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एमिली ब्रॉण्टे

1818 - 1848

एमिली ब्रॉण्टे की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 15

काश! मैं फिर से वह लड़की हो सकती—कुछ जंगली और खुरदरी, कठोर और आज़ाद।

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तुम्हें तब तक मुक्ति मिले, जब तक मैं ज़िंदा हूँ।

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बुरे लोगों को सज़ा देना ईश्वर का काम है, हमें माफ़ करना सीखना चाहिए।

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मुझे ख़ुद को साँस लेने के लिए याद दिलाना पड़ता है—दिल को भी धड़कने के लिए याद दिलाती हूँ।

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वह कभी नहीं जान पाएगा कि मैं उससे प्रेम करती हूँ : और यह भी कि ऐसा उसकी ख़ूबसूरती के चलते नहीं है, बल्कि वह मुझसे भी बढ़कर मेरा हिस्सा है। हम दोनों की आत्माएँ जिस भी चीज़ की बनी हों, वे एक हैं।

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