भूमिकाओं में आस्था घट रही है
पुस्तक की भूमिका पुस्तक के साथ भूमिका का प्रकाशन आम चलन है। यह भूमिका किसी ऐसे व्यक्ति से लिखाई जाती है, जो उस विषय का मान्य विद्वान हो, उसकी बात का वजन हो और जिसके न्याय-विवेक पर भी लोगों का विश्
मैं जब चाहे बाल नहीं धो सकती
“आज बाल नहीं धोने हैं।” “क्यों?” “आज एकादशी है।” “पर बाबा तो अभी-अभी शैंपू करके निकले हैं।” “तुमसे तो बात ही करना बेकार है। चार किताब पढ़ के आज के लैकन तेज हो जाई त ह थ...” औरतों का ब