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मीठा पर उद्धरण

मीठा—यानी जो स्वाद में

मधुर या प्रिय हो। इस चयन में मीठा और मिठास को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

कुछ भी इतना मधुर नहीं होना चाहिए कि सुनते ही नींद जाए और इतना प्रेरक भी नहीं कि समझने पर वैराग्य जाए।

रघुवीर चौधरी

कुछ भी इतना मधुर नहीं होना चाहिए कि सुनते ही नींद जाए और इतना प्रेरक भी नहीं कि समझने पर वैराग्य जाए।

रघुनाथ चौधरी

स्वर का गीत मीठा है सही, किंतु हृदय का गीत ही तो ईश्वर की सच्ची आवाज़ है।

खलील जिब्रान

हमारे मधुरतम गीत वे ही होते हैं जो अधिकतम विषादयुक्त विचार व्यक्त करते हैं।

शंकर शैलेंद्र

मधुर वचनों के होते हुए उन्हें छोड़कर कटु वचन का प्रयोग करना पके फलों के होते हुए कच्चे को खाने के समान है।

तिरुवल्लुवर

मधुर के साथ मधुर द्रव्य मिल कर मधुमय बन गया। ऐसा संयोग सौभाग्य से ही मिलता है।

गंगाधर मेहेर