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नींद पर उद्धरण

नींद चेतन क्रियाओं के

विश्राम की नित्यप्रति की अवस्था है। प्रस्तुत चयन में नींद के अवलंब से अपनी बात कहती कविताओं का संकलन किया गया है।

कुछ भी इतना मधुर नहीं होना चाहिए कि सुनते ही नींद जाए और इतना प्रेरक भी नहीं कि समझने पर वैराग्य जाए।

रघुवीर चौधरी

अगर एक स्त्री अकेली सोती है तो यह सभी पुरुषों के लिए शर्मनाक है। ईश्वर के पास बड़ा दिल है, लेकिन एक ऐसा भी पाप है जिसे वह माफ़ नहीं करता : अगर एक स्त्री किसी पुरुष को बिस्तर पर बुलाती है और वह नहीं जाता।

निकोस कज़ानज़ाकिस

अनिद्रा के रोगी का अंतिम आश्रय सोई हुई दुनिया से श्रेष्ठता की भावना है।

लियोनार्ड कोहेन

इस संसार में मनुष्य चैन की नींद नहीं सो सकता। कई बार पलकों तक आई नींद भी गायब हो जाती है।

रघुवीर चौधरी

आपको विश्वास करने की आवश्यकता है कि आप फिर से सो सकते हैं।

सामंथा हार्वे

‘गहरी’ और कच्ची नींद में भेद की तरह ही गहरे और उथले विचारों में भेद होता है।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

नींद कब से विश्वास का विषय बन गई?

सामंथा हार्वे

जल्द ही हम सभी पृथ्वी के नीचे सोएँगे, हम जो औरों को कभी भी इसके ऊपर सोने नहीं देते हैं।

मरीना त्स्वेतायेवा

अपनी उपलब्धियों से आश्वस्त होना बर्फ़ में चलते हुए विश्राम करने जैसा ख़तरनाक है : आप ऊँघते-ऊँघते सो जाते हैं और नींद में ही मर जाते हैं।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

मैं सवाल-जवाब करता रहता हूँ, जब तक नींद नहीं जाए।

राजकमल चौधरी

निद्रा भी कैसी प्यारी वस्तु है। घोर दु:ख के समय भी मनुष्य को यही सुख देती है।

जयशंकर प्रसाद

अनासक्ति की एक परीक्षा है कि मनुष्य रामनाम लेकर सोने के समय एक क्षण में सो सकता है।

महात्मा गांधी

मैं सवाल-जवाब करता रहता हूँ, जब तक नींद नहीं जाए।

राजकमल चौधरी

सोते हुए इन सात प्राणियों को जगा देना उचित है—विद्यार्थी, सेवक, यात्री, भूखा, भयभीत, भांडार-अधिकारी और द्वारपाल। सोए हुए इन सात प्राणियों को जगा देना उचित नहीं है—सर्प, राजा, सिंह, सुअर, बालक, पराया कुत्ता और मूर्ख।

चाणक्य