साहित्य और संस्कृति की घड़ी
सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके से
मेरी मातृभाषा भोजपुरी है। मेरी पैदाइश, परवरिश और तरबियत सब भोजपुरी के भूगोल में हुई है। मैं सोचता भोजपुरी में हूँ; मुझे सपने भोजपुरी में आते हैं। सपने में जब बड़बड़ाता हूँ तो वह भी भोजपुरी में ही होत
धूप इतनी तीखी थी कि मेरी गर्दन पर पसीने की बूँदें काँटों की तरह निकल आई थीं, लेकिन में उसकी आँखों से झरती ओस में राहत महसूस कर रहा था। उसने कहा—मैंने तुम्हारे इन पत्रों को बार-बार पढ़ा। ना जलाने की
कभी-कभी मेरे मन में एक दृश्य उतरता है। दृश्य—घनघोर बारिश का। चारों तरफ़ पानी-ही-पानी। मैं अकेले किसी वृक्ष के नीचे बैठा हुआ हूँ और कोई पद सुन रहा हूँ—कोई सूफ़ी-संगीत। मुझे आश्चर्य होता है कि जब-तब मै
28 अक्तूबर 2025
कितना दारुण है यह लिखना—स्वर्गीय भारतेंदु मिश्र। मैं उन्हें दद्दा कहता रहा हूँ। अब दद्दा स्मृतियों में रहेंगे, उनकी आत्मीयताओं का बतरस कानों में बजता रहेगा, उनकी कविताओं की पंक्तियाँ वजह-बे-वजह मस्ति
सो रहो मौत के पहलू में ‘फ़राज़’ नींद किस वक़्त न जाने आए और फिर वह सो गईं—चिर निद्रा में। यह 5 नवंबर 2024 की रात थी। बस एक दिन पहले ही वेंटिलेटर पर आई थीं। पर अब सबको लग ही रहा था कि अब नहीं लौ
दादा (विनोद कुमार शुक्ल) से दुबारा मिलना ऐसा है, जैसे किसी राह भूले पंछी का उस विशाल बरगद के पेड़ पर वापस लौट आना—जिसकी डालियों पर फुदक-फुदक कर उसने उड़ना सीखा था। विकुशु को अपने सामने देखना जादू है।
लिखने का सही समय क्या होता है? शायद वही समय—जब भीतर कुछ बेचैन करता है, चुपचाप करवटें बदलता है और शब्द बनकर बाहर आना चाहता है। बचपन में जब पहली बार पेंसिल उठाई थी तो यह नहीं पता था कि उससे करना क्य
25 अक्तूबर 2025
हमारे यहाँ अनेक लेखक हैं, जो अध्यापन करते हैं। अनेक ऐसे छात्र होंगे, जिन्होंने क्लास में बैठकर उनके लेक्चरों के नोट्स लिए होंगे। परीक्षोपयोगी महत्त्व तो उनका अवश्य होगा—किंतु वह तो उन शिक्षकों का भी
भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक पहचान, वर्ग, जाति और सत्ता संरचनाओं से निर्मित राजनीति की भी वाहक होती है। इसे ‘प्रतीकात्मक पूँजी’ के तौर पर भी देखा जा सकता है, जो किसी समाज की सा