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‘संगत’ के सौ एपिसोड हुए पूरे, हो रही है ख़ूब चर्चा

हिंदी भाषा और साहित्य को समर्पित ‘हिन्दवी’ ने साहित्य-संस्कृति-संसार के समादृत-सम्मानित-सुपरिचित व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार की सीरीज़—‘संगत’—की शुरुआत 30 दिसंबर 2022 को की थी। इस सीरीज़ के अंतर्गत शुक्रवार-शुक्रवार ‘हिन्दवी’ के यू-ट्यूब चैनल पर साहित्य-प्रेमियों के लिए साहित्यकारों के वीडियो साक्षात्कार प्रसारित किए गए।

इस क्रम में ‘हिन्दवी’ ने ‘संगत’ का पहला एपिसोड सुप्रसिद्ध कवि आलोकधन्वा, 25वाँ एपिसोड समादृत साहित्यकार-आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी,  50वाँ एपिसोड कवि-कथाकार उदय प्रकाश और 75वाँ एपिसोड आलोचक सुधीश पचौरी के साथ संभव किया।

‘संगत’ के विचार और प्रस्तुति को साहित्य-प्रेमियों का भरपूर प्यार और समर्थन मिला और अब तक मिल रहा है। इस दौरान ‘संगत’ के ज़रिये हम सतत इस बात के लिए संकल्पित रहे कि हिंदी-साहित्य-संसार के समादृत और प्रमुख व्यक्तित्वों के सुरुचियुक्त और व्यवस्थित वीडियो-इंटरव्यू साहित्य-प्रेमियों को सुंदरता-सुलभता से उपलब्ध कराए जाएँ। 

‘संगत’ का स्वीकार्य हिंदी के समग्र समाज में एक अनूठी परिकल्पना की तरह रहा। यह कहना न होगा कि इसे ‘हिन्दवी’ ने साहित्य-प्रेमियों के सराहना-सहयोग से अब तक बहुत ही सुसंगत और गरिमामय ढंग से प्रस्तुत किया।

‘हिन्दवी’ के वार्षिक उत्सव—‘हिन्दवी उत्सव-2025’—में अब जब कुछ ही दिन शेष बचे हैं, ‘संगत’ की यह शृंखला अपने शतक यानी 100 की संख्या तक पहुँच चुकी है। ‘संगत’ के 100वें एपिसोड में इस बार की बातचीत समादृत संपादक-कथाकार और ‘पहल’ जैसी सुप्रसिद्ध पत्रिका के संस्थापक ज्ञानरंजन के साथ संभव हुई। गए शुक्रवार को प्रसारित इस एपिसोड को लेकर हिंदी-दृश्य में काफ़ी कोलाहल है और ख़ूब चर्चाएँ हो रही हैं। 

‘संगत’ के प्रत्येक एपिसोड में बदलते हिंदी-साहित्यकारों के बीच एक नाम जो ‘संगत’ में सतत स्थायी और केंद्रीय बना रहा, वह नाम है—अंजुम शर्मा। हिंदी-परिदृश्य में ‘हिन्दवी’ के लिए ‘संगत’ जैसी साक्षात्कार-सीरीज़ संभव करने वाले ‘संगत’कार अंजुम शर्मा इस बीच लगातार अपनी सूझयुक्त प्रज्ञा, जिज्ञासु दृष्टि और आत्मीय शैली के लिए दर्शकों के बीच ख़ासे लोकप्रिय हुए। यह कहना क़तई अतिकथन न होगा कि इन 100 एपिसोडों में अंजुम ने साहित्यिक संवाद-साक्षात्कार की परंपरा में एक नया इतिहास रच दिया है; जिसे जब तक हिंदी भाषा और साहित्य जीवित है, भुलाया न जा सकेगा। इसके साथ ही संवाद के सघन क्षणों में अपने प्रयोगों से उन्होंने नई पीढ़ी के लिए संवाद-साक्षात्कार-विधा में नए आयाम और मानक भी तैयार कर दिए हैं।

‘संगत’ के बारे में कुछ प्रमुख तथ्य 

1. ‘संगत’ एकमात्र ऐसी सीरीज़ है, जो साहित्यिक जीवन और संवाद पर आधारित है।

2. ‘संगत’ में अब तक शामिल अधिकतर साहित्यकार आयु में 75 वर्ष से अधिक के रहे, जिनका इस प्रकार का संवाद इससे पहले कहीं दर्ज नहीं हुआ। 

3. ‘संगत’ के दर्शकों में सभी जगहों, सभी वर्गों और सभी आयु-वर्ग के दर्शक शामिल रहे।  

4. ‘संगत’ की चर्चा पूरे भारत सहित, पड़ोसी मुल्कों, यूरोप, लंदन और अमेरिका के अप्रवासी भारतीयों तक के बीच हुई।

5. ‘संगत’ में आने के बाद कुछ कवियों की रचनाएँ विश्वविद्यालय-पाठ्यक्रम में लगाई गईं।

6. ‘संगत’ में शामिल 8 लेखकों की रील्स सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर 50 लाख से ज़्यादा दर्शकों तक पहुँची।

