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संगीत, प्यार और दर्द से बुना गया एक उपन्यास

“इतने साल पहले मेरे साथ क्या हुआ था? मुझे प्यार मिले या न मिले, मैं उस शहर में बना नहीं रह सकता था। मैंने ठोकर खाई, मेरा दिमाग़ ठस हो गया, मुझे अपनी हर साँस बोझ लगने लगी। मैंने उससे कह दिया कि मैं जा रहा हूँ और चला गया। दो महीने तक मैं कुछ भी नहीं कर सका, उसे चिट्ठी भी नहीं लिख सका। मैं लंदन चला आया। कुहासा छँटा तो ज़रूर, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब तुम कहाँ हो यूलिया और क्या तुमने अभी तक मुझे माफ़ नहीं किया?”

किताब शुरू होती है और हमारा साक्षात्कार तीव्र प्रतीक्षा के दृश्य से होता है, “मैं बेंच को टटोलकर देखता हूँ, लेकिन उस पर बैठता नहीं। कल की तरह, परसों की तरह, मैं तब तक खड़ा रहता हूँ जब तक मेरे विचार ग़ायब नहीं हो जाते। मैं सर्पेंटाइन के पानी को देखता हूँ।” चरित्र ख़ुद से संवाद करता है और समय की अविरल धारा से—आज, कल और परसों, क्या हम बेंच का चुनाव करके भी उस पर न बैठकर केवल खड़े रहना चाहते हैं (विवशता के कारण)? समय की नदी की कलकल बहती जलधारा में अपने उद्विग्न विचारों के साथ विलीन हो जाने के लिए; जिसका समापन कहीं भी नहीं होता। अंत में एक अकथनीय विकलता रह जाती है।

प्रेम जो मिला, नादानी में खो गया, भाग्य या संयोग से दोबारा मिला। ईर्ष्या और आत्मबोध के कारण खो दिया गया और फिर नहीं मिला। एक घाव के रूप में उदित होने वाली असह्य पीड़ा बन गया, जिसे अधिकतर ने प्रतीक्षा का नाम दिया और जिसने अपूर्णता के उत्स से जन्म लिया।

‘एक-सा संगीत’ (ऐन इक्वल म्यूज़िक) विक्रम सेठ का एक बहु-प्रशंसित और प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसमें उन्होंने प्रेम और संगीत के कलात्मक रूप को एक अत्यंत गंभीर और परिपक्व भावनात्मकता के धरातल पर चित्रित किया है। उपन्यास ‘फ़ीनिक्स हाउस’, लंदन से 1999 में प्रकाशित हुआ, जिसका हिंदी में न केवल पठनीय बल्कि सरस अनुवाद मोजेज़ माइकल द्वारा 2001 में किया गया। यह राजकमल प्रकाशन समूह ने छापा।

विक्रम सेठ अपने प्रख्यात और सफलतम उपन्यास ‘एक अच्छा-सा लड़का’ (ए सूटेबल ब्वॉय) के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उन्होंने ‘द गोल्डेन गेट’ जैसे महत्त्वपूर्ण काव्यात्मक उपन्यास के रूप में सफल प्रयोग भी किए। उन्होंने एक कवि के रूप में भी अपनी दीप्तिमान मेधा का परिचय दिया है। उनकी गिनती भारत के अन्य सम्मानित अँग्रेज़ी लेखकों वी.एस. नायपॉल, ख़ुशवंत सिंह, सलमान रुश्दी, अनीता देसाई, अरुंधति रॉय, आग़ा शाहिद अली और अमिताव घोष के साथ की जाती है। वह भारत में समलैंगिक अधिकारों के प्रति समय-असमय अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे हैं। वह स्वयं भी समलैंगिक हैं और प्रसिद्ध संगीत सर्जक फ़िलिप ऑनॉरे के साथ कई वर्षों तक उनके मधुर संबंध रहे हैं। यह उपन्यास भी फ़िलिप ऑनॉरे को ही समर्पित है जो उनके प्रेम की गंभीरता और परिपक्वता को अभिव्यक्त करता है।

