
इतिहास का वह भी अंश जो चेतना-सम्पन्न होता है, आगे चलकर मिथकीय आकृति ले लेता है जैसे गौतम बुद्ध या शिवाजी अथवा अपने युग में लेनिन और गाँधी।

लेनिनवाद, साम्राज्यवाद और सर्वहारा क्रांति के युग का मार्क्सवाद इसीलिए है, क्योंकि लेनिन और स्तालिन ने इन अंतर्विरोधों की सही व्याख्या की है और उन्हें हल करने के लिए सर्वहारा क्रांति के सिद्धांत और कार्यनीति का सही निरूपण किया है।