आज़ादी पर बेला
स्वतंत्रता, स्वाधीनता,
मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।
रसोई घर का इंक़लाब
रसोई घर की ओर बढ़ती हुई स्त्रियाँ सोचती तो होंगी कि कैसे शाम-सवेरे बिना किसी दबाव के उनके क़दम उस ओर जाने लगते हैं। इसके लिए अधिकतर उन्हें किसी से कहलवाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, न समय के दुरुस्त होन
स्त्रियों के संसार में ही घिरती है रात
ये उसकी सुबह थी पीठ पर धक्का मारते पुलकित के नन्हें पैर सुबह की अलसाई नींद के गवाह थे। इससे पहले वह इस आनंद में डूबती, भागते समय की हक़ीक़त एक कुशल ग़ोताख़ोर की तरह उसे अप्रतिम सुख की नदी से बाहर
बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव
पिछले हफ़्ते मैंने सुमेर की डायरी ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ पढ़ी। इसे पढ़ने में दो दिन लगे, हालाँकि एक दिन में भी पढ़ी जा सकती है। जो किताब मुझे पसंद आती है, मैं नहीं चाहती उसे जल्दी पढ़कर ख़त्म कर दूँ; इसलिए
चिनार पुस्तक महोत्सव : कश्मीर घाटी का पहला सबसे बड़ा पुस्तक मेला
श्रीनगर में पहली बार बहुत बड़े स्तर पर आयोजित होने वाले पुस्तक मेले ‘चिनार पुस्तक महोत्सव’ का शुभारंभ 17 अगस्त 2024 को होगा। नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) और ज़िला प्रशासन श्र
आज के दिन भूलकर भी न देखें ये फ़िल्में
इन पंक्तियों के लेखक के एक प्राचीन आलेख (कभी-कभी लगता है कि गोविंदा भी कवि है) के शीर्षक की तरह ही यहाँ प्रस्तुत आलेख का शीर्षक भी बहुत बड़ा हो रहा था, इसलिए इसे किंचित संपादित करना पड़ा। दरअस्ल, पूरा
स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्त्रियों की स्वाधीनता कहाँ है?
रात का एक अलग सौंदर्य होता है! एक अलग पहचान! रात में कविता बरसती है। रात की सुंदरता को जिसने कभी उपलब्ध नहीं किया, वह कभी कवि-कलाकार नहीं बन सकता—मेरे एक दोस्त ने मुझसे यह कहा था। उन्होंने मेरी तरफ़
स्त्री सेक्सुअलिटी के पहलू
यदि कोई स्त्री कहे कि उसे सेक्स की चाह है, उसकी कामभावनाएँ असंतुष्ट हैं तो इसे क्या कहा जाएगा? हमारे समाज में समस्या यही है कि यह वाक्य सुनते ही सारा ध्यान इस वाक्य से हटकर इस वाक्य को कहने वाली पर