‘एक-सा संगीत’ अपने औपन्यासिक सौष्ठव में अतुलनीय है। अपरूप सुंदर है, अनुल्लंघनीय है। प्रेम-संयोग-वियोग, आनन्द, शोक, उद्दाम भावनाओं, तीव्र अभिलाषाओं, दुर्दमनीय कामनाओं, अदम्य इच्छाओं, रक़ाबत, एकाकीपन, अपराधबोध-आत्मबोध, क्षमा और प्रेम की अनश्वरता का एक गीतिकाव्य है।

विक्रम सेठ ने बहुत तल्लीनता और तपस्विता के साथ मोह और विरक्ति, पाप और व्यभिचार, प्रेम और संगीत, क्षमा और प्रतीक्षा के हज़ारों वर्षों से तर्क-वितर्क पर आधारित विमर्श के सुरों को मिलाकर एक ऐसी अविस्मरणीय धुन का संयोजन किया है, जो पाठक के मन के तारों को झंकृत कर देती है। बैनस्सुतूर इसकी गूँज उसे भी सुनाई देती है जो बहरा हो रहा है, अर्थात् वह जो कुछ-कुछ या बहुत कम सुन पाता है लेकिन कहने वाले से अधिक समझता है, वह जो बहुत कुछ कहने और लिखने के बावुजूद अंतर्मन की पीड़ा का लेश मात्र भी वर्णित नहीं कर सका, और ईर्ष्या की आग में एक प्रेमी के सम्मान को भी भस्म कर बैठा। संगीत-प्रेम-कथा विकास के क्रम में लेखक ने जिस भाषा का प्रयोग किया है, वह उपन्यास को संवेदना और भावुकता के स्तर पर तो समृद्ध बनाती ही है, साथ ही उनके अँग्रेज़ी भाषा पर असाधारण अधिकार और शास्त्रीय संगीत की गहरी समझ को भी दर्शाती है। मुहावरों का इस्तेमाल किसी भी कृति को रोचक एवं सरस ही नहीं बनाता बल्कि पठनीयता को अत्यधिक सरल बना देता है। वह तो गद्यकाव्य जैसी सुगंध से महकती प्रवाहपूर्ण और आलंकारिक भाषा ही है जो प्रेम-पीड़ा-संगीत के त्रिकोण से सृजित प्रत्येक सुंदर दृश्य को अद्वितीय बना देती है।

“जब मेरी आँख खुलती है तो उसकी सोई बाँहें मुझसे लिपटी होती हैं, लेकिन मुझे ये अहसास नहीं होता कि उसने मुझे क्षमा कर दिया। उसके कंधे पर काटने के निशान अब भी बने हुए हैं। ये पीले हो जाएँगे और कई दिन तक उभरे रहेंगे। इन्हें बातों से कैसे मिटाया जा सकता है?”

'एक-सा संगीत' का एक विशेष बिंदु है क्षमा। क्या व्यक्ति ख़ुद को क्षमा नहीं कर सकता? हम जो सोचते हैं कि हमने किसी के हृदय को खंडित किया है; उसका विश्वास, उसका सम्मान, उसका प्रेम छला है तो वही व्यक्ति हमें क्षमा करे। यहाँ माइकेल का यह सोचना कि “उबले हुए अंडे को उसकी पहले वाली हालत में नहीं लाया जा सकता और न टूटे विश्वास को जोड़ा जा सकता है” उसे और अधिक पीड़ा से भर देता है। तो क्या क्षमा पश्चाताप के भाव से स्वयं की संतुष्टि के लिए भी नहीं उत्पन्न हो सकती? माइकेल जो यूलिया के प्रति बहुत अधिक प्रेम से भरा हुआ है और उसे लगता है कि उसके कारण यूलिया का जीवन दुखमय बना रहा, तो क्या यूलिया ने उसे उसके अपराध के लिए क्षमा कर दिया है? ये एक प्रकार का इल्यूज़न है, जो वास्तव में कहीं भी नहीं होता। वेनिस यात्रा के अंतिम दिन माइकेल स्वयं से संवाद करता है, “जो मैंने किया, वह अक्षम्य था—लेकिन मैं ख़ुद भी क्षमा करने के मूड में नहीं हूँ।” वह आत्मबोध से ग्रस्त हो जाता है और यही बोध उसे अपराधबोध की ओर ले जाता है, जब यूलिया उसके (अनुचित या घृणित?) व्यवहार पर उससे बहस करती है और माइकेल भी स्वयं को एक 'वस्तु या उत्पाद' की तरह प्रयोग किए जाने पर क्रोध व्यक्त करता है लेकिन सोचता भी है कि वेनिस प्रवास में किए गए अंतिम सहवास में ईर्ष्या के कारण सब कुछ नष्ट हो गया, वहशी दरिंदे के समान किए गए दंतक्षतों ने यूलिया के शरीर को ही नहीं दाग़ा बल्कि मन और आत्मा को भी भयभीत और कड़वाहट से भर दिया।

