साहित्य और संस्कृति की घड़ी
‘बिदेसिया’ (नाटक) भिखारी ठाकुर की अमर कृति है, जिसे संजय उपाध्याय ने एक नया आयाम दिया है। भिखारी ठाकुर भोजपुरी भाषा के कवि, नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्ह
मैं बहुत लंबे समय से इस बात पर चिंतन कर रहा हूँ और यह कितना सही और ग़लत है—यह तो खोजना होगा; पर मैं मान कर चल रहा हूँ कि रोमांस मर चुका है। उसके साथ ही मर चुका है साहित्य। कला दम तोड़ रही है। अगर यह क
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली में—भारत रंग महोत्सव के 25वें संस्करण की भव्य शुरुआत ‘रंग संगीत’ आयोजन से हुई। इस साल राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय अपने 65 वर्ष और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की रिपर्टरी
विशाल हिमालय की गोद में बसे दो देश—भारत और नेपाल एक-दूसरे के पड़ोसी हैं और दोनों साथ में 1850 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करते हैं। भारत और नेपाल बॉर्डर भारतीय उपमहाद्वीप के बाक़ी देशों
• आगामी रविवार को वसंत पंचमी है। हिंदी में तीस-पैंतीस वर्ष की आयु के बीच जी रहे लेखकों के लिए एक विशेष दिन है। वे इस बार न चूकें। ऐसा मुझे स्वयं वसंत ने बताया है। • गए रविवार से लेकर इस रविवार के
मेरे चार दशक के अनुभव ने जीवन में चार चाँद लगा दिए हैं। कुछ दशक तो मेरे लिए एक सदी लिए हुए आए थे, सूरज सरीखे चमकीले, दमकीले और झुलसा देने वाले। दिल्ली के हाइटेक कहे-समझे जाने वाले खस्ताहाल अस्पतालों
कविता की एक किताब में—एक ज़ख़्मी देश, एक आहत मन! एक कवि—जिसका नाम विमर्श में खो गया, जिसके चेहरे की ओर भी सबने नहीं देखा, लेकिन उसकी आवाज़ कुछ दिलों में, कुछ कविता की बातों के रास्ते पर, साहित्य के क
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) द्वारा प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाने वाला विश्व प्रसिद्ध भारत रंग महोत्सव इस वर्ष भी कई रंगमंच की नई पहलों-गतिविधियों के साथ दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए तैयार है
सुंदरता की अपने तहें होती हैं। बहुत मुलायम और क्रूर भी। मन हमेशा इतना ही अनजान रहता है कि वह परतों के इस जमावड़े को भूल जाए। कहाँ ध्यान रहता है कि सुख के किस क्षण ने हाल में फूटे दुखों के ज्वालामुखी
‘पाताल लोक’ का दूसरा सीज़न पूरा देखा और इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी की ‘हाथी’ जैसी अदाकारी के आगे सारे अदाकार फीके पड़ गए। मेरे जैसे दर्शक को यह देखकर ख़ुशी हुई कि चलो कम से कम किसी किरदार का नाम अंसारी