आज़ादी पर डायरी
स्वतंत्रता, स्वाधीनता,
मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।
दूसरी गोलमेज़-परिषद् में गांधी जी के साथ : तीन और चार
31 अगस्त , ‘31 ‘राजपूताना जहाज़’ पंडित जी भी बात सुनिए। आज तीसरा दिन है पर पंडित जी की प्राय: एकादशी ही चलती है बात यह है कि पंडित जी का रसोईया बीमार है और आटे-सीधे के बक्से का कहीं पता नहीं। पंडित जी से लाख प्रार्थना की कि महाराज, बोट का चावल-आटा