उपन्यास आठ विशाल अध्यायों में बाँटा गया है जिसमें पहला सत्रह, दूसरा चौबीस, तीसरा बीस, चौथा सत्ताईस, पाँचवाँ सत्रह, छठा अठारह, सातवाँ बीस और अंतिम पैंतीस भागों पर आधारित है।

उपन्यास का नायक माइकेल होम, एक सज्जन व्यक्ति स्टैनली होम (जो रॉचडेल में एक क़साई था) का इकलौता पुत्र है। माइकेल पिछले दस वर्षों से अधिकतर लंदन के बेज़वॉटर के आसपास आर्केंजल कोर्ट के एक साउंड-प्रूफ़ घर में रहता है। यहाँ वह एक संगीत शिक्षक और एक क्वॉर्टेट मजॉरी का सदस्य है जिसमें उसके सह-संगीतकार हेलन और पेयर्ज़ नामक दो बहन-भाई और बिली हैं, ये लोग विभिन्न देशों और शहरों में संगीत-प्रस्तुति देते हैं और आजीविका कमाते हैं।

माइकेल एक वायलिन एवं वियोला वादक है, जिसने मैनचेस्टर के रॉयल नॉर्दर्न कॉलेज ऑव म्यूज़िक और विएना की एक संगीत अकादेमी में संगीत के प्रसिद्ध प्रोफ़ेसर कार्ल शेल से संगीत की शिक्षा ली है। आर्केंजल कोर्ट में वह अपनी एक छात्रा वर्जीनी को संगीत सिखाता है और वे दोनों पिछले एक वर्ष से शारीरिक अथवा आवश्यकता पर आधारित संबंध भी बनाते हैं।

यूलिया मैकनिकोल, जो मुख्य नायिका है, ऑक्सफ़ोर्ड के एक प्रोफ़ेसर की बेटी है, कार्ल शेल की संगीत छात्रा है, माइकेल होम की प्रेमिका है, बॉस्टन के निवासी एक बैंकर जेम्स हैनसन की पत्नी (विवाह के बाद यूलिया हैनसन) और एक छः वर्ष के पुत्र लूक की माँ है।

'एक सा संगीत' में मुख्यतः चार शहर हैं—लंदन, विएना, वेनिस और रॉचडेल। विएना—जहाँ दो-तीन वर्ष के प्रवास में माइकेल और यूलिया का प्रेम पल्लवित हुआ और फिर दस वर्षों की एक दीर्घावधि के विरह की भेंट चढ़ गया। जहाँ दोनों प्रेमियों ने बॉसेन डार्फर हॉल और लिंट्स शहर के आसपास कार्ल शेल के शिष्यत्व में कभी क्रॉइत्सर के सोनाटा और कभी बाख़ के आर्ट ऑव फ्यूग की प्रस्तुति दी थी। जहाँ दस वर्षों के बाद उन्होंने पुनः ब्रॉम्स हॉल में संगीत प्रस्तुति दी। शूबर्ट और हेडन का शहर है। बुश, टकॉक, जुलिआर्ड और ट्राउन जैसे क्वॉर्टेट्स का केंद्र रहा है।

