चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने, किंतु जिनको भाँजता है उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें।
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नारी जो कहती है वह उसका अभिप्राय नहीं होता, और जो उसका अभिप्राय होता है, वह कहती नहीं, लेकिन जब भी नारी कुछ कहती है तब उसका कुछ अभिप्राय अवश्य होता है।
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अमेरिकी स्वप्न में 'छोटा' कुछ नहीं हो सकता। यानी जो छोटा है उसे 'छोटा' कहा नहीं जा सकता। अगर आप चूहा-दौड़ में भी हैं, तो संसार की सबसे बड़ी चूहा-दौड़ में हैं, अगर बौने हैं तो भी विराट बौने हैं।
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अकेले बैठना, चुप बैठना—इस प्रश्न की चिंता से मुक्त होकर बैठना कि ‘क्या सोच रहे हो?’—यह भी एक सुख है।
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किसी भी समाज को अनिवार्यतः अपनी भाषा में ही जीना होगा। नहीं तो उसकी अस्मिता कुंठित होगी ही होगी और उसमें आत्म-बहिष्कार या अजनबियत के विचार प्रकट होंगे ही।
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