Font by Mehr Nastaliq Web

जामिया में हुआ दिल्ली का पहला ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के FTK-CIT सभागार में, 16 अक्टूबर को ‘कैंपस कविता’ का आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन रेख़्ता समूह के उपक्रम ‘हिन्दवी’ ने लिटरेरी क्लब, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सहयोग से किया। दिल्ली में ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ का यह पहला आयोजन था। इसमें साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित कवि अनामिका, सुप्रसिद्ध कवि लीलाधर मंडलोई और सुपरिचित कवि लीना मल्होत्रा राव कविता-पाठ के लिए आमंत्रित थे।

प्रतियोगिता में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों द्वारा अपनी-अपनी स्वरचित कविताओं की प्रविष्टि जमा की गई। जिसमें से काव्य-प्रतियोगिता के लिए चयनित प्रतिभागियों थे : मयंक यादव, अंबर सोमवंशी, मोहम्मद तनवीर हसन, सचिन आनंद, हनीफ़ ख़ान, राहुल खंडेलवाल, फ़िरदौस आलम, मृगांक शेखर मिश्रा, मोहम्मद मुअस्सर और तऊज़ तनवीर।

दो सत्रों के इस कार्यक्रम में कैंपस के विद्यार्थियों को आमंत्रित कवियों से जुड़ने और उनके सम्मुख अपनी कविताएँ सुनाने का अवसर प्राप्त हुआ। साथ ही प्रतिभागियों और श्रोताओं को आमंत्रित कवियों का कविता-पाठ सुनने का अवसर भी मिला। 

बतौर निर्णायक आमंत्रित कवियों ने विद्यार्थी-कवियों की कविताओं पर बात की, और 10  प्रतिभागी कवियों में से मोहम्मद मुअस्सर (प्रथम पुरस्कार), सचिन आनंद (द्वितीय पुरस्कार), फ़िरदौस आलम (तृतीय पुरस्कार) और राहुल खंडेलवाल (सांत्वना पुरस्कार) को पुरस्कृत किया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में जामिया मिल्लिया इस्लामिया हिंदी भाषा विभाग से संबद्ध प्रोफ़ेसर और सुपरिचित कवि-गद्यकार दिलीप शाक्य और विश्वविद्यालय के ही अँग्रेज़ी भाषा विभाग से संबद्ध असिस्टेंट प्रोफ़ेसर रूमी नक़वी और अन्य विभागों से संबद्ध शिक्षकों  का सहयोग रहा। 'हिन्दवी' की ओर से अनुराधा शर्मा, अविनाश मिश्र, और मनोज सिंह ने ‘कैंपस कविता’ के सारे क्रियाकलापों में सक्रिय भूमिका निभाई। आयोजन के दोनों सत्रों का संचालन ‘हिन्दवी’ से संबद्ध हरि कार्की ने किया। 

हिन्दवी का प्रयोग—‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन विश्वविद्यालयों और हिंदी-साहित्य-संसार में एक रचनात्मक और सफल पहल की भाँति आगे बढ़ रहा है। यह आयोजन हिंदी-संसार की अभी-अभी की नई पीढ़ी को—हिंदी के श्रेष्ठ कवियों के मार्गदर्शन में रचनात्मकता से अवगत कराने में भी अत्यंत सहायक सिद्ध हो रहा है। इस आयोजन की शुरुआत ‘हिन्दवी’ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग) के साथ वर्ष 2022 में सितंबर महीने में की थी। इस सिलसिले में आगे—

• शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देहरादून 
• केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, बठिंडा 
• हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद 
• केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, महेंद्रगढ़ 
• बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ 
• अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ 
• एनसीईआरटी, भोपाल
• राम लखन सिंह यादव कॉलेज, राँची 
• वी.एस.एस.डी. कॉलेज, कानपुर
• देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर 
• विश्व-भारती, शांतिनिकेतन, बोलपुर 
• महादेवी वर्मा सृजन पीठ, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल
• लिटरेरी क्लब, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली

के साथ मिलकर अब तक हिन्दवी कैंपस कविता के 14 सफल आयोजन हो चुके हैं।

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

14 अप्रैल 2025

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो!

14 अप्रैल 2025

इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो!

“आप प्रयागराज में रहते हैं?” “नहीं, इलाहाबाद में।” प्रयागराज कहते ही मेरी ज़बान लड़खड़ा जाती है, अगर मैं बोलने की कोशिश भी करता हूँ तो दिल रोकने लगता है कि ऐसा क्यों कर रहा है तू भाई! ऐसा नहीं

08 अप्रैल 2025

कथ्य-शिल्प : दो बिछड़े भाइयों की दास्तान

08 अप्रैल 2025

कथ्य-शिल्प : दो बिछड़े भाइयों की दास्तान

शिल्प और कथ्य जुड़वाँ भाई थे! शिल्प और कथ्य के माता-पिता कोरोना के क्रूर काल के ग्रास बन चुके थे। दोनों भाई बहुत प्रेम से रहते थे। एक झाड़ू लगाता था एक पोंछा। एक दाल बनाता था तो दूसरा रोटी। इसी तर

16 अप्रैल 2025

कहानी : चोट

16 अप्रैल 2025

कहानी : चोट

बुधवार की बात है, अनिरुद्ध जाँच समिति के समक्ष उपस्थित होने का इंतज़ार कर रहा था। चौथी मंजिल पर जहाँ वह बैठा था, उसके ठीक सामने पारदर्शी शीशे की दीवार थी। दफ़्तर की यह दीवार इतनी साफ़-शफ़्फ़ाक थी कि

27 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : इन पंक्तियों के लेखक का ‘मैं’

27 अप्रैल 2025

रविवासरीय : 3.0 : इन पंक्तियों के लेखक का ‘मैं’

• विषयक—‘‘इसमें बहुत कुछ समा सकता है।’’ इस सिलसिले की शुरुआत इस पतित-विपथित वाक्य से हुई। इसके बाद सब कुछ वाहवाही और तबाही की तरफ़ ले जाने वाला था। • एक बिंदु भर समझे गए विवेक को और बिंदु दिए गए

12 अप्रैल 2025

भारतीय विज्ञान संस्थान : एक यात्रा, एक दृष्टि

12 अप्रैल 2025

भारतीय विज्ञान संस्थान : एक यात्रा, एक दृष्टि

दिल्ली की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी के बीच देश-काल परिवर्तन की तीव्र इच्छा मुझे बेंगलुरु की ओर खींच लाई। राजधानी की ठंडी सुबह में, जब मैंने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से यात्रा शुरू की, तब मन क

बेला लेटेस्ट