साहित्य और संस्कृति की घड़ी
किसी शहर को जानने के लिए उसको आत्मसात करना आवश्यक है, लेकिन कुछ शहर आपसे आपकी आत्मा को ही माँगते हैं—कहने का मतलब है ख़ुद को आत्मर्पित करना। बनारस जो इतिहास और किंवदंतियों का संगम है। इस शहर को समझने
5 अक्टूबर को आर्ट स्पेस, भोपाल में प्रयाग शुक्ल की एकल चित्रकला प्रदर्शनी ‘Myriad Hues’ का स्नेहिल शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर छाया दुबे, हंसा मिलन कुमार, साधना शुक्ला और प्रीति पोद्दार जैन की समूह प्रदर
यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगुल में फँसा यह महादेश छुट्टी घोषित करता रहता है, इसलिए आज मेरी भी छुट्टी है। मेर
संघर्ष, विद्रोह और समाजवाद की सिनेमाई यात्रा : नेटफ़्लिक्स सीरीज़ त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर आधुनिक भारतीय मनोरंजन की भीड़-भाड़ में, नेटफ़्लिक्स की सीए टॉपर एक ऐसी सिनेमाई रचना के रूप में उभरती है,
दाह! ये सभी चित्र सफ़ेद रंग के एक छोटे-से लिफ़ाफ़े में रखे हुए थे, जिस पर काली सियाही से लिखा हुआ था—दाह। पिछले 83 सालों से इन चित्रों को जाने-अनजाने बिला वजह गोपनीय बनाकर रखा गया और धीरे-धीरे
मैं शुरू करना चाहता हूँ तब से—जब से मेरे पिता नवीन सागर ने मेरे आज को देख लिया था और शायद तब ही उन्होंने 27 सितंबर 2024 की शाम उनके नाम के स्टूडियो में ख़ुद पर होने वाले कविता पाठ को भी सुन लिया था।
जिससे उम्मीदें-ज़ीस्त थी बाँधी ले उड़ी उसको मौत की आँधी गालियाँ खाके गोलियाँ खाके मर गए उफ़्फ़! महात्मा गांधी! — रईस अमरोहवी एक दिल्ली में वह मावठ का दिन था। 30 जनवरी 1948 को दुपहर तीन बज
तीसरी कड़ी से आगे... 13 अगस्त, 2020 भारत लौटने की 23 अगस्त की फ़्लाइट का कंफ़र्मेशन आ गया है एंबेसी से। अंतत: सीट पक्की हो गई। इतनी अनिश्चितता के बाद, कोई ख़बर आई है, लेकिन इस सूचना का क्या मतल
गत शुक्रवार, 27 सितंबर को हौज़ ख़ास विलेज, नई दिल्ली में ‘नवीन सागर स्मृति रचना समारोह’ का पहला आयोजन हुआ। मेरी नज़र में बीते कई सालों में हिंदी-संसार में हो रहे आयोजनों में ऐसा कोई आयोजन हुआ या होता
नम्रता राव द्वारा निर्देशित अमेज़न प्राइम डाक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘एंग्री यंग मैन’ मशहूर पटकथा लेखक जोड़ी—सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर के जीवन की एक खोज है, जिनके सहयोग ने 1970 और 80 के दशक में हिंदी-सिनेम