‘जागरण कनेक्ट’ और ‘हिन्दवी’ के विशेष आयोजन ‘उत्सव हिन्दी का’ की लॉन्ग-लिस्ट
हिन्दवी डेस्क
20 नवम्बर 2025
बीते हिंदी दिवस पर ‘जागरण कनेक्ट’ और ‘हिन्दवी’ ने मिलकर ‘उत्सव हिन्दी का’ अभियान की शुरुआत की थी। देश भर से प्राप्त 1050 प्रविष्टियों ने इस आयोजन को नई ऊर्जा दी और हिंदी भाषा के प्रति युवा प्रतिभाओं के उत्साह को एक साझा मंच प्रदान किया। प्राप्त की गईं प्रविष्टियों के विस्तृत परीक्षण और मूल्यांकन के बाद 1050 प्रतिभागियों में से 30 प्रतिभागियों का चयन अगले चरण के लिए किया गया है। चयनित सभी प्रतिभागियों ने अपनी भाषा-संवेदना, अभिव्यक्ति और रचनात्मकता से निर्णायकों को विशेष रूप से प्रभावित किया।
आयोजन के इस चरण में चयनित सभी प्रतिभागियों को हम हार्दिक बधाई देते हैं। अगले और अंतिम चरण में शीर्ष दस प्रतिभागियों की घोषणा की जाएगी, जिन्हें पुरस्कार और सम्मान प्रदान किए जाएँगे।
1050 प्रविष्टियों में से चयनित 30 नाम इस प्रकार हैं—
• अगम मुरारी
• अनूप यादव
• अभिषेक कुमार
• अरविंद यादव
• आकृति राय
• आयुष कुमार
• आराधना शुक्ला
• कबीर सुधांश जिंदल
• करन शाक्य
• कुशाग्र तिवारी
• ख़ुशी तिवारी
• गुंजित जैन
• गौरव तिवारी
• जयंत शुक्ल
• जयमाला राय
• देवप्रकाश गुर्जर
• प्रगति गुप्ता
• प्रीति जायसवाल
• भावेश खसपुरिया
• मणि अग्रवाल
• ममता पंडित
• रंजना जायसवाल
• राहुल कुंभकार
• शुभम राठौर
• श्रद्धा पटेल
• साक्षी त्रिपाठी
• सुहानी जोशी
• स्मृति आनंद
• स्वाति पांडेय
• हर्षित नैलवाल
जल्द ही शीर्ष-दस नामों की घोषणा जागरण की वेबसाइट पर की जाएगी। आयोजन में सम्मिलित हुए सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद और शुभकामनाएँ!
संबंधित विषय
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
25 अक्तूबर 2025
लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में
हमारे यहाँ अनेक लेखक हैं, जो अध्यापन करते हैं। अनेक ऐसे छात्र होंगे, जिन्होंने क्लास में बैठकर उनके लेक्चरों के नोट्स लिए होंगे। परीक्षोपयोगी महत्त्व तो उनका अवश्य होगा—किंतु वह तो उन शिक्षकों का भी
06 अक्तूबर 2025
अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव
एक पहलवान कुछ न समझते हुए भी पाँड़े बाबा का मुँह ताकने लगे तो उन्होंने समझाया : अपने धर्म की व्यवस्था के अनुसार मरने के तेरह दिन बाद तक, जब तक तेरही नहीं हो जाती, जीव मुक्त रहता है। फिर कहीं न
27 अक्तूबर 2025
विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना
दादा (विनोद कुमार शुक्ल) से दुबारा मिलना ऐसा है, जैसे किसी राह भूले पंछी का उस विशाल बरगद के पेड़ पर वापस लौट आना—जिसकी डालियों पर फुदक-फुदक कर उसने उड़ना सीखा था। विकुशु को अपने सामने देखना जादू है।
31 अक्तूबर 2025
सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना
सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके स
18 अक्तूबर 2025
झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना
मेरा जन्म झाँसी में हुआ। लोग जन्मभूमि को बहुत मानते हैं। संस्कृति हमें यही सिखाती है। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है, इस बात को बचपन से ही रटाया जाता है। पर क्या जन्म होने मात्र से कोई शहर अपना ह