Font by Mehr Nastaliq Web

बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

18 अक्तूबर 2025

‘रपट : ‘अर्थात्’ की शुरुआत’

‘रपट : ‘अर्थात्’ की शुरुआत’

देश की राजधानी दिल्ली की हवा अपने पुराने ढर्रे पर लौट चुकी है। अब खाँसते-छींकते लोग अगर सड़क पर अधिक दिखें तो हैरान मत होइये। हैरान इस बात पर भी नहीं होइये कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में (अक्टूबर 2025

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

मेरा जन्म झाँसी में हुआ। लोग जन्मभूमि को बहुत मानते हैं। संस्कृति हमें यही सिखाती है। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है, इस बात को बचपन से ही रटाया जाता है। पर क्या जन्म होने मात्र से कोई शहर अपना ह

17 अक्तूबर 2025

फ़ैटी लिवर प्रतीक्षा की बीमारी है

17 अक्तूबर 2025

फ़ैटी लिवर प्रतीक्षा की बीमारी है

एक बड़ी घटना जिस समय घट रही थी, उस समय मैं बरौनी ग्वालियर एक्सप्रेस में थर्ड एसी के कोच में सामान चढ़ाकर हाँफ रहा था। साँस फेफड़ों के उस कोने में आसानी से नहीं पहुँच पा रही, जहाँ से ख़ून अपने हिस्से का ऑ

16 अक्तूबर 2025

केबीसी के ईशित भट्ट के पक्ष में पूछना तो पड़ेगा

केबीसी के ईशित भट्ट के पक्ष में पूछना तो पड़ेगा

इंटरनेट का लोकाचार भरसक ऊब, सनक, बेचैनी और ऊधम से भरा है और यह कब और कैसे इंटरनेट की दुनिया से निकलकर अस्ल ज़िंदगी में उतर आता है; पता ही नहीं चलता। जो भी व्यक्ति इंटरनेट पर आनंद की तलाश में थोड़ा ज़

15 अक्तूबर 2025

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई : प्रलय के प्रतिरोध में खड़ा एक लेखक

लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई : प्रलय के प्रतिरोध में खड़ा एक लेखक

साहित्य के क्षेत्र में 2025 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले लास्ज़लो क्रास्ज़्नाहोरकाई को पिछले एक दशक में पढ़ते हुए बार-बार यह महसूस होता है कि मैं ऐसे लेखक की संगत में हूँ, जो अपनी भाषा की ज़मी

14 अक्तूबर 2025

पत्रकारिता के दुर्दिनों में, यह फ़िल्म देखी जानी चाहिए

पत्रकारिता के दुर्दिनों में, यह फ़िल्म देखी जानी चाहिए

हॉस्टल में शाम की चाय और रात के खाने के वक़्त पर यूट्यूब पर कुछ देखना भी दिनचर्या का लगभग अनिवार्य हिस्सा बन गया है। आज शाम को जब इस अनिवार्यता की पूर्ति के लिए यूट्यूब खोला तो सबसे ऊपरी पंक्ति में ह

13 अक्तूबर 2025

कथाएँ : चोर की माँ और आलू जी से मुलाक़ात

कथाएँ : चोर की माँ और आलू जी से मुलाक़ात

चोर की माँ पटना में ग़रीबों के एक मसीहा चिकित्सक थे। उनके पास प्रदेश के सुदूर इलाक़े के बहुत सारे ग़रीब रोग-व्याधि, दुख-संताप लेकर आते थे। ग़रीबी को सबसे बड़ी बीमारी मानने वाले मसीहा डॉक्टर के पास

13 अक्तूबर 2025

लोक : ओरी से उतरती अंतिम बूँद का परब

लोक : ओरी से उतरती अंतिम बूँद का परब

आँगन की वह जगह जहाँ छप्पर का पानी धरती पर ढरता है, उसे ‘ओरी’ कहते हैं। कवि मलिक मोहम्मद जायसी कहते हैं—‘बरिसै मघा झँकोरि झँकोरी। मोर दुइ नैन चुवहिं जसि ओरी॥’ ओरी का इससे सुंदर बिंब और क्या होगा। अनवर

12 अक्तूबर 2025

कवियों के क़िस्से वाया AI

कवियों के क़िस्से वाया AI

कभी-कभी कवि का प्रेम शब्दों में नहीं, बल्कि उन शब्दों के बीच की निस्तब्धता में छिपा होता है। वह प्रेम जो दिखता नहीं, पर हर पंक्ति में स्पंदित रहता है—मंद, गूढ़ और अनाम। कवि जयशंकर प्रसाद के जीवन और क

11 अक्तूबर 2025

दिल्ली आना और दिल्ली से जाना एक जैसा नहीं होता है!

दिल्ली आना और दिल्ली से जाना एक जैसा नहीं होता है!

सखी दिल्ली, कैसी हो? मुझे पहचाना? मैं वही लड़की जो पहले रोज़गार के लिए तुमसे पहली बार मिली थी, उस मौसम में जिसके लिए तुम्हें सबसे ज़्यादा कोसा और प्यार किया जाता है। जिस मौसम तुम कोहरे में कुछ धुँ