
कर्तव्यनिष्ठ पुरुष कभी निराश नहीं होता।

किसी किश्ती पर अगर फ़र्ज़ का मल्लाह न हो तो फिर उसे दरिया में डूब जाने के सिवा और कोई चारा नहीं।

दिन के चौबीस घंटे कर्त्तव्य का पालन करना या सेवा करना यज्ञ है।
कर्तव्यनिष्ठ पुरुष कभी निराश नहीं होता।
किसी किश्ती पर अगर फ़र्ज़ का मल्लाह न हो तो फिर उसे दरिया में डूब जाने के सिवा और कोई चारा नहीं।
दिन के चौबीस घंटे कर्त्तव्य का पालन करना या सेवा करना यज्ञ है।