लंदन वह शहर है जहाँ मजॉरी है, जहाँ विग्मोर हॉल है और जहाँ चारों सदस्य घंटों रियाज़ करते हैं। कभी वह बाख़ की वाद्य संगीत संबंधी मधुर कृति 'पार्टीटा' बजाते हैं। कभी प्रेल्यूड का अभ्यास करते हैं, कभी पिटर्सकारो क्वार्टरटोन, कभी स्ट्रिंग क्वॉर्टेट सी माइनर, कभी वे आरपेजो पर चर्चा करते हैं। कभी ग्रास फ्यूग को बजाते हैं, कभी ओपस 1 नंबर 3, सी माइनर में, कभी मोज़ार्ट के 330 सी मेजर, कभी हेडेन का ओपस 64, कभी स्ट्रिंग क्विंटेट के आरोह-अवरोह का अभ्यास किया जाता है। संगीत के वाद्य यंत्रों का अभ्यास देखना बड़ा अदभुत होता होगा लेकिन यहाँ हम चेलो, वियोला, वायलिन, पियानो और माइकेल के तोनोनी को जैसे अपने सामने ही संगीत रचना का बनाव-सिंगार देखते हैं। उपन्यास के 444 पृष्ठ 'एक-सा संगीत' नहीं परोसते जिससे पाठक बोर हो जाए; बल्कि यह रहस्य तो संगीत, प्रेम, पीड़ा, क्षमा और प्रतीक्षा की अनुरंजनी से रंगी गई ऐसी रंग-ध्वनियाँ हैं जिन्हें अविराम एक ऐसे गीत-संगीत के रूप में गाया-सुना गया जिनमें अक्षर-शब्द-वाक्य सुर-आलाप-सरगम बन जाते हैं। जहाँ संसार के महानतम संगीतज्ञों मोत्ज़ार्ट, बीथोवेन, बाख़, ब्रॉम्स, क्रॉइत्सर, शूबर्ट और हेडेन की महत्त्पूर्ण धुनें और ध्वनि-कृतियाँ जैसे कर्ण-प्रियता को बढ़ाती हैं।

“तुम मुझे परेशान कर रहे हो। तुम समझ रहे हो? तुम मुझे परेशान कर रहे हो। मेहरबानी करके आइंदा मेरे इंतिज़ार में मत खड़े होना। मैं तुमसे नहीं मिलना चाहती। मैं नहीं चाहती। मैं सचमुच नहीं चाहती। अगर मैं तुमसे मिली तो मैं टूट जाऊँगी… अगर तुम मुझे प्यार करते हो तो तुम यह नहीं चाहोगे और अगर तुम मुझे प्यार नहीं करते हो तो जाओ और अपनी ज़िंदगी जियो।”

वेनिस इस उपन्यास का महत्त्वपूर्ण अंग है, लेखक ने पूरा एक अध्याय ही वेनिस में यूलिया और माइकेल के प्रेमिल पुनर्जीवन पर लिखा है। उपन्यास का सबसे अदभुत और अंतरंग अध्याय है यह! यहाँ हम विक्रम सेठ की फ़िक्शन लिखने की कला को देखते हैं। जब वह हमें ये बताते हैं कि कला हो या प्रेम जब तक उसका अद्यतन या नवाचार न हो, वे बिरस पतझड़ के समान हो जाते हैं। यूलिया माइकेल को वेनिस की क्षेत्रीय भाषा के कुछ नए शब्द सिखाती है; जैसे वापोरेत्तो, गोंडोला, मॉरबीलो, प्रोजेक्को और कैनपे आदि। वहीं माइकेल उससे अँग्रेज़ी भाषा में अक्षरों के हेर-फेर (गॉबलेबल और कॉप्यूलेबल) से वयस्क मज़ाक़ करता है। वेनिस में वे दोनों एक-दूसरे के प्रति सर्वाधिक समर्पित, प्रसन्न और संतुष्ट हो जाते हैं। एक दूसरे के मन और शरीर में प्रवेश करते हैं और तृप्ति को प्राप्त होते हैं।

