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नाव पर उद्धरण

कवियों ने नाव को जीवन

और गति के प्रतीक के रूप में देखा है। जीवन के भवसागर होने की कल्पना में पार उतरने का माध्यम नाव, नैया, नौका को ही होना है।

अज्ञानवश डोंगी से सागर पार करने की इच्छा कर रहा हूँ।

कालिदास

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