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आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आख़िरी तस्वीरें

दाह! 

ये सभी चित्र सफ़ेद रंग के एक छोटे-से लिफ़ाफ़े में रखे हुए थे, जिस पर काली सियाही से लिखा हुआ था—दाह।

पिछले 83 सालों से इन चित्रों को जाने-अनजाने बिला वजह गोपनीय बनाकर रखा गया और धीरे-धीरे लोग इन्हें भूल गए। हमारे यहाँ ऐसी बहुत-सी मूल्यवान सामग्री नष्ट हो गई है और जो कुछ बची है, समय-समय पर आपके साथ साझा की जाएगी।

लेकिन अब, हम ऐसी अकारथ गोपनीयता के ख़िलाफ़ हैं। हम लोग गोपनीयताओं को उजागर करेंगे और धतकरम की पोल खोल देंगे। यह नई नागरीप्रचारिणी सभा है, जो पिछले सारे भरम तोड़ देगी।

इन दिनों सभा में साफ़-सफ़ाई का काम चल रहा है। आधी सदी का कचरा है, सो मंज़िल तक पहुँचने में पर्याप्त समय लग रहा है। हमारे पास सीमित संसाधन और जनशक्ति है; लेकिन जो भी लोग हैं, वे समर्पित और मेहनती हैं। 

ये चित्र 2 फ़रवरी, 1941 को उतारे गए थे; यानी वसंत पंचमी के अशुभ दिन, जब आधुनिक हिंदी साहित्य ने अपने सबसे बड़े आलोचक, साहित्येतिहासकार, कोश-निर्माता, विद्वान कवि और निबंधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल को खो दिया था। 

नागरीप्रचारिणी सभा के साथ आचार्य शुक्ल के संबंधों की प्रगाढ़ता के बारे में अलग से कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है। शुक्ल जी की सभी कालजयी पुस्तकों का स्वत्वाधिकार सभा के पास रहा आया है।

हिंदी के इस महान् आचार्य की बौद्धिकता का सर्वोत्तम अंश नागरीप्रचारिणी सभा और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के परिसर में प्रकट और घटित हुआ है। उनके लिखे एक-एक शब्द में अपने छात्रों और हिंदी के नए पाठकों के बौद्धिक उत्थान की आकांक्षा अनुस्यूत है। 

शोक की ये तस्वीरें सभा आचार्य शुक्ल की जयंती—4 अक्टूबर - की पूर्वसंध्या पर जारी कर रही है। इस अवसर पर हमें कहीं न कहीं इस बात का संतोष है कि एक संस्थान के तौर पर हम फिर से समाज को कुछ-कुछ दे पाने की स्थिति में लौट रहे हैं।

आने वाले दिनों में हिंदी साहित्य का इतिहास सहित शुक्लजी की अनेक कृतियों के नए संस्करणों के साथ हम सभा की पुस्तकों के प्रकाशन के नए युग का समारंभ करेंगे। यों कॉपीराइट की समयावधि पूरी हो जाने के बाद से अनेक प्रकाशक उनकी पुस्तकें छाप रहे हैं; लेकिन यक़ीन कीजिए, इन्हीं पुस्तकों के सभा द्वारा प्रकाशित अभिनव संस्करणों में इतना कुछ ताज़ा, प्रामाणिक और प्रासंगिक होगा कि हिंदी संसार एक नए आलोक में अपने कालजयी आचार्य को फिर से पहचानेगा। 

आचार्य रामचंद्र शुक्ल अमर रहें।

(इन चित्रों का स्वत्वाधिकार नागरीप्रचारिणी सभा के पास है। आप अगर इनका प्रयोग करें तो कृपया नागरीप्रचारिणी सभा का उल्लेख अवश्य करें।)

नागरीप्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री और हिंदी के सुपरिचित कवि-गद्यकार व्योमेश शुक्ल की 3 अक्टूबर 2024 की फ़ेसबुक-पोस्ट

चित्र :

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