एशेज : क्रिकेट का इतिहास गढ़ने वाली सीरीज़
अविनाश राय
26 नवम्बर 2025
ऑपरेशन सिंदूर का समय था, भारत के आर्म्ड फ़ोर्सेस की तरफ़ से शाम को रोज़ प्रेस कांफ़्रेंस हो रही थी। इसी प्रेस कांफ़्रेंस के क्रम में एक दिन मीडिया से मुख़ातिब होने एयर फोर्स के बी.आर. घई आए। उन्होंने युद्ध की बातचीत के बीच अपनी फ़ोर्स का उद्धरण एक क्रिकेट के फ़्रेज़ से दिया। फ़्रेज़ कुछ यूँ—“If Lillee doesn't get you, Thomson must” था। यही नहीं वह भी करोड़ों भारतीयों की तरह विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट के संन्यास से फैसले से दुखी थे। इसके बाद इसकी इतनी रील आई कि लोगों की ज़बाँ पर यही फ़्रेज़ रहा। वह भले ही इससे अनभिज्ञ हों कि यह फ़्रेज़ क्रिकेट की सबसे बड़ी राइवलरी एशेज से निकला है। अभी कुछ दिन पहले ही एशेज शुरू हुई है तो इस समय एशेज के ऐसे ही दिलचस्प क़िस्सों को याद करने का मन है।
बीते कुछ महीनों की बात है। भारतीय टीम रोहित-कोहली के संन्यास के बाद इंग्लैंड के दौरे पर पाँच टेस्ट मैच खेलने पहुँची थी। इस सीरीज़ से पहले शुभमन गिल को भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम का कप्तान बनाया गया। वह भारत के सबसे यंग कप्तान हैं। ऐसे में उनके लिए इंग्लैंड में जाकर इंग्लैंड को हराना एक चुनौती थी। वह भी तब, जब टीम के दो अनुभवी खिलाड़ी इस दौरे से पहले संन्यास की घोषणा कर चुके हैं। लेकिन टीम के कोच ने प्रेस कांफ़्रेंस में ही इस सवाल का जवाब भी दे दिया था कि We are not a young team, we are gun team. इस गन टीम ने इंग्लैंड के दौरे पर बेहतरीन टेंपरामेंट दिखाया और सीरीज़ 2-2 से बराबर रही। लेकिन सीरीज़ के दो मैच काफ़ी अहम और रोमांचक रहे—जिसमें लार्ड्स में इंग्लैंड को जीत मिली, जबकि ओवल में भारत को जीत मिली। सीरीज़ में जिस तरह से मोहम्मद सिराज लार्ड्स में आउट हुए और हताश पिच पर बैठे थे, वैसा ही दृश्य 2005 के एशेज में घटित हुआ था।
बर्मिंघम में एशेज के दूसरे मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 407 रन बनाए, जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 308 रन बना दिए। वहीं इंग्लैंड की दूसरी पारी 182 रन पर ही सिमट गई। चौथी पारी में ऑस्ट्रेलिया को 282 रन का लक्ष्य मिला, लेकिन ऑस्ट्रेलिया और जीत के बीच एंड्रयू फ़्लिंटॉफ़ खड़े थे। जब ऑस्ट्रेलिया को 3 रनों की दरकार थी, उसी समय फ़्लिंटॉफ़ की एक तेज़ बाउंसर बॉल माइकल कास्प्रोविच के बैट का किनारा लेकर विकेटकीपर के दस्तानों में चली गई। माइकल कास्प्रोविच हताश बल्ले संग पिच पर बैठे गए।
2009 के विज़डन में छपे लेख में इस सीरीज़ को ‘The Perfect Strom’ कहा गया। इस सीरीज़ में जहाँ इंग्लैंड की टीम अपने शिखर पर थी। वहीं ऑस्ट्रेलिया अपने महानतम खिलाड़ियों से भरी थी—जिसमें एडम गिलक्रिस्ट, मैथ्यू हेडन, रिकी पोंटिंग, ग्लेन मैक्ग्रा, जेसन गिलस्पी, शेन वॉर्न आदि थे।
साल 2019 के एशेज में भी आख़िरी विकेट वाला लम्हा आया। लीड्स के हेडिंग्ली में सीरीज़ का तीसरा मैच था। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए, पहली पारी में 179 रन बनाए। इसके जवाब में इंग्लैंड की टीम 67 रन पर ऑल आउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 246 रन बनाए। इंग्लैंड को दूसरी पारी में 362 का लक्ष्य मिला। इंग्लैंड लक्ष्य का पीछा करते हुए, 286 रन पर नौ विकेट गँवा चुकी थी। कमेंटेटर कमेंट्री कर रहे थे कि “Australia closing on victory here at headingley”. आख़िरी विकेट के रूप में इंग्लैंड के स्पिनर लीच बैटिंग करने आए। एक छोर पर बैन स्टोक्स खड़े थे। उन्होंने अपने चमत्कारी प्रदर्शन से
