साहित्य और संस्कृति की घड़ी
अपनी माँ की भाषा में कहूँ तो गिफ़्टेड एक मामा और भांजी के एक आत्मीय रिश्ते पर आधारित एक फ़िल्म है। मामा यानी माँ का भाई, गिफ़्टेड देखते हुए मुझे अपने मामा की याद बरबस ही आती रही कि कैसे उन्होंने हम भां
मुझे ख़ूब याद है जब मेरी दादी गुज़र गई थीं! वह सुहागिन गुज़री थीं। उनकी मृत्यु के समय खींची गईं तस्वीरों में एक तस्वीर ऐसी है कि देखकर बरबस रोना आता है। पीयर (पीली) दगदग गोटेदार पुतली साड़ी में लिपटी
‘अपने त जाय छी प्रभु देस रे बिदेसवा से, हमरा के...’ पर कहाँ जा पाएँगी इस देस से? काश ‘घोड़ा के लगमवा’ थाम के रोका जा सकता। काश ‘सँईया कलकतवा से’ आ सकते। किसे कहेंगे इस महादेस के मन की आवाज़ अब; ठीक
कहते हैं फूल की थरिया को लोहे की तीली से गर छेड़ दिया जाए तो जो झनकार निकलेगी वह शारदा सिन्हा की आवाज़ है। कोयल कभी बेसुरा हो सकती है लेकिन वह नहीं! कातिक (कार्तिक) में नए धान का चिउड़ा महकता है। शार
पेशेवर कामयाबी का सबसे ख़राब बाई-प्रॉडक्ट यही है कि यह आपको उन सब चीज़ों से दूर कर देती है, जो आपको सबसे ज़्यादा ख़ुशी देती हैं। मेरे मामले में यह चीज़ किताबें पढ़ना है। जब भी वक़्त मिलता है, एक नई
पेंगुइन बर्फ़ की कोख में नवजात पेंगुइन पैदा हुआ। पेंगुइन नहीं जानता था, वह क्यों और किस तरह पैदा हुआ। कौन-से उद्देश्य की ज़र खाई पाज़ेब पहन अपने पाँव ज़मीन पर रखे। यह रूप, यह संज्ञा, यह संसार, यह
साहित्य कोई महासागर है, कहानी उसमें बहने वाली धारा—शीत भी, उष्ण भी। वहीं से निकलती है, वहीं समा जाती है। सदियों से यह क्रम चल रहा है। धर्म और लोक रंग में रंगी हुई कथाएँ भी कही-सुनी जाती रही हैं। कहान
दीपावली अर्थात् नन्हे-नन्हे दीपकों का उत्सव। रोशनी के नन्हे-नन्हे बच्चों का उत्सव! ‘जब सूर्य-चंद्र अस्त हो जाते हैं तो मनुष्य अंधकार में अग्नि के सहारे ही बचा रहता है।’ ‘छान्दोग्य उपनिषद्’ के ऋषि का
उस दिन दुपहर निरुद्देश्य भटकते हुए, मैंने पाया कि मैं कनॉट प्लेस में हूँ और मुझे भूख लगी है। सामने एक नया बना रेस्तराँ था। मैं भीतर चलता गया और एक ख़ाली मेज़ पर बैठ गया। मैंने एक प्यारी-सी ख़ुशी महसूस
इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता की नई पीढ़ी का स्वर बहुआयामी और बहुकेंद्रीय सामाजिक सरोकारों से संबद्ध है। नई पीढ़ी के कवियों ने अपने समय, समाज और राजनीति के क्लीशे को अलग भाष्य दिया है। अनुपम सिंह की क
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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