जिस तरह उर्दू के प्रसिद्ध कवि नासिर काज़मी शाइर होने के लिए शाइरी करने को ज़रूरी नहीं समझते, उसी तरह मेरे ख़याल से घुमक्कड़ होने के लिए घुमक्कड़ी करना ज़रूरी नहीं है।
घुमक्कड़ की एक अपनी अलग पहचान होती
असग़र वजाहत
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