मुझे नए वर्ष की शुभकामना देने में इसीलिए डर लगता है!
हरिशंकर परसाई 01 जनवरी 2025
साधो, बीता साल गुज़र गया और नया साल शुरू हो गया। नए साल के शुरू में शुभकामना देने की परंपरा है। मैं तुम्हें शुभकामना देने में हिचकता हूँ। बात यह है साधो कि कोई शुभकामना अब कारगर नहीं होती। मान लो कि मैं कहूँ कि ईश्वर नया वर्ष तुम्हारे लिए सुखदायी करें तो तुम्हें दुख देनेवाले ईश्वर ही लड़ने लगेंगे। ये कहेंगे, देखते हैं, तुम्हें ईश्वर कैसे सुख देता है। साधो, कुछ लोग ईश्वर से भी बड़े हो गए हैं। ईश्वर तुम्हें सुख देने की योजना बनाता है, तो ये लोग उसे काटकर दुख देने की योजना बना लेते हैं।
साधो, मैं कैसे कहूँ कि यह वर्ष तुम्हें सुख दे। सुख देनेवाला न वर्ष है, न मैं हूँ और न ईश्वर है। सुख और दुख देनेवाले दूसरे हैं। मैं कहूँ कि तुम्हें सुख हो। ईश्वर भी मेरी बात मानकर अच्छी फ़सल दे! मगर फ़सल आते ही व्यापारी अनाज दबा दें और क़ीमतें बढ़ा दें तो तुम्हें सुख नहीं होगा। इसलिए तुम्हारे सुख की कामना व्यर्थ है।
साधो, तुम्हें याद होगा कि नए साल के आरंभ में भी मैंने तुम्हें शुभकामना दी थी। मगर पूरा साल तुम्हारे लिए दुख में बीता। हर महीने क़ीमतें बढ़ती गईं। तुम चीख-पुकार करते थे तो सरकार व्यापारियों को धमकी दे देती थी। ज़्यादा शोर मचाओ तो दो-चार व्यापारी गिरफ़्तार कर लेते हैं। अब तो तुम्हारा पेट भर गया होगा। साधो, वह पता नहीं कौन-सा आर्थिक नियम है कि ज्यों-ज्यों व्यापारी गिरफ़्तार होते गए, त्यों-त्यों क़ीमतें बढ़ती गईं। मुझे तो ऐसा लगता है, मुनाफ़ाख़ोर को गिरफ़्तार करना एक पाप है। इसी पाप के कारण क़ीमतें बढ़ीं।
साधो, मेरी कामना अक्सर उल्टी हो जाती है। पिछले साल एक सरकारी कर्मचारी के लिए मैंने सुख की कामना की थी। नतीजा यह हुआ कि वह घूस खाने लगा। उसे मेरी इच्छा पूरी करनी थी और घूस खाए बिना कोई सरकारी कर्मचारी सुखी हो नहीं सकता। साधो, साल-भर तो वह सुखी रहा मगर दिसंबर में गिरफ़्तार हो गया। एक विद्यार्थी से मैंने कहा था कि नया वर्ष सुखमय हो, तो उसने फ़र्स्ट क्लास पाने के लिए परीक्षा में नकल कर ली। एक नेता से मैंने कह दिया था कि इस वर्ष आपका जीवन सुखमय हो, तो वह संस्था का पैसा खा गया।
साधो, एक ईमानदार व्यापारी से मैंने कहा था कि नया वर्ष सुखमय हो तो वह उसी दिन से मुनाफ़ाख़ोरी करने लगा। एक पत्रकार के लिए मैंने शुभकामना व्यक्त की तो वह ‘ब्लैकमेलिंग’ करने लगा। एक लेखक से मैंने कह दिया कि नया वर्ष तुम्हारे लिए सुखदायी हो तो वह लिखना छोड़कर रेडियो पर नौकर हो गया। एक पहलवान से मैंने कह दिया कि बहादुर तुम्हारा नया साल सुखमय हो तो वह जुए का फड़ चलाने लगा।
