लेडी ऑन फ़ायर : एक मुकम्मल तस्वीर का सफ़र

पोर्ट्रट ऑफ़ ए लेडी ऑन फ़ायर : एक मुकम्मल तस्वीर का सफ़र

साल 2019 की फ़्रांसीसी फ़िल्म ‘पोर्ट्रेट ऑफ़ ए लेडी ऑन फ़ायर’ इस सदी की उन चुनिंदा फ़िल्मों में से एक है, जिनका ज़िक्र ज़रूरी है। इस फ़िल्म की सबसे ख़ूबसूरत बात यह है कि आप कोई भी कोण, कोई भी दृश्य या कोई भी

04 नवम्बर 2025

फ़ादर वालेस : साधु तो चलता भला

फ़ादर वालेस : साधु तो चलता भला

वर्ष 2025 गुजराती साहित्य के इतिहास में एक विशेष वर्ष है—इस वर्ष गुजराती भाषा और संस्कृति के एक विलक्षण साधक, फ़ादर वालेस (Father Carlos González Vallés) की जन्मशती मनाई जा रही है। फ़ादर वालेस का जन्

04 नवम्बर 2025

जन्मशती विशेष : युक्ति, तर्क और अयांत्रिक ऋत्विक

जन्मशती विशेष : युक्ति, तर्क और अयांत्रिक ऋत्विक

—किराया, साहब... —मेरे पास सिक्कों की खनक नहीं। एक काम करो, सीधे चल पड़ो 1/1 बिशप लेफ़्राॅय रोड की ओर। वहाँ एक लंबा साया दरवाज़ा खोलेगा। उससे कहना कि ऋत्विक घटक टैक्सी करके रास्तों से लौटा... जेबें

03 नवम्बर 2025

मासूम : जहाँ बदले में सिर्फ़ आँसू हैं

मासूम : जहाँ बदले में सिर्फ़ आँसू हैं

अप्रत्याशित हमेशा भय के भार तले दबा रहता है। नहीं घटने की इच्छा के साथ अदृश्य, जिसे हमेशा दूर से ही न कह दिया जाए। रोकथाम के लिए शरीर हरदम चौकन्ना रहता है। क़रीने से हर छोटी-बड़ी तैयारी की जाती है। ख

03 नवम्बर 2025

गमछा : एक नमीदार सहचर

गमछा : एक नमीदार सहचर

जब भी मैं किसी थके हुए आदमी को देखती हूँ, जिसकी गर्दन पर पसीने से भीगा गमछा रखा होता है, मुझे सोबरन कक्का याद आते हैं। उनके माथे का पसीना उसी में उतरता, खेत की मिट्टी उसी से झाड़ी जाती और जब वह चुप ह

02 नवम्बर 2025

कवियों के क़िस्से वाया AI

कवियों के क़िस्से वाया AI

भरतपुर की वह दुपहर साहित्य की ऊष्मा से भरी हुई थी। हवा में हल्की गर्मी थी, लेकिन सभा-गृह के भीतर विचारों की शीतल छाया पसरी हुई थी। देश का स्वतंत्रता-संग्राम अपने चरम पर था और साहित्यकार इस संघर्ष के

01 नवम्बर 2025

बेगम अख़्तर और लखनऊ का पसंदबाग़

बेगम अख़्तर और लखनऊ का पसंदबाग़

सवेरा कमरे में पसर गया था इसलिए हमें उठना पड़ा। कमरे का दरवाज़ा खुलते ही बालकनी शुरू हो जाती, जहाँ से मंदिर का शिखर दिखता जो गली के उस तरफ़ पार्क के दक्षिणी छोर पर था, जिसमें संघ की शाखा लगती। हम बाल

01 नवम्बर 2025

साहित्यिक लेखन : जुनून या तिजारत

साहित्यिक लेखन : जुनून या तिजारत

कहा गया है कि इंसान दो दुनियाओं में जीता है-अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी दुनिया अध्यात्म की दुनिया होती है जिसे वो किसी तरह की कला जैसे कि साहित्यिक लेखन, नृत्य, संगीत, चित्रकारी, स्थापत्य या मुजस्समे आ

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके स