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वसंत पर कविताएँ

वसंत को ऋतुराज कहा गया

है, जब प्रकृति शृंगार करती है। प्रकृति-काव्य का यह प्रमुख निमित्त रहा है। नई कविताओं ने भी वसंत की टेक से अपनी बातें कही हैं। इस चयन में वसंत विषयक कविताओं को शामिल किया गया है।

वीरों का कैसा हो वसंत?

सुभद्राकुमारी चौहान

बसंती हवा

केदारनाथ अग्रवाल

अंतिम दो

अविनाश मिश्र

याद

कैलाश वाजपेयी

पलाश

मनोज कुमार पांडेय

भरोसा

सारुल बागला

वसंत

राकेश रंजन

वसंत

उदय प्रकाश

पहली बारिश

सुधांशु फ़िरदौस

वसंत की शामें

संजीव मिश्र

कठ-करेज समय

रूपम मिश्र

वसंत

अखिलेश श्रीवास्तव

बसंत की देह

ज्याेति शोभा

प्रतीक्षा

मनोज कुमार झा

वसंत-राग

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

वसंत में

अमन त्रिपाठी

बीच का बसंत

विजय देव नारायण साही

वसंत में इस बार

अवधेश कुमार

वसंत

रघुवीर सहाय

अँधेरे में वसंत

लीलाधर जगूड़ी

वसंत के नाम पर

रामधारी सिंह दिनकर

फ़रवरी का स्वागत

वीरेन डंगवाल

वसंत

दूधनाथ सिंह

प्रेम में अनकहा

रूपम मिश्र

वसंत आया

रघुवीर सहाय

तब समझूँगा आया वसंत

शिवमंगल सिंह सुमन

उदास हो चला गया वसंत

रविशंकर उपाध्याय

पीले फूल कनेर के

श्री नरेश मेहता

वर्षा वसंत की

नंदकिशोर आचार्य

प्रारब्ध

आग्नेय

दु:ख

ऋतु त्यागी

इतने बहुत-से वसंत का

भवानीप्रसाद मिश्र

पराजित मन

शंकरानंद

कोरोना में वसंत

वंशी माहेश्वरी

मैंने तो देखा है अपना पंथ

कृष्ण मुरारी पहारिया

थार

अनिल मिश्र

प्रेम में पगी

महेश चंद्र पुनेठा

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