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पौराणिक कथा पर उद्धरण

जैसे उपन्यास का सच संसार के सच से ज़्यादा सच्चा होता है, उसी तरह हमारा पुराण-सत्य, हमारा मिथक-सत्य—आपके इतिहास-सत्य से कहीं ज़्यादा ऊँचा है।

राजेंद्र माथुर

इतिहास का वह भी अंश जो चेतना-सम्पन्न होता है, आगे चलकर मिथकीय आकृति ले लेता है जैसे गौतम बुद्ध या शिवाजी अथवा अपने युग में लेनिन और गाँधी।

कुबेरनाथ राय

राम और कृष्ण के मिथक संकल्प और संवेग के चैतन्य स्रोत हैं।

कुबेरनाथ राय

मनु हमारे ऐतिहासिक तिथि क्रम से परे की वस्तु है।

वासुदेवशरण अग्रवाल

इतिहास की आदिम विद्या बहुत पुरानी है। आद्य मिथक भी एक तरह के इतिहास हैं, यदि उन्हें विशेष दृष्टि से समझने की कोशिश की जाए।

श्यामाचरण दुबे

अतिरूपवती होने से सीता का अपहरण किया गया। अतिगर्वी होने से रावण मारा गया। उदारता के कारण बलि का नाश हुआ। अतः ‘अति’ सर्वत्र त्यागनी चाहिए।

चाणक्य