साहित्य और संस्कृति की घड़ी
सुंदरता की अपने तहें होती हैं। बहुत मुलायम और क्रूर भी। मन हमेशा इतना ही अनजान रहता है कि वह परतों के इस जमावड़े को भूल जाए। कहाँ ध्यान रहता है कि सुख के किस क्षण ने हाल में फूटे दुखों के ज्वालामुखी क
‘पाताल लोक’ का दूसरा सीज़न पूरा देखा और इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी की ‘हाथी’ जैसी अदाकारी के आगे सारे अदाकार फीके पड़ गए। मेरे जैसे दर्शक को यह देखकर ख़ुशी हुई कि चलो कम से कम किसी किरदार का नाम अंसारी
देशभर के साहित्य-प्रेमियों की उत्सुकता को बढ़ाते हुए—भारत में पठन-संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गठित शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की पुस्तक संबंधित नोडल एजेंसी—नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (एनबीट
21 जनवरी 2025
भारतीय समाज में लड़कियों की परवरिश एक जटिल प्रक्रिया है—संरक्षण और स्वतंत्रता के बीच का एक सूक्ष्म संतुलन। वे शिक्षा और करियर के लिए प्रेरित की जाती हैं, लेकिन उनकी उड़ान पर अदृश्य धागों से खिंचाव डा
दामोदर मावज़ो ज्ञानपीठ और साहित्य अकादेमी—भारतीय साहित्य के दोनों बड़े सम्मानों से सम्मानित कथाकार हैं। देश में गिनती के लेखक-कथाकार ही इस तरह अलंकृत हुए होंगे। वह गोवा में पैदा हुए और कोंकणी में लिखते
• कार्ल मार्क्स अगर आज जीवित होते तो पुष्पा से संवाद छीन लेते, प्रधानसेवकों से आवाज़, रवीश कुमार से साहित्यिक समझ, हिंदी के सारे साहित्यकारों से फ़ेसबुक और मार्क ज़ुकरबर्ग से मस्तिष्क... • मुझे याद आ
तुम्हारी अधेड़ नादानियों को कैसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है? इस नुक़्ते पर सोचते हुए घृणा या नफ़रत नहीं होती। अगर मैं कहूँ कि तरस आता है तुम पर, तो यह तुमसे अधिक अपने आप पर ज़्यादती होगी क्योंकि बहुत
देश का लोकप्रिय और चर्चित रंगमंच पुरस्कार और फ़ेस्टिवल—महिंद्रा एक्सीलेंस इन थिएटर अवार्ड्स (META) का 20वाँ संस्करण जल्द ही शुरू हो रहा है। थिएटर से जुड़े कलाकार 30 जनवरी 2025 तक आयोजन में अपनी नाट्य
अत्यंत समादृत कवि-आलोचक और कला-प्रशासक अशोक वाजपेयी आज 85वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यहाँ उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए प्रस्तुत है—उनके द्वारा बोले-लिखे जा रहे आत्म-वृत्तांत से कुछ अंश। ये अंश अशोक
प्रत्येक देश-काल में कोई न कोई प्रसिद्ध दार्शनिक ज़रूर होता है, जो उस समय को चिह्नित करता है और साथ ही उस समय की युग-चेतना को दर्शाने वाला दर्शन प्रस्तुत करता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि महान् दार