विक्रम सेठ हमें सूचित करते हैं कि यूलिया के प्रेम में वासना नहीं बल्कि उन्मुक्तता है और वह इसी कारण अधिक समय शांत रहती है, जबकि माइकेल का मन कुछ विचलित ही रहता है। ऐसा लगता है जैसे प्रेम में निष्ठा, वासना, ईर्ष्या और अपराधबोध-आत्मबोध बहुत गहरे रहस्य हैं जो किस पर कब और क्यों और किस प्रकार उद्घाटित होंगे, कोई भी नहीं जानता। एक बिंदु पर विचार करते हुए हमें पता चलता है कि माइकेल यूलिया के पति के प्रति घनघोर क़िस्म की ईर्ष्या से पीड़ित है, जबकि इसके विपरीत यूलिया उसके और वर्जीनी के शारीरिक संबंध को भी बहुत सजहता से स्वीकार कर लेती है।

यहाँ हमें शताब्दी के महान चेक उपन्यासकार मिलान कुंडेरा के प्रख्यात उपन्यास The Unbearable Lightness of Being का एक दृश्य याद आता है, “टॉमस उसे विश्वास दिलाने की कोशिश करता रहा कि प्रेम और सहवास दो भिन्न चीज़ें हैं, वह समझने से इंकार करती रही।” (सातवाँ भाग, आत्मा एवं शरीर)

कितना आह्लाद है यह जानने में कि दो अलग-अलग भाषाओं के अत्यंत महत्वपूर्ण उपन्यास स्त्री-पुरुष संबंधों की एक समान परिस्थितियों की अलग-अलग परतें खोलते हैं। यहाँ एक विचारणीय बात यह है कि सेठ कुछ प्रश्न उठाते हैं, क्या प्रेम शरीरी और अशरीरी की श्रेणी में विभाजित किया जा सकता है? निष्ठा और व्यभिचार की संकल्पना भारतीय और यूरोपीय संस्कृति में किस प्रकार परिभाषित की गई है?

'एक-सा संगीत' का समस्त संगीत एक सशक्त उपादान है, दोनों प्रेमियों को मनोवैज्ञानिक तनाव से मुक्ति दिलाने का और एक संकेत कि प्रेम या संग के न रहने पर भी वह केवल संगीत ही था जो उन्हें एक-दूसरे से संबद्ध रख सका। यहाँ संगीत और प्रेम की तुलना करने पर पता चलता है कि जिस प्रकार संगीत में उतार-चढ़ाव आते हैं, उसी प्रकार प्रेम भी उतार-चढ़ाव से गुज़रता है, जिस प्रकार ध्वनि-कृतियाँ आरोह-अवरोह से बंधी होती हैं, उसी प्रकार यूलिया और माइकेल के व्यवहारों में भी परिस्थितिजन्य आरोह-अवरोह पैदा होता रहता है।

उपन्यास जैसे-जैसे अपने अंत की ओर बढ़ता है—संगीत, प्रेम और पीड़ा वैसे-वैसे ही अंतहीन होने की घोषणा करते हैं। उपन्यास पर उसकी समग्रता में विचार करते हुए हमें एक विचित्र पहलू मिलता है—पहली बार अलग होने पर माइकेल यूलिया को छोड़कर लंदन से विएना चला जाता है, जबकि दूसरे बिछोह में यूलिया माइकेल को छोड़कर लंदन से बॉस्टन चली जाती है। कितने ग़ज़ब का संयोग है कि प्रेमियों की नियति में विरह के शोक और मिलन के आनंद का अनुपात बराबर रहता है और यह एक अपरिवर्तनीय वास्तविकता है कि यदि जीवन का संगीत प्रेम है, तो प्रेम का संगीत एक अनंत प्रतीक्षा है, एक अलौकिक और शाश्वत प्रतीक्षा!

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