आज़ादी पर संस्मरण
स्वतंत्रता, स्वाधीनता,
मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
दिन के बारह बजे जब संतरी बदल गए तो नए संतरियों ने बहुत ध्यान से फाँसी घर की कोठरियों को देखा। ताले देखे, जंगले देखे, फिर क़ैदियों की तरफ़ देखा। एक कोठरी ख़ाली थी। बाक़ी तीन कोठरियों मे तीन फाँसी वाले बंद थे। पर उन में से किसी ने भी आज खाना नहीं खाया