एक अध्यापक को मैंने शुभकामना दी तो वह पैसे लेकर लड़कों को पास कराने लगा। एक नवयुवती के लिए सुख कामना की तो वह अपने प्रेमी के साथ भाग गई। एक एम.एल.ए. के लिए मैंने शुभकामना व्यक्त कर दी तो वह पुलिस से मिलकर घूस खाने लगा।
साधो, मुझे तुम्हें नए वर्ष की शुभकामना देने में इसीलिए डर लगता है। एक तो ईमानदार आदमी को सुख देना किसी के वश की बात नहीं हैं। ईश्वर तक के नहीं। मेरे कह देने से कुछ नहीं होगा। अगर मेरी शुभकामना सही होना ही है, तो तुम साधुपन छोड़कर न जाने क्या-क्या करने लगेंगे। तुम गाँजा-शराब का चोर-व्यापार करने लगोगे। आश्रम में गाँजा पिलाओगे और जुआ खिलाओगे। लड़कियाँ भगाकर बेचोगे। तुम चोरी करने लगोगे। तुम कोई संस्था खोलकर चंदा खाने लगोगे।
साधो, सीधे रास्ते से इस व्यवस्था में कोई सुखी नहीं होता। तुम टेढ़े रास्ते अपनाकर सुखी होने लगोगे। साधो, इसी डर से मैं तुम्हें नए वर्ष के लिए कोई शुभकामना नहीं देता। कहीं तुम सुखी होने की कोशिश मत करने लगना।
संबंधित विषय
'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए
कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें
आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद
हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे
बेला पॉपुलर
सबसे ज़्यादा पढ़े और पसंद किए गए पोस्ट
30 दिसम्बर 2024
वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची
ज्ञानरंजन ने अपने एक वक्तव्य में कहा है : ‘‘सूची कोई भी बनाए, कभी भी बनाए; सूचियाँ हमेशा ख़ारिज की जाती रहेंगी, वे विश्वसनीयता पैदा नहीं कर सकतीं—क्योंकि हर संपादक, आलोचक के जेब में एक सूची है।’’
16 दिसम्बर 2024
बेहतर गद्य लिखने के 30 ज़रूरी और जानदार नुस्ख़े
• जल्दी-जल्दी में लिखी गईं गोपनीय नोटबुक्स और तीव्र भावनाओं में टाइप किए गए पन्ने, जो ख़ुद की ख़ुशी के लिए हों। • हर चीज़ के लिए समर्पित रहो, हृदय खोलो, ध्यान देकर सुनो। • कोशिश करो कि कभी अपने
25 दिसम्बर 2024
नए लेखकों के लिए 30 ज़रूरी सुझाव
पहला सुझाव तो यह कि जीवन चलाने भर का रोज़गार खोजिए। आर्थिक असुविधा आपको हर दिन मारती रहेगी। धन के अभाव में आप दार्शनिक बन जाएँगे लेखक नहीं। दूसरा सुझाव कि अपने लेखक समाज में स्वीकृति का मोह छोड़
10 दिसम्बर 2024
रूढ़ियों में झुलसती मजबूर स्त्रियाँ
पश्चिमी राजस्थान का नाम सुनते ही लोगों के ज़ेहन में बग़ैर पानी रहने वाले लोगों के जीवन का बिंब बनता होगा, लेकिन पानी केवल एक समस्या नहीं है; उसके अलावा भी समस्याएँ हैं, जो पानी के चलते हाशिए पर धकेल
12 दिसम्बर 2024
नल-दमयंती कथा : परिचय, प्रेम और पहचान
“...और दमयंती ने राजा नल को परछाईं से पहचान लिया!” स्वयंवर से पूर्व दमयंती ने नल को देखा नहीं था, और स्वयंवर में भी जब देखा तो कई नल एक साथ दिखे। इनके बीच से असली नल को पहचान लेना संभव नहीं था।