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हँसी पर उद्धरण

हँसी एक भौतिक प्रतिक्रिया

है जो किसी आंतरिक या बाह्य उद्दीपन की अनुक्रिया के रूप में प्रकट होती है। इसे आनंद, ख़ुशी, राहत, सुख जैसी सकारात्मक भावावेश की श्रवण-योग्य अभिव्यक्ति माना जाता है। कई बार वह विलोम परिदृश्यों, जैसे : शर्मिंदगी, भ्रम या आश्चर्य की दशा में भी एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया के रूप में प्रकट होती है। इस चयन में हँसी विषय पर अभिव्यक्त उत्कृष्ट कविताओं को शामिल किया गया है।

वह मुस्कराहट जो तहों में छिपे हुए मनुष्यत्व को निखारकर बाहर ले आती है, यदि सोद्देश्य हो तो, वह उसके सौंदर्य की वेश्यावृत्ति है।

मोहन राकेश

मुस्कुराहट चेहरे को, मैले चेहरे को भी; बाग़ में बदल देती है।

कृष्ण बलदेव वैद

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