ऑस्ट्रेलिया को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया, जिसमें उनके भाग्य ने भी उनका साथ दिया और ऑस्ट्रेलिया के पास DRS (अम्पायर के निर्णय को चैलेंज करने के विकल्प) के न होने ने भी। लीच और स्टोक्स ने 76 रन की साझेदारी कर इंग्लैंड को सबसे बड़े रन चेस में विजयी बना दिया था। इस साझेदारी में लीच ने सिर्फ़ 1 रन जोड़ा था। बैन स्टोक्स ने 135 रन की नाबाद पारी खेली थी। अब कमेंटेटर कह रहे थे—“Stokes is the hero of the land.” साथ-ही-साथ इसमें अम्पायरिंग कर रहे जॉय विल्सन को भी लोग याद करते हैं।
लीड्स के हेडिंग्ली मैदान पर स्टोक्स की इस पारी ने साल 1981 के एशेज में खेली गई इयान बॉथम की पारी की यादें ताजा कर दी। एशेज का तीसरा मैच था। ऑस्टेलिया ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए जान डायसन के शतक की मदद से 401 रन का स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में इंग्लैंड की टीम इयान बॉथम के अर्धशतक की मदद से 174 रन पर सिमट गई। इंग्लैंड को फ़ॉलोऑन मिला। इस बार बैटिंग करते हुए इयान बॉथम ने नाबाद 149 रन की पारी खेली। इंग्लैंड ने इयान के इस शतक की मदद से 356 रन का स्कोर खड़ा किया। इस लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया 111 रन पर आल आउट हो गई। इंग्लैंड ने 18 रन से यह मुक़ाबला जीत लिया था। विज़डन मैगजीन में इस टेस्ट मैच को ‘The Test Match of the Century’ कहा गया।
साल 1948 में हेडिंग्ली के मैदान पर ही सर डान ब्रैडमैन ने एक बेहतरीन पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को जीत की दिलाई थी। इस मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 496 रन का स्कोर खड़ा किया, जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 458 पर सिमट गई। दूसरी पारी में इंग्लैंड ने 365 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया को 404 रन का लक्ष्य मिला, जिसे ऑस्ट्रेलिया ने सर डान ब्रैडमैन के 173 नाबाद पारी से हासिल कर लिया। ब्रैडमैन का यही वह दौरा था जिसके क़िस्से हम आज तक सुनते हैं। यदि ब्रैडमैन इस सीरीज़ के आख़िरी मैच में 4 रन बना लेते तो उनका बल्लेबाज़ी औसत (average) 100 रन प्रति मैच का हो जाता, लेकिन आख़िरी पारी में वह शून्य पर आउट हो गए थे।
आख़िर में हम बी.आर. घई के उस फ़्रेज़ वाले मैच के क़िस्से से इसे ख़त्म करना चाहेंगे। साल 1970 में जहाँ Boycott Apartheid की मुहिम चल रही थी। उसी के बाद 1970-1980 के दशक तक लिली और थांपसन का दबदबा रहा। साल 1974-1975 में ऑस्ट्रेलिया से निकलने वाले अख़बार सिडनी डेली टेलीग्राफ़ में एक कार्टून के साथ ‘Ashes to ashes, dust to dust, If Thomson don't get ya, Lillee must’ निकला था। विज़डन में इस सीरीज़ के चौथे मैच में लिली और थांपसन ने कैसे इंग्लैंड के बल्लेबाजों को धाराशाई कर दिया था—उसका बेहद दिलचस्प विवरण है। साथ ही साथ अंपायर को लेकर प्रश्न चिह्न भी है। पर इन सबके बीच हर एशेज सीरीज़ रोमांचक होती है, जिसे देखने का अपना अलग आनंद है। वहीं इस बार के एशेज में सबकी निगाहें जो रूट पर रहेंगी जो ऑस्ट्रेलिया में अभी तक शतक नहीं लगा पाए हैं और यदि वह लंबी पारी खेलते है तो सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड के और पास आते जाएँगे। इस शतक और रिकॉर्ड से परे नज़रें स्टीव स्मिथ की बल्लेबाज़ी पर भी होगी और 36 की उम्र में मिली कप्तानी पर भी, जबकि इसी उम्र के कोहली टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं।
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