7. प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी [कोलकाता], लखनऊ विश्वविद्यालय और असम के केंद्रीय विद्यालय के छात्रों को ‘संगत’ के एपिसोड पाठ्यक्रम के साथ दिखाए गए। जम्मू-कश्मीर, पुणे, केरल और अन्य स्थानीयताओं के विद्यार्थी भी इसके ज़रिये हिंदी लेखकों से परिचित हुए और हो रहे हैं। 

8. ‘संगत’ के माध्यम से कुछ अलक्षित और लगभग भुला दिए गए साहित्यकार सामने आए। इनमें से कुछ की आयु 90 वर्ष से भी अधिक है। इस प्रसंग में मालती जोशी [1934-2024] का अंतिम साक्षात्कार उनके देहांत से कुछ माह पूर्व ‘संगत’ पर ही दर्ज हुआ।

9. ‘संगत’ में आने के बाद लेखकों की किताबों की बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई। [यह सूचना हमें प्रकाशकों से ही प्राप्त हुई।]

10. ‘संगत’ की चर्चा सिर्फ़ साहित्यिकों के बीच ही नहीं हुई, बल्कि अन्य कलाओं की हस्तियों ने भी इसके एपिसोड खोज-खोजकर देखे। 

‘संगत’ में अब तक शामिल साहित्यकार

1. आलोकधन्वा
2. गगन गिल
3. पुरुषोत्तम अग्रवाल
4. अशोक वाजपेयी
5. मृदुला गर्ग
6. नरेश सक्सेना
7. अनामिका
8. ममता कालिया
9. लीलाधर जगूड़ी
10. कमलाकांत त्रिपाठी
11. अलका सरावगी
12. अनिल यादव
13. सविता सिंह
14. राजकुमार
15. विष्णु नागर
16. मैत्रेयी पुष्पा
17. मानव कौल
18. देवी प्रसाद मिश्र
19. नासिरा शर्मा
20. प्रयाग शुक्ल
21. अष्टभुजा शुक्ल
22. अजय नावरिया
23. पंकज चतुर्वेदी
24. नीलेश रघुवंशी
25. विश्वनाथ त्रिपाठी
26. गीत चतुर्वेदी
27. मधु कांकरिया
28. असग़र वजाहत
29. राजेश जोशी
30. संगीता गुंदेचा
31. ज्ञान चतुर्वेदी
32. मालती जोशी
33. अशोक कुमार पांडेय
34. उदयन वाजपेयी 
35. वंदना राग
36. राधावल्लभ त्रिपाठी
37. कात्यायनी
38. यतींद्र मिश्र
39. हृषीकेश सुलभ
40. प्रियंवद
41. अरुण कमल
42. श्यौराज सिंह बेचैन
43. मनीषा कुलश्रेष्ठ
44. अखिलेश
45. बद्री नारायण
46. वागीश शुक्ल
47. शिवमूर्ति
48. प्रत्यक्षा
49. मृणाल पांडे
50. उदय प्रकाश
51. अल्पना मिश्र
52. अब्दुल बिस्मिल्लाह
53. संजय चतुर्वेदी
54. सुशीला टाकभौरे
55. लीलाधर मंडलोई
56. मदन कश्यप
57. महेश कटारे
58. नंदकिशोर आचार्य
59. जितेंद्र श्रीवास्तव
60. इब्बार रब्बी
61. कृष्ण कल्पित
62. पवन करण
63. नित्यानंद तिवारी
64. चंद्रकांता
65. विभूति नारायण राय
66. रविभूषण
67. सूर्यबाला
68. भगवानदास मोरवाल 
69. प्रभात रंजन 
70. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी 
71. अनीता वर्मा 
72. संजीव
73. रोहिणी अग्रवाल 
74. राजेंद्र राव 
75. सुधीश पचौरी 
76. प्रियदर्शन 
77. रामेश्वर राय 
78. रामदरश मिश्र 
79. अशोक चक्रधर 
80. निर्मला पुतुल 
81. कुमार अम्बुज
82. विजय बहादुर सिंह 
83. गोविंद मिश्र 
84. मेहरुन्निसा परवेज़ 
85. दिनेश कुशवाह 
86. अजय तिवारी
87. मदन सोनी 
88. उषा प्रियंवदा
89. चंद्रकिशोर जायसवाल 
90. आशुतोष दुबे 
91. भगवान सिंह 
92. सुरेंद्र मोहन पाठक 
93. काशीनाथ सिंह 
94. वीरेंद्र यादव 
95. शैलेश भारतवासी 
96. अशोक माहेश्वरी
97. मीरा जौहरी
98. बजरंग बिहारी तिवारी 
99. व्योमेश शुक्ल 
100. ज्ञानरंजन

‘संगत’-शतक की यह ऐतिहासिक उपलब्धि भावी पीढ़ियों के लिए एक जीवंत दस्तावेज़ की तरह काम आएगी; ऐसी हमें उम्मीद है, ऐसी हमें प्रतीति है, ऐसा हमें विश्वास है। 

‘संगत’ को सफल बनाने के लिए सभी हिंदी-प्रेमियों का बहुत-बहुत आभार!

~~~ 

‘हिन्दवी उत्सव’ से जुड़ी जानकारियों के लिए यहाँ देखिए : हिन्दवी उत्सव 2025



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