
समुद्र विशाल एवं अखंड है। जो ऊपर नहीं दिखता, वह भीतर है।

अनिर्वचनीय है वह तो अखंड है। कहे जाने पर तो वह गल जाएगा।
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समुद्र विशाल एवं अखंड है। जो ऊपर नहीं दिखता, वह भीतर है।
अनिर्वचनीय है वह तो अखंड है। कहे जाने पर तो वह गल जाएगा।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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